मेरी वीरता के वजह से ही संकट में मेरे प्राण थे एक साथ मुझपे चलाये सब ने बाण थे... है दु:ख तो इस बात का कि धर्मज्ञाता सारे मौन थे वही पे #अंगराज थे और वही पे गुरु #द्रोण थे...! - अभिमन्यु ©Vikas Kumar Pandey