तन को सौ सौ बंदिशें, मन को लगी न रोक.. तन की दो गज कोठरी, मन के तीनों लोक....!! तुम प्यार की बातें .....न किया करो हमसे, मासूम हैं हम.....बातो से बहक जाते हैं! उड़ रहा था मेरा दिल भी परिंदों की तरह, तीर जब लग गई तो कोई भी मरहम न हुआ ! देख लेना था मुझे भी हर सितम की अदा, ऐ सनम तेरे जैसा मेरा कोई दुश्मन न हुआ _Rupesh ® ♏ahale