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krishnakumar9906
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Krishna Kumar

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Krishna Kumar

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Krishna Kumar

green screen stetus video

green screen stetus video #फ़िल्म

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Krishna Kumar

 sayari video
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Krishna Kumar

कहानी

कहानी #कामुकता

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Krishna Kumar

कहानी

कहानी #कामुकता

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Krishna Kumar

कहानी

कहानी #कामुकता

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Krishna Kumar

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद   मेरी लाइफ में पहला क्रश तब हुआ जब मैं फर्स्ट ईयर में था। मैंने फिजिक्स की कोचिंग जॉइन की थी। पहले दिन हम सभी बच्चे अपनी-अपनी सीट पर बैठे सर का इंतजार कर रहे थे कि तभी एक लड़की ग्रीन टॉप और ब्लैक जीन्स में आई। पहले ही दिन वह मुझे इतनी पसंद आ गई कि मैं उस रात सो भी नहीं पाया। आंख बंद करूं तो उसका चेहरा नजर आए, आंखें खोलूं तो ऐसा लगे जैसे वह मेरे सामने खड़ी है। मैंने उसी वक्त यह तय कर लिया कि उसे ही अपनी गर्लफ्रेंड बनाऊंगा। दूसरे दिन मैंने उससे उसका नाम पूछा तो उसने राखी बताया। धीरे-धीरे हमारी बातचीत शुरू हो गई। हम एक-दूसरे को मेसेज करने लगे। मेसेज में हाल-चाल से लेकर खाने तक की बातें होने लगीं। हमारी फ्रेंडशिप गहरी होती गई। मैं उसे मन ही मन चाहने लगा था, लेकिन प्रपोज करने में डरता था। उसके साथ एक साल कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला था। अब सेकंड ईयर में हमने फिर से वही कोचिंग जॉइन की है। इस बार मैंने उसे प्रपोज करने का मन बना लिया था। मेरे प्रपोजल से पहले ही उसने बता दिया कि उसकी सगाई हो चुकी है। मेरा दिल उसी वक्त टूट गया, लेकिन फिर भी दिल ने उसे प्यार करना नहीं छोड़ा।

©Krishna Kumar पहला क्रश हमेशा रहेगा याद

पहला क्रश हमेशा रहेगा याद #प्रेरक

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Krishna Kumar

| कैसे कौए हुए काले |

| कैसे कौए हुए काले | एक बार की बात है । एक ऋषि ने एक कौवे को अमृत की तलाश में भेजा लेकिन कौवे को ये चेतावनी भी दी कि केवल अमृत के बारे में पता करना है उसे पीना नहीं है अन्यथा तुम इसका कुफल भोगोगे । कौवे ने हामी भर दी और उसके बाद सफेद कौवे ने ऋषि से विदा ली । एक साल के कठोर परिश्रम के बाद कौवे को आखिर अमृत के बारे में पता चल गया । वह इसे पीने की लालसा रोक नहीं पाया और इसे पी लिया जबकि ऋषि ने उसे कठोरता से उसे नहीं पीने के लिए पाबंद किया था । सो उसने ऐसा कर ऋषि को दिया अपना वचन तोड़ दिया । पीने के बाद उसे पछतावा हुआ और उसने वापिस आकर ऋषि को पूरी बात बताई तो ऋषि ये सुनते ही आवेश में आ गये और कौवे को शाप दे दिया और कहा क्योंकि तुमने अपनी अपवित्र चोंच से अमृत की पवित्रता को नष्ट किया है इसलिए आज के बाद पूरी मानवजाति तुमसे घृणा करेगी और सारे पंछियों में केवल तुम होंगे जो सबसे नफरत भरी नजरो से देखे जायेंगे । किसी अशुभ पक्षी की तरह पूरी मानवजाति हमेशा तुम्हारी निंदा करेगी । और चूँकि अमृत का पान किया है इसलिए तुम्हारी स्वाभाविक मृत्यु नहीं होगी । कोई बीमारी भी नहीं होगी और तुम्हे वृद्धावस्था भी नहीं आएगी । भाद्रपद के महीने के सोलह दिन तुम्हे पितरो का प्रतीक मानकर आदर दिया जायेगा । तुम्हारी मृत्यु आकस्मिक रूप से ही होगी इतना कहकर ऋषि ने अपने कमंडल के काले पानी में उसे डुबो दिया । काले रंग का बनकर कौवा उड़ गया तभी से कौवा काले रंग के हो गये । हालाँकि ये कहानियां लोककथाओं के रूप में प्रचलित है लेकिन फिर भी मेने अक्सर कई लेखो और मान्यताओं में किसी एक के किये कर्मो की सजा उसकी पूरी जाति को भुगतनी पड़ी हो ऐसा देखा है लेकिन मेरे विचार ये केवल काल्पनिक लेख ही होंगे क्योंकि आधुनिक युग की परिभाषा में जन्हा लोग तर्क करने की क्षमता रखते है किसी भी धारणा का अँधा अनुकरण करने से पहले ये सब पहले के जमाने में लोगो को कुछ शिक्षाओं को उनके मानसिक स्तर पर समझाने का ये प्रयास ही रहा होगा । ऐसा हम मान सकते है ।

©Krishna Kumar #tigershroff 
कैसे कोई हुए काले

#tigershroff कैसे कोई हुए काले #कामुकता

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Krishna Kumar

एकता का बल

एकता का बल   एक समय की बात हैं कि कबूतरों का एक दल आसमान में भोजन की तलाश में उडता हुआ जा रहा था। गलती से वह दल भटककर ऐसे प्रदेश के ऊपर से गुजरा, जहां भयंकर अकाल पडा था। कबूतरों का सरदार चिंतित था। कबूतरों के शरीर की शक्ति समाप्त होती जा रही थी। शीघ्र ही कुछ दाना मिलना जरुरी था। दल का युवा कबूतर सबसे नीचे उड रहा था। भोजन नजर आने पर उसे ही बाकी दल को सुचित करना था। बहुत समय उडने के बाद कहीं वह सूखाग्रस्त क्षेत्र से बाहर आया। नीचे हरियाली नजर आने लगी तो भोजन मिलने की उम्मीद बनी। युवा कबूतर और नीचे उडान भरने लगा। तभी उसे नीचे खेत में बहुत सारा अन्न बिखरा नजर आया “चाचा, नीचे एक खेत में बहुत सारा दाना बिखरा पडा हैं। हम सबका पेट भर जाएगा।’ सरदार ने सूचना पाते ही कबूतरों को नीचे उतरकर खेत में बिखरा दाना चुनने का आदेश दिया। सारा दल नीचे उतरा और दाना चुनने लगा। वास्तव में वह दाना पक्षी पकडने वाले एक बहलिए ने बिखेर रखा था। ऊपर पेड पर तना था उसका जाल। जैसे ही कबूतर दल दाना चुगने लगा, जाल उन पर आ गिरा। सारे कबूतर फंस गए। कबूतरों के सरदार ने माथा पीटा “ओह! यह तो हमें फंसाने के लिए फैलाया गया जाल था। भूख ने मेरी अक्ल पर पर्दा डाल दिया था। मुझे सोचना चाहिए था कि इतना अन्न बिखरा होने का कोई मतलब हैं। अब पछताए होत क्या, जब चिडिया चुग गई खेत?” एक कबूतर रोने लगा “हम सब मारे जाएंगे।” बाकी कबूतर तो हिम्मत हार बैठे थे, पर सरदार गहरी सोच में डूबा था। एकाएक उसने कहा “सुनो, जाल मजबूत हैं यह ठीक हैं, पर इसमें इतनी भी शक्ति नहीं कि एकता की शक्ति को हरा सके। हम अपनी सारी शक्ति को जोडे तो मौत के मुंह में जाने से बच सकते हैं।” युवा कबूतर फडफडाया “चाचा! साफ-साफ बताओ तुम क्या कहना चाहते हो। जाल ने हमें तोड रखा हैं, शक्ति कैसे जोडे?” सरदार बोला “तुम सब चोंच से जाल को पकडो, फिर जब मैं फुर्र कहूं तो एक साथ जोर लगाकर उडना।” सबने ऐसा ही किया। तभी जाल बिछाने वाला बहेलियां आता नजर आया। जाल में कबूतर को फंसा देख उसकी आंखें चमकी। हाथ में पकडा डंडा उसने मजबूती से पकडा व जाल की ओर दौडा। बहेलिया जाल से कुछ ही दूर था कि कबूतरों का सरदार बोला “फुर्रर्रर्र!” सारे कबूतर एक साथ जोर लगाकर उडे तो पूरा जाल हवा में ऊपर उठा और सारे कबूतर जाल को लेकर ही उडने लगे। कबूतरों को जाल सहित उडते देखकर बहेलिया अवाक रह गया। कुछ संभला तो जाल के पीछे दौडने लगा। कबूतर सरदार ने बहेलिए को नीचे जाल के पीछे दौडते पाया तो उसका इरादा समझ गया। सरदार भी जानता था कि अधिक देर तक कबूतर दल के लिए जाल सहित उडते रहना संभव न होगा। पर सरदार के पास इसका उपाय था। निकट ही एक पहाडी पर बिल बनाकर उसका एक चूहा मित्र रहता था। सरदार ने कबूतरों को तेजी से उस पहाडी की ओर उडने का आदेश दिया। पहाडी पर पहुंचते ही सरदार का संकेत पाकर जाल समेत कबूतर चूहे के बिल के निकट उतरे। सरदार ने मित्र चूहे को आवाज दी। सरदार ने संक्षेप में चूहे को सारी घटना बताई और जाल काटकर उन्हें आजाद करने के लिए कहा। कुछ ही देर में चूहे ने वह जाल काट दिया। सरदार ने अपने मित्र चूहे को धन्यवाद दिया और सारा कबूतर दल आकाश की ओर आजादी की उडान भरने लगा। सीखः एकजुट होकर बडी से बडी विपत्ति का सामना किया जा सकता हैं।

©Krishna Kumar #aahat 
एकता का बल

#aahat एकता का बल #कामुकता

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Krishna Kumar

| प्रेम की महिमा |

| प्रेम की महिमा |   पुराने समय की बात है एक शहर के आस पास के जंगलो में एक भेडिये का इतना आतंक छाया हुआ था कि वंहा कोई रास्ता चलने का साहस भी नहीं करता था । वह अनेक मनुष्यों और जानवरों को मार चुका था । अंत में उस शहर के एक महान संत फ्रास्वा ने उस भयानक जानवर का सामना करने की ठानी । वे शहर के से बाहर निकले तो उनके पीछे स्त्री और पुरुषों की बहुत भीड़ थी । जैसे ही संत जंगल के समीप पहुंचे वैसे ही भेडिये ने उनकी तरफ रुख किया और उनकी और लपका । तभी संत ने उसकी और एक शांतिपूर्वक ऐसा संकेत किया कि भेड़िया ठंडा होकर संत के पैरो के पास ऐसे लोट गया जैसे कोई भेड़ का बच्चा हो । तभी संत ने उसे संबोधित किया ” कि देख भाई तूने इस शहर को बहुत हानि पहुंचाई है और बहुत उत्पात किया है इस वजह से तू बाकी अपराधियों की तरह दंड का अधिकारी है और इस शहर के लोग तुमसे बहुत घृणा करते है । परन्तु यदि तेरे और इस शहर में रहने वाले मेरे मित्रो के बीच मैत्री स्थापित हो जाये तो मुझे बहुत ख़ुशी होगी । भेडिये ने अपना सिर झुका लिया और पूँछ हिलाने लगा ।” इस पर संत ने फिर से कहा ”  देख भाई मैं प्रतिज्ञा करता हूँ कि अगर तू इन लोगो के साथ शांतिपूर्वक रहना स्वीकार करता है तो ये लोग भी तेरे साथ बेहद अच्छा बर्ताव करेंगे और साथ ही तेरे लिए खाने की भी व्यवस्था कर देंगे । ” क्या तू ये प्रतिज्ञा करता है ? इस पर भेडिये ने अपना सिर पूरी तरह झुका लिया और संत के हाथ पर अपना पंजा रख दिया । संत उसे शहर के बीचो बीच ले गये और सबके सामने एक बार फिर भेडिये से ये बात कही तो भेडिये ने पहले की तरह संत के हाथ पर हाथ रख दिया और उसके बाद वो भेड़िया दो साल तक उस शहर में रहा और उसने किसी को कोई हानी नहीं पहुंचाई इस पर उसके मरने पर भी लोगों को बहुत दुःख हुआ लेकिन फिर भी वो लोग हेरान थे कि ऐसा खूंखार जानवर ने अपनी प्रवृति किस तरह बदल ली । उसे  जिसने बदल दिया उसके अंदर एक चीज़ थी ये किसी ने नहीं जाना । ये संत फ्रांस्वा का प्रेम पूर्ण बर्ताव था जिसने उसे बदल दिया और प्रेम की महिमा इसी को तो कहते है । कहानी से हमे सीख मिलती है कि किसी भी तरह के बुरे इन्सान जो अपने स्वभावत: बुरा होता है उसे हम अपने अच्छे बर्ताव से बदल सकते है अगर हम ऐसा करना चाहें तो क्योंकि वो लोग जो समाज के विरोध में सोचते है उन्हें समाज से बाहर तिरस्कृत करने से कोई समस्या हल नहीं हो जाती है जरुरत है तो बस उनसे और अधिक प्रेमपूर्वक बर्ताव की जिस से हम उनकी जिन्दगी बदल सकते है ।

©Krishna Kumar प्रेम की महिमा

प्रेम की महिमा #कामुकता

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