अरे असलियत को मानने में शर्माना कैसा, डरना कैसा अरे घबराना कैसा, अरे सच तो आज़ाद करता है हामी भरने में, झिझक कैसी, झूठ को बचाना कैसा, है सच जहां, खुदा साथ वहाँ अकेला कहाँ, इम्तेहान है, फिर बहाना कैसा, यूहीं तो शफा मिलती है, तकलीफ है, दर्द है थोड़ी, जख्म छुपाना कैसा #yqdidi #yqbhaijan #सचकादामन #सच्चाई #झूठनबोलो