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kaviommishrafurk1929
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Om Mishra Furkat

DFA,DLT, ब्रज साहित्य पुरस्कृत, आचार्य, Founder (Baba Da Dhaba,Hotel श्री कृष्णा,LRL footwear) उपनाम -फुरकत लेखन कार्य -since 2008

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Om Mishra Furkat

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Om Mishra Furkat

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Om Mishra Furkat

कुछ बचा न हो देने को, तो इल्जाम दे जाओ
जिस्त को सर –ए– ओहदे,अंजाम दे जाओ 
कुछ गम,कुछ खुशियां,कुछ फूल कुछ खिलौने
जिस्त– ए– जुस्तजू का पूरा इंतजाम दे जाओ।।

©Om Mishra Furkat स्वरचित

स्वरचित #विचार

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Om Mishra Furkat

मैं सनातन का अभिरक्षक काशी का शमशान हूं।।

मैं सनातन का अभिरक्षक काशी का शमशान हूं।। #विचार

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Om Mishra Furkat

उजली राख ,श्यामल धुंआ;
सूख गया ,प्यासा कुंआ;
खामोशी,सन्नाटा,चीत्कार की आगोश में
ये कब, क्यूं,कैसे हुआ।।

©Om Mishra Furkat मातम मौत का ।।

मातम मौत का ।। #विचार

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Om Mishra Furkat

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Om Mishra Furkat

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Om Mishra Furkat

वो शाम तुम्हारी यादों में,वो नाम उन्ही फरियादों में 
व्याकुल मन धीर नही धरता, आकुलता भरी मुरादों में
जीवन के उपखंडों का ,तूने खंड विखंड किया तो सही 
तू खेल में ,खेला ,अच्छा है ;फिर क्यूं घिर गया फसादों में

©Om Mishra Furkat वो शाम

वो शाम #शायरी

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Om Mishra Furkat

वो शाम तुम्हारी यादों में,वो नाम उन्ही फरियादों में 
व्याकुल मन धीर नही धरता, आकुलता भरी मुरादों में
जीवन के उपखंडों का ,तूने खंड विखंड किया तो सही ,
तू खेल में,खेला ,अच्छा है फिर क्यूं घिर गया फसादों में

©Om Mishra Furkat वो शाम तुम्हारी यादों में

वो शाम तुम्हारी यादों में #शायरी

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Om Mishra Furkat

"बढ़ती उम्र औ कितना ढल गया हूं मैं 
मुझे नहीं मालूम कितना बदल गया हूं मैं"

©Om Mishra Furkat
  "कितना बदल गया हूं मैं" 
सबकुछ बदल जाता है 

’बदलना बादल को भी पड़ता हैं ’ Suman Zaniyan Raghav Mishra Endless Knots

"कितना बदल गया हूं मैं" सबकुछ बदल जाता है ’बदलना बादल को भी पड़ता हैं ’ Suman Zaniyan Raghav Mishra Endless Knots #विचार

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