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gulshankumar5269
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Gulshan Kumar

singing song and gazal, poetry.....

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Gulshan Kumar

White ख़ामोशी लिख रहा हूं, शोर की स्याही से,,
अक्सर सिसकियां अंधेरों में पढ़ी जाती हैं।।
gulshan

©Gulshan Kumar
  #Sad_Status
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Gulshan Kumar

नाम कटा लो अपनी मोहब्बत के पन्नों से
ये बदनामी तुम्हारे बस की बात नहीं हैं।।।।।।

©Gulshan Kumar #Dark
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Gulshan Kumar

कि,अल्फ़ाज़ मेरे अब चुभने लगे है कांटो की तरह,,
मेरे मुकद्दर ने मुझे गुलाब बना दिया है,,

©Gulshan Kumar #OneSeason
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Gulshan Kumar

वो जो मंज़िल दूर दिखाई दे रही है,,
रोशनी हमारे गुरु ने की है,,,,,,,,
happy teachers day

©Gulshan Kumar #Teachersday
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Gulshan Kumar

मशाल - ए - जुनून को जलाये रखना ज़रूरी है,
मंजिले पागलों को ढूंढा करती हैं,,

©Gulshan Kumar
  #Books
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Gulshan Kumar

उधर पैसे की कमी से मर गया भूख से बेचारा,,
इधर अर्थव्यवस्था में महंगाई दर नीचे थी,,

©Gulshan Kumar #Drops
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Gulshan Kumar

मेरी मोहबब्त- ए- सल्तनत में ये फ़रमान जारी हुई है,,,
 कि, दिल लगाने की सज़ा, दर्दे - गम दिया जाए।

©Gulshan Kumar #meltingdown
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Gulshan Kumar

बादल बेहिसाब तुम्हे भर ले अपने आगोश में,
घटा छंटने के बाद तुम मेरे हो,,

©Gulshan Kumar #TakeMeToTheMoon
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Gulshan Kumar

....फांसी...
रस्सी!एक सवाल है तुझसे?
तू पर्याय है न, रिश्तों की डोर की
तू जोड़ता है प्रेम को,
मान को,मर्यादा को
फिर क्यों तोड़ दी मेरी रिश्तों को
क्यों तोड़ दी उन सपनों को
जो देखे थे मेरे अपनों ने।
                                                      तेरा दामन थामा था पंखे ने,
सवाल तुझसे भी है मेरे पंखा?
तूने हवा थी जून कि भरी दुपहरी में,
सुखाया था पसीने से भींगे मेरे तन को,
तूने भी छीन ली मेरी सांसे?
तोड़ दी तूने भी मेरी आशे?
                                                     
खड़ा था तुझपे ही मेरे टेबल,
सवाल तुझसे भी है मेरे टेबल?
किताबें रखता था तेरे ऊपर
बिताए थे तेरे साथ रोज दस -दस घंटे
खिसक गया था तू भी मेरे पैरों तले से
क्या मेरी दोस्ती तूझे रास नहीं आती थी?
।                                    रस्सी ,पंखे,टेबल तेरा गठजोड़ निराला था।
कुछ देर हिला था,आंखो तले अंधेरा था, काने सुन्न थी,
फिर सब शांत था!
सब कुछ शांत था!

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Gulshan Kumar

बसंत की सुनहरी धूप में
मुझे छत पर ले गई थी तुम,
घुटनों पर सुलाकर पूरे बदन 
पर सरसों का तेल मला था।
                        कभी आंखों से इशारें ।                  कभी होंठो से पुचकारती
तुझे देख मैं खिलखिलाकर हसा था।
फिर गोद में लेकर मांथे पे तेल चुपड़ी थी तूने,
चेहरे पे तूने सूखा पाउडर पोता था,
बनाया था तूने ललाट पे एक सुंदर सा चंद्रमा।
उठाकर फिर उछाला था हवा में
लपक के अपने हाथो से,
चूमा था मेरे होंठो और गालों को।
          लुटाई थी जो प्यार तूने मुझपे
वो सब मुझे याद हैं!मेरी मां!
!गुलशन!
happy kiss day! #HappyDaughtersDay2020
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