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deepakchauhan1509
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Deepak Chauhan

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Deepak Chauhan

Song name - अंखियां ताके तुझे..
Lyrics by - दीपक चौहान

कितने दिन बीत गए, 
ना आया तू पर याद तेरी आयि,
लागे राते बुरी कैसी तेरी ये जुदाई,
अंखियां ताके तुझे..
अखियां ताके तुझे सारी सारी रात,
अखियां ताके तुझे.......।।1।।
एक तो मेरा रब भी खोया,
दुजा कहीं खोया तू माही,
दूजा खोया तू माही,
कैसी तेरी ये खुदाई,
अंखियां ताके तुझे..
अंखियां ताके तुझे सारी सारी रात,
अंखियां ताके तुझे.. । 2। 
एक तो तेरा चेहरा भोला,
दूसरी तेरी आंखे गहरी,
डूबा डूबा रहता हूं अब,
पास नहीं है अब फिर भी कैसी पहेली,
ओ अंखियां ताके तुझे,
अखियां ताके तुझे सारी सारी रात,
अंखियां ताके तुझे....

©Deepak Chauhan #Rose
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Deepak Chauhan

ये बूंदे जब तेजी से मेरी छत से टकराती है,
मै बयां नहीं कर सकता कि मुझे कितना भाती है,
ये मदहोश आवारा रात है,
बादलों की गड़गड़ाहट उफ्फ साथ है,
चमक रही है बिजली तमस चीरने को,
उत्सुकता बड़ी व्यापक है भीगने को,
मन के घोड़ों को क्या तेज मिला,
गहन चिंतन से बुद्धि को विवेक मिला,
प्रतीत होता है ये मेघों की गड़गड़ाहट नहीं है,
प्रतीत होता है आकाश में होता संग्राम कहीं है,
गाजे बाजे ओर नगाड़े की उठती ध्वनि तेज यही है,
या अश्व रथ लिए दौड़ते क्षितिज पर उनकी आवाज यही है, 
- दीपक चौहान

©Deepak Chauhan
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Deepak Chauhan

गोते लगाएं बैठे हैं मन की गहराइयों में
नहीं नहीं यह ठीक नहीं हो रहा है,
सब कुछ हो रहा है इस जहां में,
मगर एक भय है मन में जो विशाल हो रहा है,
अब तो समय भी बड़ा विकट आ खड़ा है दहलीज पर,
भ्य जागृत हुआ है अंकिंचन मन में तमिर घनघोर छा रहा है,
विनाश की वीणा सुनी है मैने क्या प्रकंपित धुन है,
साज सज्जा से सुशोभित है वो रथ जिसमें स्वयं काल आ रहा है,
घने मेघ,तेज तूफान, प्रयलंकारी जल की लहर एक मण्डली में है,
मेघो के गाजे- बाजे संग भव्य संहार आ रहा है,
क्या जीवाणु क्या विषाणु सभी भूखे बन गए है,
ये जटिल अवस्था बनी स्वयं भू चाल तीव्र आ रहा है,
गोते लगाएं बैठे हैं मन की गहराइयों में
नहीं नहीं यह ठीक नहीं हो रहा है,
- दीपक चौहान

©Deepak Chauhan #stay_home_stay_safe
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Deepak Chauhan

तराशा है खुद को विरानियों से 
गुजर कर मै एक नाम बनाना चाहता हुं,
आजाद कर दिया है अब ख्वाहिशों को इन बेड़ियों से
हल्का होकर ऊंचाईयों में उड़ना चाहता हूं,
बड़ा जोर था उम्मीदों का इस बेजान दिल पर,
तोड़ कर सारे बंदनो को मै आजाद होना चाहता हूं,
बड़े दिन हो गए है इन शहरों को खांकते हुए,
मंजर है देखने को कि मै अब घर जाना चाहता हूं,
बड़े दिन बित गए है मानों एक अरसा सा निकल गया,
मिलकर दोस्तों से में ये खामोशी का सिलसिला तोड़ना चाहता हूं,
प्यार अफवाह है इस दौर में ये कहीं सत्य तो है,
फिर भी आजमाकर मै वफ़ा का सलीका 
कसूर होते नजदीकी से देखना चाहता हूं,
अरे ! तुम तो जाने पहचाने लगते हो शायद तुम्हे कहीं देखा है,
अब आ ही गए हो तो जरा तुम्हारी नब्ज़ को  देखना चाहता हूं,
नहीं - नहीं इतना भी आसान नहीं है यहां जी पाना,
अच्छा दौलत के मालिक हो तुम मै तुम्हारा तरीका देखना चाहत हूं, 

            - दीपक चौहान

©Deepak Chauhan #Corona_Lockdown_Rush
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Deepak Chauhan

बड़ी विडंबना मेरी हृदय में राग उठे,
सोच सोच घन खो जाऊं,
अकिंचन मन से ना साथ छूटे,
थी नहीं यह जटिलता अगर शिथिल मन हो जाता,
कोंदते विचारों को अगर मंच मिल जाता,
सपने है कोटि जन के,
पल भर में धनवान बन जाऊं,
सोया रहूं बस बिस्तर पर,
बैठे - बैठे मौज मनाऊं,
हो जाए दुश्मनी भाई से,
दौलत पाने को देखा है,
स्त्री, वृद्ध ओर गरीब को,
खाते ठोकर देखा है,
मानवता अब तार-तार है,
उठता मन में भव्य अहंकार है,
कौन साथी ओर किसका,
चिंतित करता यह सवाल है,
अरे मुझे ये चक्षु ना दो,
मुझे परम सत्य दिखता है,
करुणा के सागर पर डूब कर,
मुझे हर कोई अपना दिखता है,
कोई मांगे तो सर्वस्व लौटा दूं,
कर्म का पथ मुझे दिखता है,
 - दीपक चौहान

©Deepak Chauhan khud ke vichar 

#Drops

khud ke vichar #Drops

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Deepak Chauhan

मौजूद बेशकीमती नगीनों में,
एक कोहिनूर सा शक्स गुमसुम है,
रिश्तों में जिन्होंने तरशा है हीरों को,
खुद के ही कत्ल में वो शक्स मासूम है।
अरे हमने देखा है उसे जीवन के लिए संघर्ष करते हुए ,
 अश्रुओं की झील को मुस्कान से भरते हुए,
सत्य वचन है कि प्रेम का ढाई अक्षर है अधूरा,
 पर मनोभूमि पर प्रेम खेल खेला है पूरा।
 परदेशी परिंदे अक्सर सदाबहार घोसला कम बनाते है,
निचोड़ लेते है बागानों का सारा नूर फिर लौट जाते है,
 कुछ विकट परिस्थितियां ऐसी भी आयी,
ह्रदय वेदना जड़ अंत तक बड़ी, ठोकर किस्मत ने खाई ।
साथ कोई ओर क्या देता इस विकराल संकट में,
टूट कर चूर हो गया विश्वास,पानी तक अटका कंठ में,
वो शक्स तोड़ कर तुम्हें रूह भी ले गया,
क्या विश्वास, क्या खुशी,जो तुम में मिला वो ले गया ।
संघर्ष अत्यंत जटिल जीने के लिए रोज भीतर तेरे होता रहा,
रूढ़िवादी समाज बड़ा भयंकर तान घर की तू सुनता रहा,
रोज गिरा हर रोज उठने के लिए,रोज साहस जोड़ता रहा,
छिप कर पिए वो अश्रु जिससे कमजोर तू दिखता रहा। 
इस मतलबी दुनिया में मतलब हजारों तुम्हारे है,
कोई देख सके तुम्हारी नयनों की झीलों पर वो तुम्हारे है,
क्या वेदना लिखूं तुम्हारे जीवन संघर्ष की,
दीपक की कलम अनंत जानती है,
हूं कृतघ्न तुम्हारा हे ! मिक्षु दी तुम्हे सम्मान योग्य मानती है.......🙏

©Deepak Chauhan #colours
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Deepak Chauhan

गुलाल ओर तेरे गाल,
गजब का कहर ढा रहे है,
अब इन्हें छु कर इश्क का उदघोष करे,
या नयनों को भरपूर भर दे तेरे नूर से,
ये फिजाओं में रंग भी सतरंगी है,
तेरे हाथों से फेंका हर रंग मेरी उत्तेजना का संगी है,
ना ये दूर तलक तुमसे जाना चाहता है,
उड़ कर हवाओं में फिर तुम तक आना चाहता है,
क्या हुसन वाले नाज करेंगे अपने हुसन पर,
ये हवाएं कुछ तो शरारती हो गई है तुम्हें छु कर,
लाल, नीला, पीला, अरे क्या रंग का राग जपु,
मिल गए है तुम्हारे दीवानों से ये क्या इन्हें दूरियों में नपु,
 बरस रहे है आज ये फिजाओं से बादल,
इनका भी कसूर ना रहा,
रंगों के संग में तेरा रंग, कयामत का दस्तूर ना रहा,
 हाय ये बलाएं, ये केशों की भ्रमित लटाएं,
गुस्ताखियां  देखो इनकी,
बार बार चेहरे को छुपा रही है,
मेरा देखना ना गवारा इन्हें मुझे इशारों में बता रही है.........
 - दीपक चौहान

©Deepak Chauhan #holi2021
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Deepak Chauhan

हाय रै ! क्या शुक्रिया करू, ये बादशाह तेरा,
प्याले तेरे, घोड़ा तेरे, शतरंज का खेल भी तेरा,
मै नासमझ जीवनरण में अपनी बुद्धिमत्ता से दांव खेलता रहा,
जो पसंद मुझे वो मिले कामना मेरी, तू अपनी मंद मुस्कान से देखता रहा ।।१।।

क्या भावनाएं कठोर इस जीवन शतरंज पर,
प्याला मेरा,घोड़ा मेरा,मेरे द्वंद में खेलता रहा,
कर्म फल मूल ज्ञान पर, हर्ष ओर पीड़ा जेलता रहा,
अश्रु लूटे,किस्मत के खजाने लूटे,
लुटे वो जो वजीर थे मेरे,
महलों के महल तक लूटे,जो ना लूटे वो सवेरे तेरे ।।२।।

कोई समक्ष ना आया, ह्रदय वेदना भारी बनी,
बस्तियां उजड़ गई हृदय से, दृनिश्चय उर में ठनी,
है नहीं कोई विश्वेश्वर यहां,जो कलंकित मुझे कर जाए,
ह्रदय में गहराई इतनी की, तेरी नफरतें तक फीकी पड़ जाए,
दो कदम तुम आगे बड़ो, चार कदम हम बड़ जायेंगे,
दो कदम तुम पीछे हटों, आठ कदम हम हट जायेंगे,
ह्रदय सागर पर, किसी के लिए ईर्षा नहीं, नफरतें नहीं,
तू चाहे लाख बुरा मेरा, मै चाहूं,ये मेरी फितरत नहीं ।।३।

©Deepak Chauhan शतरंज 

#Light

शतरंज #Light

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Deepak Chauhan

मोहरे 

#MorningGossip

मोहरे #MorningGossip #Life

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Deepak Chauhan

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