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nirbhaychauhan6974
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निर्भय चौहान

Nirbahay.kumarsingh1@insta अभी जिंदा हूँ मैं, अभी शब्द आते है मेरे घर, नगमे,ग़ज़लें, शेर ले कर। अभी लिख सकता हो, मैं अपने जज्बात। जो कभी कह नही पता तुमसे। तुमसे बिछड़ने के बाद, ज्यादा पुख्ता हो गई है चाहत। तुम्हे यकीन न हो मगर। अभी जिंदा हूँ मैं।

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निर्भय चौहान

White मां ने डरते हुए चूल्हा फूंका है। 
बहु गुस्से में है बेटा भूखा है ।।

©निर्भय चौहान #good_night  katha (कथा )  Shiv Narayan Saxena  Mukesh Poonia  नीर  Varun A....

#good_night katha (कथा ) Shiv Narayan Saxena Mukesh Poonia नीर Varun A.... #शायरी

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निर्भय चौहान

White हर कहानी का भला किरदार हूँ मैं।
दर्द का सबसे बड़ा खरीदार हूँ मैं।।

पढ़ के रद्दी में ही डाला जाऊंगा मैं।
आज की ताजा खबर अखबार हूँ मैं।

©निर्भय चौहान #good_night  Varun A....  Shiv Narayan Saxena  Madhusudan Shrivastava  Vishalkumar "Vishal"  करम गोरखपुरिया

#good_night Varun A.... Shiv Narayan Saxena Madhusudan Shrivastava Vishalkumar "Vishal" करम गोरखपुरिया #शायरी

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निर्भय चौहान

White 
पत्थरों का दर्द, अब मैं जानता हूँ 
बाप को सर पर बिठाना  चाहता हूँ 

दौलतों का ढेर ले के, दे मुझे तू
दादी का वो चार आना चाहता हूँ

©निर्भय चौहान #life_quotes  Varun A....  Madhusudan Shrivastava  Rakhee ki kalam se  vandan sharma  Shiv Narayan Saxena  हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' दोस्ती शायरी शायरी वीडियो शायरी हिंदी

#life_quotes Varun A.... Madhusudan Shrivastava Rakhee ki kalam se vandan sharma Shiv Narayan Saxena हिंदी शायरी 'दर्द भरी शायरी' दोस्ती शायरी शायरी वीडियो शायरी हिंदी

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निर्भय चौहान

White सब ही झूठे हैं।
स्त्री पुरुष में तलाश रही है स्त्री,
और स्वयं में ढूंढती है पुरुष।

पुरुष स्त्री में तलाशता है भोग,
और स्वयं में धर्म।

धर्म लोगों पे तलाशता है नैतिकता,
और स्वयं में प्रेम।

प्रेम जगत से करता है आशा स्वीकृति की,
और स्वतः स्वीकारता है जात धर्म ।

जात दुनिया में तलाशती है भाईचारा,
भाईचारा ढूंढता है पुरुष।

पुरुष फिर स्त्री तलाशता है।
स्त्री पुरुष।
जन्मजात नंगे लोग उत्साहित है नंगे होने को।
हमेशा।
नंगे लोग  कपड़े पहनते है।
जैसे नेता टोपी और प्रेमी चश्मा लगाता है।
एक शैतानी खोपड़ी दूसरे की भूखी आंखे पर्दे में है।
कोई तो राह है होगी जहां स्त्री अपनी कोमलता को ,
पुरुष अपनी दृढ़ता को,
धर्म एकता को,
प्रेम नम्रता और विश्वास को,
जाती मानवता को चुन कर भोगे अपना होना।
मूल का ही मोल है।
बाकी सब ढोंग है।

सब झूठ है।

©निर्भय चौहान #sad_quotes  Kumar Shaurya  vandan sharma  Madhusudan Shrivastava  नीर  करम गोरखपुरिया

#sad_quotes Kumar Shaurya vandan sharma Madhusudan Shrivastava नीर करम गोरखपुरिया #कविता

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निर्भय चौहान

White गहरी आँखे ढीला कुरता सख़्ती पेशानी 
वफ़ा मोहब्बत धोखा कुर्बानी शायर यानि ?

©निर्भय चौहान #love_shayari  'दर्द भरी शायरी' शायरी लव दोस्त शायरी शायरी वीडियो हिंदी शायरी Kumar Shaurya  vandan sharma  वरुण तिवारी  Rakhee ki kalam se   करम गोरखपुरिया

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निर्भय चौहान

White  
हर किसी का ख्वाब होना है बुरा। 
गैर बच्चे का खिलौना है बुरा ।

ट्रेन की पटरी बराबर चलती है ।
एक मन का बोझ ढोना है बुरा ।

 
इश्क में शादी मुनादी ठीक है। 
ओयो का बिस्तर बिछौना है बुरा ।।

©निर्भय चौहान #love_shayari
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निर्भय चौहान

White जिसे धोखा मिला प्यार में 
अब छप  गया अखबार में 
माहिर हो गया है लड़का 
हिरणियों के शिकार में

©निर्भय चौहान #good_night
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निर्भय चौहान

White उसने आंखों से बहा कर भुला दिया है हमें।
हमने भी दिल में बसा कर उसे सज़ा दी है।

©निर्भय चौहान #good_night  शायरी लव रोमांटिक शायरी हिंदी में हिंदी शायरी दोस्त शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी करम गोरखपुरिया  Kumar Shaurya  vandan sharma  वरुण तिवारी  Madhusudan Shrivastava

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निर्भय चौहान

White राम थे आधार त्याग और संस्कार के।

कृष्ण चक्र बन गए इस दुखी संसार के।।

दुष्ट का संहार कर,राम राज्य लाये थे।

स्वजनों को मार कर,कृष्ण धर्म पाये थे।

राम जी के धैर्य का द्वंद कृष्ण हो गए।

राम जब हुए स्वछंद,राम कृष्ण हो गए।।

 

एक निष्ठ राम में,निष्ठ रह गई सिया।

सुख मिला था राम से,राम ने ही दुख दिया।।

राम पथ अडिग रहे,रघुवंश की जय रहे।

स्वयं शोक से रही,राम को न भय रहे।।

प्रेम पूर्ण न बने,स्कन्द कृष्ण हो गए।

सिया के प्रेम के सभी छंद कृष्ण हो गए।।

राम तप थे ,योग थे।

वियोग में सधे रहे।

कृष्ण कर्म भोग थे,

संयोग से बंधे रहे।

 

राम काल पुष्प थे,

मकरंद कृष्ण हो गए।।

राम थे मलय सदृश 

सुगंध कृष्ण हो गए।

 

हो सको तो राम हो,कल्याण पथ बनाओ तुम।

न हो सको तो कृष्ण बन,युद्ध रथ चलाओ तुम।।

नीति और प्रेम,दोनों ही पूर्ण कीजिये।

धर्म से रहे धरा,खुद को कर्ण कीजिये।।

राम के तीर थे ,जो मन्द कृष्ण हो गए।।

राम धर्म रूप थे,आनन्द कृष्ण ही गये।।

 

 

त्याग के आधार पे सुख के सार पा गए।

राम अपने धैर्य से हर दुख से पार पा गए।

कृष्ण स्वयं नियति के प्रहार के उद्गार थे।

धर्म हेतु युद्ध के रथ पे भी सवार थे।

राम थे उदाहरण,प्रश्न कृष्ण हो गए।

राम राम हो गए तो,राम कृष्ण हो गए।

राम जी के धैर्य का द्वंद कृष्ण हो गए।।

सिया के प्रेम के सभी छंद कृष्णा हो गए।।

©निर्भय चौहान #sad_quotes
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निर्भय चौहान

White अनंत में स्वयं की खोज थोड़ी मुश्किल मालूम पड़ती है।
जब अनंत तुम्हारे भीतर भी है तो उसे बाहर क्यों तलाशना।
लघु छुप जाता है और बृहत दृश्य है।
जो दृश्य है उसके पीछे क्यों जाना,ये कैसा अध्यन है।
बड़ा काम तो तब हो जो लघु को ढूंढ सको।
भूसे में ढेर में सुई ढूंढना है आध्यात्म न की पसरी हुई जमीन पे भूसे का ढेर ढूंढना।
केंद्रित हो और ढूंढो,समझो।जो समझ गए तो समझो मिल गया।

वही आनंद वही संतोष जो प्रेम में प्रेयसी के गले लगने पर मिलता है ,
तुम्हें तुम्हारे अंदर मिल जायेगा।
वास्तविक चिरायु प्रेम।
जिस से तुम्हारी उत्पति और अंत का दोनो सिरा जुड़ा हुआ है।
फिर तो दुनियावी प्रेमी तुम्हें बस हमसफर लगने लगेंगे।
प्रेम रह जायेगा भोग मर जायेगा।
क्योंकि यह जन्म ही भोग है।इसके अलावा तो हमने मन को भ्रमित कर रखा है।
भ्रम में न रहो।
आसक्ति से दूर प्रेम करो।इसमें कोई बाधा नहीं है।
परमेश्वर तुमसे यह कभी नहीं पूछेगा कि प्रेम क्यों किया।
यह जरूर पूछ सकता है कि क्यों नहीं किया।
स्वयं से इतनी घृणा में जीते रहे है ,न किसी को प्रेम दे सके ना किसी का प्रेम पा सके।
न ही भीतर कुछ जगा हुआ है,न बाहर कुछ  जागृत है।
अंधेरे में हाथी टटोल के पहचानते हुए तुम में से
 जिसे हाथ जो लगा उसने वैसा ही बताया हाथी को।
जिसने कान पकड़ा,जिसने पैर ,जिसने पूछ ,
सबने अपने हिसाब से अलग अलग व्याख्या कर दी।
व्याख्या का शौक इस कदर हावी है की नशा हो रहा है।
आंख मूंद कर तीर चलाए जा रहे है।
उठो जागो और हाथी देखो।
तुम फिर आनंद में डूब जाओगे और अपनी बचकानी व्याख्याओं पे मुस्कुराओ।
राधे राधे

©निर्भय चौहान #good_night  आज का विचार 'अच्छे विचार' शुभ विचार शुभ विचार अच्छे विचारों

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