मिट जाती हैं उनकी हस्तियाँ जो कान के कच्चे होते हैं रहते हैं मौज़ में पहले पर बाद में तन्हा होते हैं रिश्तों में बन जाती हैं दूरियां जब ख़फ़ा होते हैं फिर इज़्ज़त की इस दुनिया से तवक़्क़ो करते हैं मिलता नहीं सुकून किसी को इस तरह जीने में हो जाती हैं देर समझ में आती हैं जब बात उन्हें मन में भावनाओं का ज्वार इस तरह बहने ना दो किसी की बातों में आने से पहले सच की खोज करों 🎀 मुहावरे वाली रचना #collabwithकोराकाग़ज़ 🎀 मुहावरे अथवा लोकोक्ति का प्रयोग करते हुए अपने शब्दों में अपनी रचना लिखिए। 🎀 सबसे अच्छी रचना को कोरा काग़ज़ समूह की प्रोफाइल पर फीचर किया जाएगा। 🎀 अपनी रचना लिखने के बाद आपको प्रयोग किया हुआ मुहावरा अथवा लोकोक्ति को इस पोस्ट पर काॅमेंट करना है।