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मेरे‌ जहन‌ में ऐसी उतरी, शरीर के कतरे‌ कतरे में रच

मेरे‌ जहन‌ में ऐसी उतरी,
शरीर के कतरे‌ कतरे में रची बसी,
अब मुमकिन नहीं ये निकले,
अब तो याद दिलाती रहेगी,
तेरे मेरे किस्से।

©Anil Kumar Jaswal #तेरीतस्वीर  Mukesh Kumar Pal pardeep Bipin Kumar Ray VAniya writer * Bade Shukla
मेरे‌ जहन‌ में ऐसी उतरी,
शरीर के कतरे‌ कतरे में रची बसी,
अब मुमकिन नहीं ये निकले,
अब तो याद दिलाती रहेगी,
तेरे मेरे किस्से।

©Anil Kumar Jaswal #तेरीतस्वीर  Mukesh Kumar Pal pardeep Bipin Kumar Ray VAniya writer * Bade Shukla