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shailendrasingh5193
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Shailendra Singh

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Shailendra Singh

जनवरी की बात है गए थे हम बारात
कुछ पुराने यार भी गए थे अपने साथ
इठलाती मोहतरमा पर ज्योंही नज़र पड़ी
यारों की एक दूसरे  से शर्त लग गई
नाम उसका पूछने की तय हुई थी बात
एक बोला हम तो लेंगे सेल्फी उसके साथ
शर्त के मुताबिक वो आगे चल दिया
नाम पूंछा उसका फिर हाथ पकड़ लिया
देखते ही ये सब  मै तो घबरा गया
ऐसा लगा कालेजा मेरा मुँह को आ गया
देखते ही देखते बिगड़े  ऐसे  हालात
फिल्मी स्टाइल में शुरू थी जूता लात
मौका मिलते ही मैं वहां से  निकल लिया
कुछ भी न खा सका भूखा ही घर गया
पैदल ही आया घर तक कोई भी था न साथ
कान पकड़े खाई कसम न जाऊंगा बारात बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

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Shailendra Singh

जनवरी की बात है गए थे हम बारात
कुछ पुराने यार भी गए थे अपने साथ
इठलाती मोहतरमा पर ज्योंही नज़र पड़ी
यारों की एक दूसरे  से शर्त लग गई
नाम उसका पूछने की तय हुई थी बात
एक बोला हम तो लेंगे सेल्फी उसके साथ
शर्त के मुताबिक वो आगे चल दिया
नाम पूंछा उसका फिर हाथ पकड़ लिया
देखते ही ये सब  मै तो घबरा गया
ऐसा लगा कालेजा मेरा मुँह को आ गया
देखते ही देखते बिगड़े  ऐसे  हालात
फिल्मी स्टाइल में शुरू थी जूता लात
मौका मिलते ही मैं वहां से  निकल लिया
कुछ भी न खा सका भूखा ही घर गया
पैदल ही आया घर तक कोई भी था न साथ
कान पकड़े खाई कसम न जाऊंगा बारात
शैलेन्द्र बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

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Shailendra Singh

जनवरी की बात है गए थे हम बारात
कुछ पुराने यार भी गए थे अपने साथ
इठलाती मोहतरमा पर ज्योंही नज़र पड़ी
यारों की एक दूसरे  से शर्त लग गई
नाम उसका पूछने की तय हुई थी बात
एक बोला हम तो लेंगे सेल्फी उसके साथ
शर्त के मुताबिक वो आगे चल दिया
नाम पूंछा उसका फिर हाथ पकड़ लिया
देखते ही ये सब  मै तो घबरा गया
ऐसा लगा कालेजा मेरा मुँह को आ गया
देखते ही देखते बिगड़े  ऐसे  हालात
फिल्मी स्टाइल में शुरू थी जूता लात
मौका मिलते ही मैं वहां से  निकल लिया
कुछ भी न खा सका भूखा ही घर गया
पैदल ही आया घर तक कोई भी था न साथ
कान पकड़े खाई कसम न जाऊंगा बारात

शैलेन्द्र बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

बारात की कुछ खट्टी मीठी यादें

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Shailendra Singh

प्यार की कश्ती में, भँवरों में सिमट जाता है अक्सर ख्वाबों का सफर
हर एक सफ़ीना को साहिल नही मिलता

शैलेन्द्र अधूरे ख्वाब

अधूरे ख्वाब

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Shailendra Singh

उनसे मिलकर जो मैंने आईना देखा

न जाने अपनी सूरत में ऐसा क्या देखा

उड़ती ज़मी ठहरा आसमान नज़र आने लगा

संग उनके जो ख्वाबों का आशियाँ देखा


शैलेंद्र अहसास

अहसास

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Shailendra Singh

आज फिर मुस्करा रहा हूँ मैं
आज फिर उसने दिल तोडा है मेरा
आज फिर आँखों से ख्वाब ओझल है
आज फिर चाँद रूठा है मेरा अहसास

अहसास

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Shailendra Singh

दिल वो कहते है मेरा गुस्सा मेरे लफ़्ज़ों पे भारी है
जो बन बैठे हैं हम अब,न ये सीरत हमारी है
सुनो हो जाता हूँ खामोश मैं,इसलिए शायद
मुझे खुद से भी ज़्यादा फिक्र तुम्हारी है
शैलेन्द्र #दिल
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Shailendra Singh

अल्फाज़ हैं मगर, हर रोज़ दिल को खरोंचती हैं तेरी यादें



मैं हर रोज़ तेरे वादों का मरहम लगाता हूँ #alfaz शैलेन्द्र

#alfaz शैलेन्द्र

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Shailendra Singh

किसी कि उम्मीद किसी का इंतज़ार भी रख

ये एहसास ज़रुरी है ज़िन्दगी के लिए #hatred शैलेन्द्र

#hatred शैलेन्द्र

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Shailendra Singh

#OpenPoetry रखा नौ माह कोख में,पिलाया खून छाती का
तुझमें जान फूंकी की है,तू बूत था एक माटी का
बिना तेरे कुछ बोले वो,सब कुछ जान लेती थी
तू भूखा है या सोएगा,पल में पहचान लेती थी
सुलाकर तुझको आँचल में,रात भर लोरी गाती थी
वो माँ ही थी जो रह भूखी,क्षुधा तेरी मिटाती थी
कदम दो चार चलने पर तेरे,वो झूम जाती थी
ज़रा सी चोट लगने पर वो माँ आँसू बहाती थी
तेरे रोने मचलने पर पर,तेरे सदके कराती थी
मज़ारों और मंदिर में,वो नंगे पाँव जाती थी
पहली बार जब तूने उसे,माँ कह बुलाय था
खुशी से छलकी थी आँखे,गला उसका भर आया था
हुई बूढ़ी है अब वो माँ,समय का चक्र बदला है
जवां हो अब वो बेटा,कमाने घर से निकला है
है अचरज़ बेटे को याद,उसकी न आती है
कंपकपाते हाथ उसके,वो माँ आँसू बहाती है
कोइ पूंछे जो उससे अब,कि तेरा बेटा कैसा है
कहती मुस्कराकर वो न कोई उसके जैसा
मेरे बेटे के होते मुझे कोई गम नही है 
मेरा बेटा किसी श्रवण से कम नही है
लिखूँ अब और क्या माँ को कलम, अब साथ ना देती
माँ का मातृत्व लिखने को,उम्र है ये बहुत छोटी #OpenPoetry
माँ

#OpenPoetry माँ

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