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himanshoosaxena3613
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Himanshoo Saxena

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Himanshoo Saxena

वो गांव का कच्चा सा मकान, फूंस का छप्पर, वो तालाब,वो चूल्हे की रोटी मुझे सब याद है।
वो दादी का बाबा से छुपा के पैसे देना, सुबह के नाश्ते में चौके में बैठना मुझे सब याद है।।
वो साइकिल की कैंची सीखना उससे घुटने का घिसटना फिर मम्मी का गलियां देते हुए सरसो का तेल लगाना मुझे सब याद है।
वो बाबा का रश्मिरथी सुनाना, ना सुनने पर उलाहने देना ,कभी ध्यान से न सुनने पर कान का ऐंठना मुझे सब याद है ।।
शाम को पापा का लानटेन साफ करने को बोलना वो डर के मारे फौरन उठ जाना वो उनका गणित पढ़ाना मुझे सब याद है ।
पेंसिल न छिली होने पर स्कूल वाले सर का थप्पड़ पड़ना स्कूल थोड़ा लेट होने पर दो पतली वाली डंडी जड़ना वो  इंटरवल के पराठे के साथ 1 रुपए की चाट खाना मुझे सब याद है ।
मम्मी के दिए पैसे को ज्योमेट्री बॉक्स में रखना , ज्योमेट्री बॉक्स को बाथरूम तक साथ लेजाना उन पैसों से रेबड़ी खरीदना  मुझे सब याद है।
होली पर नए कपड़ो का दर्जी को सीने देना उन कपड़ो बार बार प्रेस करना स्कूल के काले जूतों को पानी से साफ कर मुझे सब याद है।।
 अब सब है मेरे पास,
 बस पुरानी यादें गांव में कहीं राख कर आया हूं ।
वो बाबा की दी हुई नंबर वाली घडी गांव के किसी ताख में रख आया हूं ।।
अब क्या कहूं गला जब रूंधता है तो थोड़ा सा आंखो को नम कर लेता हूं
क्योंकि सारे आंसुओ को किसी साख पर रख आया हूं

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Himanshoo Saxena

इस जहां का कोई आखिरी खूबसूरत इंसान है तो शायद तुम हो।
 जिसकी सबसे खूबसूरत आंखे हो तो शायद तुम हो ।।जिसकी बादल से भी घनी जुल्फे हो तो वो शायद तुम हो।
 खुदा का कोई आखरी करिश्मा है वो शायद तुम हो ।।
गुलाब से भी ज्यादा महकने वाली वो शायद तुम हो ।
तुम हो तो बादलों में भी पानी है।। 
तुम हो तो मौजों में भी रवानी है।
खुदा भी तुम्हे न देखे तो ये बेमानी है।।
कुछ देव तुम्हे ऊपर से देख रहे हैं ये उनकी नादानी है। 
इस जहां में सबको पता है ये तो खूबसूरती आखिरी की निशानी है।।

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Himanshoo Saxena

जरूरी न बोझ काम का हो 
कभी कभी जज्बातों का भी बोझ थका देता है

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Himanshoo Saxena

          " वेपता"
चलता हूं लौट के फिर वहीं क्यों होता हूं !
पता नही कितने पते अनकहे हैंl
खुद का  पता न पता है ,
लोग कहते हैं मैं डाकिया हूं l
सबके पते ढूंढता फिरता हूं ,
खुद के पते से सहमा रहता हूं ll
क्यों डर लगता है खुद के पते इस इतना ,
खुद से पता करने में डर लगता हैl
कुछ खत खुद को लिखे हैं ,
खुद का पता ढूंढने को ll

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Himanshoo Saxena

कुछ भी न कहूं तो समझ लेती है ,
कांपते हुए होठ वो पढ़ लेती है।
अगर कहीं कांटा लगे तो मीलों से महसूस कर लेती है,
जनाब वो मां है तुम्हारे दर्द में तुमसे ज्यादा रो लेती है ।।

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Himanshoo Saxena

 जिंदगी में किसी का इंतजार करे तो क्या कहिए,
 उनकी आगोश में खो जाये तो क्या कहिए। 
 बस उनके लरजती जुल्फों में खो जाये तो क्या कहिए ,
 कहकशां ये सपना सच हो जाए तो क्या कहिए।।

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Himanshoo Saxena

इस शहर में कोई अपना लगे मेरे अंदर ऐसे जज़्बात नही
जो मेरे गम को समझ ले अब ऐसी किसी में बात नही 
फिर रहा हूं दरबदर जो बता दे मेरा पता अब ऐसा किसी का साथ नही 
अब हो जाए उनसे मुलाकात तो, थी पुरानी जो बात अब वो बात नही

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Himanshoo Saxena

तेरे मेरे दरमियान सोचा था एक पतली लकीर होगी 
जब आंखों के जाले साफ हुए तो बेतरकीब दीवार निकली

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Himanshoo Saxena

यूंही नही खुश हूं अंधेरों में 
खुद को जलाया है सदियों के उजालों में

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Himanshoo Saxena

रास्ते बड़े कठिन ऐसे न साथ छोड़ो 
तकलीफ तुम्हे भी होगी जब कोई हाथ छोड़ेगा

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