होऊं ऐसे प्रदिप्त जैसे कोई रण में रात्रि की मशाल हो। साथ चलूँ तो ऐसे की कभी परछाईं का न मलाल हो।। #गजानन्द_शर्मा #निर्बाध #मशाल