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ritusharma9326
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Ritu Nisha

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Ritu Nisha

मुझे मेरे हुनर से कम आंकते है लोग। 
मुझको मेरे लफ़्ज़ों से नापते है लोग। 

कभी मेरी सिफ़त ए सुखन नहीं देखते, 
शायरी में बस मेरे ग़म भाँपते है लोग। 

जबकि दर ओ दिल सदा खुले रखे मैंने, 
फ़िर भी खिड़कियों से झाँकते है लोग। 

ज़रा सा गर इनसे हट कर के चल पड़ूँ, 
क्यों आँखें बड़ी कर कर तांकते है लोग। 

कुछ कहकर चार लोगों में मुकर जाएंगे, 
कहे पर खरे उतरने से कांपते है लोग। 

इक्का दुक्का ही कुछ कर बैठता है निशा, 
बाकी तो बातों से आसमाँ टापते है लोग।

©Ritu Nisha
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Ritu Nisha

White कायनात ये क्या फ़रेब कर गयी। 
मैं जवाँ हुई तो मेरी माँ ढल गयी। 

हम दोनों ने ऐसे उस पर मुझे चुना, 
मेरे शौक़ बड़े उसकी ज़रूरते मर गई। 

होना क्या ही है मुझे उसके साथ रहते, 
मेरे लिए तो वो नसीब से लड़ गई। 

मैंने अपना बहुत बिगाड़ कर भी देखा, 
उसके पास आते हालत सुधर गई। 

मुझे हमेशा अपने नक़्शे पा पर चलाती रही, 
ख़ुद काँटे उठाती गई जिधर जिधर गई। 

मैंने उसके नाम पर तख़ल्लुस रखा निशा, 
और तहरीर पर नेमते ख़ुदा पड़ गई।

©Ritu Nisha #goodnightimages
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Ritu Nisha

White ये क्या के हर कदम फ़िसल जाइए। 
ख़ुदा का वास्ता है संभल जाइए। 

नन्ही आवाज से कोई सदाएँ देता है, 
कब तक़ अड़े रहेंगे पिघल जाइए। 

जिन गलियों से उक़्ता कर आ चुके कभी, 
फ़िर अब क्यों वहाँ आज कल जाइए। 

थोड़ा तो अपनी हसरतों का वज़न बड़ाईए, 
चलती हवा के साथ न चल जाइए। 

अफ़्ताब भी उतरता है रोज़ एक किनारे पर, 
आप भी किसी आँगन में ढल जाइए। 

चाहने के लिए भँवरे की न तासीर अपनाइए, 
परवाने के जैसे शम्मा में जल जाइए। 

दिलवालों की दिल्लगी कभी न हुई निशा, 
आप भी इस सैलाब से निकल जाइए।

©Ritu Nisha #GoodMorning
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Ritu Nisha

तीर छोड़ते है कमान नहीं छोड़ते। 
लड़ने वाले कभी मैदान नहीं छोड़ते। 

मेहमाँ आते है जाते है गाहे गाहे, 
घर वाले कभी मक़ान नहीं छोड़ते।

इन बेअदबी नौजवानों से कोई कहे, 
लफ़्ज़ छोड़ते हैं ज़ुबान नहीं छोड़ते।

जितना कर पाए ख़ुद करता जा बन्दे, 
दोस्त तो मौक़ा ए एहसान नहीं छोड़ते। 

दुनिया में जाने कितने क़िस्म के लोग है,
ईमान वाले तो कभी ईमान नहीं छोड़ते। 
 
कामयाबीयों को सर चड़ाने वालों सुनों, 
वक़्तो नसीब नामो निशान नहीं छोड़ते। 

दौरे आज में सब सही है इंसांनियत के सिवा, 
हैवान छोड़ देते है इंसान नहीं छोड़ते। 

अपनी यादें बातें सब साथ लेकर जाया करो, 
जाने वाले पीछे सामान नहीं छोड़ते। 

कितना अलग अनोखा अजीब लगना है निशा,
यूँ लोगों को हमेशा हैरान नहीं छोड़ते।

©Ritu Nisha #love_shayari
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Ritu Nisha

White एक हद तक किसीको चाहे कोई। 
उसके बाद भूल जाए कोई। 

यक़तरफ़ा मोहब्बतें सिर्फ़ कहानियों में अच्छी, 
क़िब्ला असल में न निभाए कोई। 

बाज़ार ए इश्क़ में दिन दिन में घूमों, 
इधर रात में न नज़र आए कोई। 

बड़े लाड से पले है ये सच्ची माँ के बच्चे, 
इनकी ज़वांनीयाँ न खाए कोई। 

सफ़र को ज़िंदगी मान चुके है जो लोग, 
उनको मंज़िल न दिखाए कोई। 

वो दिवाने है और दिवानगी में खुश है, 
उन्हें ठोकरों से न बचाए कोई। 

एक मअसल्ला तेरा भी तो है निशा, 
भूलता नहीं है भुलाए कोई।

©Ritu Nisha #good_night
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Ritu Nisha

White सारी खुशियाँ दिला सकते हो क्या? 
तुम मेरे लिए मुस्कुरा सकते हो क्या? 

बहारों का मौसम तो चला गया, 
पतझड़ में गुल को खिला सकते हो क्या? 

बुलबुल उदास बैठी है शाख पर, 
एक गीत उसके लिए गा सकते हो क्या? 

कैसी होती है कहकशाँ ओ ज़न्नात, 
ज़मीं पर रहकर दिखा सकते हो क्या? 

जहाँ भर में या तो शोर है या सन्नाटा, 
अपने सीने पर मुझे सुला सकते हो क्या? 

ज़िंदगी की कड़ी धूप बेहोश कर रही है, 
तुम अपनी छाँव में मुझे ला सकते हो क्या? 
 
सियाह रात के बड़ते चड़ते पहरों में निशा, 
कुछ दिए अपनी आँखों से जला सकते हो क्या?

©Ritu Nisha #love_shayari
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Ritu Nisha

अंधेरों में ढूंढे उजाले कोई। 
इस घर को बचाले कोई। 

क्या जाए ख़ुदा के बन्दों का, 
मेरे लिए भी हाथ उठाले कोई। 

जाने कबसे उलझनों में कैद हूँ, 
मुझे मेरे अंदर से निकाले कोई। 

जो हो चुका वो हो चुका न अब, 
बातों को न हवा में उछाले कोई। 

बाद ए शब ए ग़म देखूँ आफ़ताब, 
अगर आना अबके न टाले कोई।

ख़ुद ख़ुद की दुश्मन बन बैठी हूँ, 
मुझे मेरी राह से हटाले कोई। 

वो जिसने मुझे तोड़ दिया था निशा, 
मुझे करे उसके हवाले कोई।

©Ritu Nisha #sad_qoute
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Ritu Nisha

White फ़रेब नहीं है उसमें बिलकुल बच्चा है। 
मेरे साथ नहीं वो सबके साथ अच्छा है। 

कस्में वादे मगर तमाम भूल जाता है, 
हिसाबों के मामले में बहुत कच्चा है। 

झूठ कहते वक़्त कह देता है के झूठ है, 
अब तुम सोचो वो कितना सच्चा है। 

कहूँ क्या उसकी नन्ही सी ज़ाँ के बारे, 
रेत का घर काँच की डिब्बी में रक्खा है। 

मर्ज़ी से क्यों जाए इन गलियों में कोई, 
दिल के मामलों मे हर कदम पे धक्का है। 

सोचते हैं अबके भी इश्क़ कर ही लें निशा, 
गिरना मैंने ही है ये अलबत्ता पक्का है।

©Ritu Nisha #GoodNight
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Ritu Nisha

उसकी आँखों मे उमड़ते राज़ पसंद है। 
हमको सनम दगाबाज़ पसंद है। 

जाने कब दिल उक़्ता जाए उसकी बेदिली से, 
ये तो पक्का है के वो आज पसंद है। 

एक तो उससे नउम्मीद सी गुहार पसंद है, 
और उस पर उसका एतराज पसंद है। 

ख़ुसरो बुल्लेशाह मीर ग़ालिब फ़राज़ के बाद, 
एक उसी के हमको अलफ़ाज़ पसंद है। 

अब जो पड़े है तो पड़े रहने दो दिवानों को, 
बीमार ए इश्क़ को कहाँ इलाज़ पसंद है। 

क्या करना है सारे शौक़ मिला कर निशा, 
ये क्या कम है के उसे सरताज पसंद है।

©Ritu Nisha #Apocalypse
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Ritu Nisha

White तेरे वादे पर एतबार किसको है। 
तु मिल जाए तो तुझसे प्यार किसको है। 

ये उलझने ये अधूरापन तो ज़िंदगी है, 
सब मिल जाए तो करार किसको है।

इंसाँ फ़िज़ा का भी तो दिवाना हो सकता है, 
तेरे आने का इंतज़ार किसको है। 

और भी तो खूबसुरत हक़ीक़तें है जहाँ भर में, 
फ़क़त तेरा ही ख़ुमार किसको है। 

ये तन्ज़ ओ शिकायाते सब दिल की तसल्ली को, 
सामने से उससे टकरार किसको है। 

अब ऐसा भी क्या है के जिया न जाए निशा, 
मसाइल है पर हद से पार किसको है।

©Ritu Nisha #rajdhani_night
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