सब राख,सब खाक ,सब धुआं धुआं।
एक जिस्म, एक जान ,सब धुआं धुआं।
स्याह रात,धुंधली याद ,सब धुआं धुआं।
बरसों की दबी एक टीस,
उस पर जिंदगी से खीज,
सब धुआं धुआं।
उम्मीद से न-उम्मीदी का सफर,सब धुआं-धुआं।
-D.S.Bangari #Fire#Quote#Knowledge#poem#poem✍🧡🧡💛
कितना कुछ सिर्फ बुना रह जाता है,दिमाग में
जब दो लोग बिछड़ते है
न जाने कितने ही अजन्मे शब्दों का कत्ल हो जाता है।
जिनका जन्म होना बाकी रह गया था,
वक्त के साथ बीतते उस रिश्ते में।
#Brackup#End#alone
Durga Bangari
Mukesh Poonia Brijesh Maurya ittu Sa
जब मैं जग पड़ता हूं तुम्हारी याद में,
रात में।
मैं फिर ढूढ़ता हूं,
घर का एक सुनसान कोना
या
खड़े हो जाता हूं खिड़की पर।
बस..... #Poetry#Intjaar