हाँ मैं मर्द हूँ पर दर्द मुझे भी ख़ूब होता है, ये आँख नहीं रोती पर दिल सौ सौ दफ़ा रोता है। कभी बेबुनियादी इल्ज़ामातों में फँसते हैं हम, कुछ कसूर न होने पर भी इल्ज़ाम सारा हम पर ही होता है। न गिराओ इस तरह से हमें ख़ुद की ही नज़रों में, के एक बूढ़ी माँ और लाचार बाप हमारे घर में भी होता है। ज़िम्मेदारी सारी इन्हीं काँधो पर होती हैं अक्सर, बेबस परिवार का भार सारा इस मर्द पर ही होता है। क्या बीतती होगी उस बहन पर जिसका भाई उसका हीरो होता है, राखी का कुछ फ़र्ज़ हमें अता वहाँ भी करना होता है। समाज की बिजलियाँ हम पर भी कुछ कम नहीं गिरती, हम गैरगुज़रों पर तो कोई दो आँसू भी न छलकाता है। हम राम नहीं पर मर्यादा अपनी जानतें हैं, हर नारी नहीं बुरी होती तो हर मर्द भी बुरा कहाँ होता है? हाँ मैं मर्द हूँ पर दर्द मुझे भी होता है 💔 #hindipoetry #quoteoftheday #nazarbiswas #मर्दकोदर्दहोताहै #menslife