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shikhadubey8430
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Shikha Dubey

follow me on Instagram ( _zindgi_ki_kitaab) जिस्तजू ना आरज़ू किसी की खुद से खुद को रूबरू हूं मैं ऐसी वेसी जैसी भी हूं , बस ऐसी ही हूं मैं ✍️ 🔶 किसी कविता को पढ कर गर यूं लगे आपको,"यह तो मेरी ही छवि है !" तो यकीन मनिए , लिखने वाला एक अच्छा कवि है (unknown)

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Shikha Dubey

इस गुलाबी ठंड में, वो तुम्हारी नर्म हथेलियों का स्पर्श ,
महकी महकी चाय की खूशबू मेरे अर्श पर

 मेरे रश्क पर , तेरी उंगलियों के रक़्स 
मेरे अक्स पर , तेरे इश्क़ की नक्श ,

 मेरे खुश्क कैनवस पर , तेरे रंगों का अक्स
मेरी नरम लबों  पर तेरे नाम का मश्क़ 

सफ़ेद काग़ज़ पर तेरे नाम लफ़्ज़ों के कई कर्ज़
मेरे इश्क़ की दवा , तू ही मेरा मर्ज़ तू ही दवा तू ही मर्ज

तू ही दवा तू ही मर्ज

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Shikha Dubey

main har Roz tujh SE इश्क़ जताती हूं

main har Roz tujh SE इश्क़ जताती हूं

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Shikha Dubey

भोर से पहले आज एक सुबह हुई है हाथों में सर्गी की थाली 
मुख पर तेज़ प्रकाश है  उषा की लालिमा , उसके अधरों में समाई है 
हरियाली पर लालिमा छाई है 
सजनी लाल जोड़े में जो अाई है 
लाल लाल है समा, सिंदूरी आसमां 
पानी भी प्यासा अधरों की प्यास में 
चांद भी बेताब है , लज्जित छुप गया बादलों की ओट में
कस्तूरी सुगंध में मंत्र मुग्ध है समा 
आज देखो चांद पर लाली
सिंदूरी है आसमां भोर से पहले आज एक सुबह हुई है हाथों में सर्गी की थाली 
मुख पर तेज़ प्रकाश है  उषा की लालिमा , उसके अधरों में समाई है 
हरियाली पर लालिमा छाई है 
सजनी लाल जोड़े में जो अाई है 
लाल लाल है समा, सिंदूरी आसमां 
पानी भी प्यासा अधरों की प्यास में 
चांद भी बेताब है , लज्जित छुप गया बादलों की ओट में
कस्तूरी सुगंध में मंत्र मुग्ध है समा

भोर से पहले आज एक सुबह हुई है हाथों में सर्गी की थाली मुख पर तेज़ प्रकाश है उषा की लालिमा , उसके अधरों में समाई है हरियाली पर लालिमा छाई है सजनी लाल जोड़े में जो अाई है लाल लाल है समा, सिंदूरी आसमां पानी भी प्यासा अधरों की प्यास में चांद भी बेताब है , लज्जित छुप गया बादलों की ओट में कस्तूरी सुगंध में मंत्र मुग्ध है समा

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Shikha Dubey

एक चिराग जलाएं रखना 
वो लौट कर आएगा 
ये खुद को बताए रखना 

खामोशियों से कहना कि सुन कर आए उन्हें
बहुत खामोश रहती है जुबां उनकी

की उनकी नज़रों से उनके राज़ पढ़ लेना
कहना उनसे भिगोएं ना वो पलके अपनी
कुछ ख़्वाब मेरे वहा बसर करते है

कमली रात तो ढल जाती है 
ये सुर्ख आंखें सहर उन्हें ढूंढा करती है 

सहर , दोपहर , हर पहर यादें कहर बरसाती हैं
उनकी ये बिछुड़न बहुत सताती है 

पायलों से लिपट जाती है ये हवाएं कुछ उसकी नज़रों सी
की बिन उनके ये चूड़ियां भी गदर करती है 

इंतज़ार में पलके बिछाए ये नज़रे गहर झांका करती है
तुम लौट आओगे ये मेरी बिंदी , चूड़ी, सिंदूर को बताए रखती है

हवाएं भी तुम्हे छु कर हर शाम मुझ से लिपट जाती है
कुछ ऐसे ही वो तुम्हारा पैगाम हर रोज़ लेे आती है
साथ अपने तुम्हारी खुशबुएं उड़ा लाती है 

तुम लौट कर आओगे 
ये सदाएं दे जाती है एक चिराग जलाएं रखना 
वो लौट कर आएगा 
ये खुद को बताए रखना 

खामोशियों से कहना कि सुन कर आए उन्हें
बहुत खामोश रहती है जुबां उनकी

की उनकी नज़रों से उनके राज़ पढ़ लेना

एक चिराग जलाएं रखना वो लौट कर आएगा ये खुद को बताए रखना खामोशियों से कहना कि सुन कर आए उन्हें बहुत खामोश रहती है जुबां उनकी की उनकी नज़रों से उनके राज़ पढ़ लेना

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Shikha Dubey

एक शोर एक गूंज हवाओं में विलीन हो गई
एक दौर वो भोर हवाओं मैं खो गई 
मां की खनक ,पायलों सा शोर भोर का संगीत हुआ था
वो मधुर गूंज आज शोर सराबे में तब्दील हो गई
झोपडिय़ों से झांकती धूप उदास ज़मीं पर बिखर गई
धूप से चमक जाने वाली आंखें थक कर सो गई 
एक शोर ,एक गूंज हवाओं में विलीन हो गई

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Shikha Dubey

एक ज़िन्दगी  एक ज़िन्दगी ऐसी भी होती है 
जहां गमों की थाली में खुशियां परोसी जाती है
गमों के बीच में खुशियां मुस्कुराती है
किसी के हिस्से में पूरी होती 
किसी को आधी ही मिलती है
ओर अकसर उस आधे पर मां अपना
हक जता लेती है 
सबके बाद जो खाती है
कभी आधा कभी आधे से कम खाती है 
मां अपने हिस्से की खुशियां भी 
बच्चों में बांट देती है
खुद की लिए अपने हाथ खाली रखती है
एक ज़िन्दगी इसी भी होती है
जो अपनी खुशियां अपनों पर
लुटा देती है वो सिर्फ सिर्फ मां होती है

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Shikha Dubey

इन खाली पड़ी कुर्सियों पर भी हसी गूंजा करती थी
जान इश्क़ ओर रहमतें यहां एक साथ मिला करती थी
   ~शिखा~

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Shikha Dubey

एक साया झूठा दिखाता है 
खोट चित्रण में है , या दर्पण ही गराब है
या यूं ही सब बेवजह , धुंधला नजर आता है

~शिखा~ #alonegirl
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Shikha Dubey

संगमरमरी मीनारों ने इश्क़ संजोया
किसने क्या पाया क्या खोया 

जो इश्क़ का हुआ फिर वो , 
ओर कहां किसी का हुआ 

तहज़ीब से दिल-ए-तहरीर पर आगाज़ हुआ
बिन छुए ही इश्क़ ने कुछ ऐसा छुआ

एक दिल, एक जला दीया
जो उठा वो धुआं धुआ
   
एक दिल, एक रुआसी जां
बिन तेरे सूना ये जहां

ना ज़मीन , ना ये आसमा
ढूंढूं कहां वो कहकशां

फ़रियाद रब की टाली ना 
रूआंसा हुई रूह , ऐसी दशा
कहां ढूंढूं वो कहकशां

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Shikha Dubey

गुलशन से बहारें चुराता गुलशन से बहारें चुराता 
या उसे गुलाब कहता 

महकता गुलिस्तां बनता
या उसकी खुशबुओं में बहक जाता 

दूर तलक उस चांद को झांकता 
या उसकी मांग का सितारा बन जाता

गुलशन से बहारें चुराता या उसे गुलाब कहता महकता गुलिस्तां बनता या उसकी खुशबुओं में बहक जाता दूर तलक उस चांद को झांकता या उसकी मांग का सितारा बन जाता

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