बेहिसाब शिकायतें हैं ए-जिन्दगी तुझसे ! फिर भी अहसानमंद हूँ उस परवरदिगार का जिसने तुझे बक़्शा !! बेहिसाब शिकायतें हैं ए-जिन्दगी तुझसे ! फिर भी अहसानमंद हूँ उस परवरदिगार का जिसने तुझे बक़्शा !! हाँ हैं तुम से शिकवे और वो भी बे हिसाब। क्योंकि प्यार भी है उसी तरह बेहिसाब।