नवरात्रि के चतुर्थ दिवस को ब्रह्मांड को उत्पन्न करने वाली मां कूष्मांडा की पूजा की जाती है। जब सृष्टि नहीं थी चारों ओर घोर अंधकार था मां ने अपने ईषत् हास्य से ब्रह्मांड की रचना की। सृष्टि की आदिस्वरूपा, आदिशक्ति, अष्ट भुजाओं वाली हैं और करती प्रेम से सिंह की सवारी हैं। सात हाथों में कमंडल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा धारण करती हैं। आठवें हस्त में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली सिद्ध जपमाला धारण किए रहती हैं। सूर्यमंडल के भीतर लोक में वास करने की क्षमता रखती हैं इन्हें कुम्हड़े की बलि अति प्यारी है। शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति दसों दिशाओं को आलोकित और दैदीप्यमान करती है। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं, सभी प्राणियों और कण-कण में मां कुष्मांडा का ही तेज व्याप्त रहता है। अत्यल्प सेवा से प्रसन्न हो जाती, भक्तों के रोगों शोकों को मिटा आयु,यश,बल और आरोग्य देती हैं। भक्तों को सभी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती, प्रसन्न हो सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं #yqbaba #yqdidi #myquote #openforcollab #collabwithmitali #नवदुर्गा_के_नौ_स्वरूप #maa_kushmanda_namah Time limit till 11:59 pm tonight... No word limit You have to maintain these hashtags Kindly keep the bell icon on to get recent updates... Results will be out tomorrow along with new topic...