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monikasingh3271
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Monika singh

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Monika singh

हे नारी! तुम जगकर्ता हो, जगभर्ता हो,तुमसे ही ये सारा संसार।
न उठे उँगली कोई तुम्हारे अस्तित्व पर,
कि ऐसे रखो अपनी मर्यादा का मान ।
तुम हकदार हो स्वतंत्रता की,
किन्तु स्वतंत्रता का भी अपना एक पर्याय।
लाज रखो सदैव अपने स्वातंत्र्य की,
तुम हो ईश्वर की अद्भुत काय।
तुम मान हो, सम्मान हो, अभिमान हो, पौरुष का, 
परन्तु तुम ही हेतु भी महाभारत की। 
हे नारी तुमसे ही ये समस्त समाज, तुम्हीं इसकी आधारशिला, 
गौण हैं सभी, तुम हो मुख्य निर्माण कला ।।
यदि असभ्य हुआ तो,
 जिम्मेदार प्रथमतया तुम्हीं होगी इसकी।
सो मान रखो, स्वाभिमान रखो,
और अधिकाधिक ध्यान रखो,
हे नारी! तुम जगकर्ता हो, जगभर्ता हो,
तुमसे ही ये सारा संसार।।

©Monika singh

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Monika singh

सुनो! 
दिन आज का कुछ खास है, 
मुलाक़ातों से बढ़कर बात कसमों तक आयी आज है, 
तो आज एक वादा मुझे भी करना है तुमसे, 
 जो भी रह गुजर हो जिन्दगी में अब 
चलना तुम्हारे साथ है, 
कंटीले हो, पथरीले हों या हों अब सुनहरे सफ़र ये जिन्दगी के, 
 रहना अब तेरे साथ है। #Happy_promise_day
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Monika singh

तेरे जैसा यार कहाँ वक्त का तकाज़ा कुछ यूं बदला,
कि कभी हम बदले और  कभी एहसास बदले,
कभी हसरतें बदलीं  तो कभी हालात बदले,
सफ़र  ये यूं सरल ना बना जिंदगी का,
 क्योंकि मौसमों के दरमियाँ जो ना बदला, 
वो यारा!तेरी यारी का तराना था। 

कभी टूटे शैल संकटों के, तो कभी वेदनाओं की खाई आयी,
 कभी ढहते दिखे ख्वाहिशों के घरौंदे, 
तो कभी तूफ़ान आफ़तें संग लायी, 
यूँ ही नहीं जिन्दगी की रीत में मुस्कराते रहें हम 
यारा! ये तेरी यारी ही तो है जिसकी वज़ह से खिलखिलाते रहे हम। #यारा तेरी यारी ❤️😍

#यारा तेरी यारी ❤️😍

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Monika singh

लोरी आज फिर से बचपन याद आया,
आज फिर से वो गुस्ताखी करके
तेरे आँचल मे छुप जाना याद आया,
याद आयें वो बचपन के ज़माने, 
जो अठखेलियाँ कर मैंने तेरे साथ बिताए, 
आज भी याद है मेरी किलकारियों पर वो तेरा मुस्कराना, 
मुझे रात-भर लोरी गाकर सुलाना,
माँ! याद है मुझे तू फुसलाकर खिलाती थी खाना, 
कुछ भी ना भूलीं हूँ मैं,माँ! 
बस कभी कभी ही उन एहसासों से रुबरू होती हूँ, 
जब अन्दर से थकी, हारी, टूटी होती हूँ ।
आज फिर से नींद ना आती है माँ!
आज फ़िर से तेरी याद सताती है माँ!
हाँ! जानती हूं अब तू लोरी गाकर  ना सुलाएगी,
बड़ी हो चुकी हूँ यही एहसास दिलाएगी, 
पर, ख्वाहिशों और अरमानों के इस सफर में, 
तेरी गोद ही जन्नत नज़र आती है, 
माँ! तेरी लोरी बहुत याद आती है। #माँ तेरी लोरी

#माँ तेरी लोरी

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Monika singh

पंख और आसमाँ एक ख़्वाबों का फ़ैला आसमाँ,
और एक ख्वाहिशों का कारवाँ,
ये दो अशफ़ाक मिले हैं,
तमन्नाओं के आज़ाद पंखों को,
पूरे करने को दिल के अरमाँ।
चल उड़ चलें कहीं दूर,
इस नील गगन में,
लिखने,अपनी जिन्दगी की एक नई अफ़सना #ख्वाहिशों की उड़ान

#ख्वाहिशों की उड़ान

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Monika singh

पंख और आसमाँ एक ख़्वाबों का फ़ैला आसमाँ,
और एक ख़्वाहिशों का कारवाँ,
ये दो अशफ़ाक मिले हैं,
तमन्नाओं के आज़ाद पंखों को,
पूरे करने करने को दिल के अरमाँ,
चल उड़ चलें कहीं दूर,
इस नील गगन में,
लिखने अपनी की एक नई अफ़सना। #ख़्वाबों की उड़ान

#ख़्वाबों की उड़ान

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Monika singh

हम, भारत के लोग  हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। #संविधान दिवस 🙏🇮🇳

#संविधान दिवस 🙏🇮🇳

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Monika singh

हम, भारत के लोग  हम, भारत के लोग, भारत को एक संपूर्ण प्रभुत्वसंपन्न समाजवादी पंथनिरपेक्ष लोकतंत्रात्मक गणराज्य  बनाने के लिए, तथा उसके समस्त नागरिकों को
सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय, विचार, अभिव्यक्ति, विश्वास, धर्म और उपासना की स्वतंत्रता, प्रतिष्ठा और अवसर की समता, प्राप्त कराने के लिए,
तथा उन सब में,
व्यक्ति की गरिमा और राष्ट्र की एकता और अखण्डता सुनिश्चित कराने वाली, बन्धुता बढ़ाने के लिए,
दृढ़ संकल्पित होकर अपनी संविधानसभा में आज तारीख 26 नवम्बर 1949 ईस्वी (मिति मार्गशीर्ष शुक्ल सप्तमी, संवत दो हजार छह विक्रमी) को एतद् द्वारा इस संविधान को अंगीकृत, अधिनियमित और आत्मार्पित करते हैं। #भारतीय संविधान दिवस🙏🇮🇳

#भारतीय संविधान दिवस🙏🇮🇳

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Monika singh

बेवफ़ा ना वो थे ना हम,
बस सरगुजिश्त कुछ यूं थी कि
वफ़ा ना वो कर सके ना हम। #नामुक्कमल मोहब्बत

#नामुक्कमल मोहब्बत

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Monika singh

आँचल मैं नन्ही सी जान जब इस दुनिया में आयी,
क्या पता था रिश्तों-नातों का मोह मुझे,
मैं तो रोती बिलखती रही कि कहां भेजा ऐ खुदा! तूने मुझे,
फिर कुछ अजीब हुआ, 
जिसका एहसास आज अजीज हुआ, 
एक भीनी सी आँखों वाली चेहरे पर मुस्कान की लाली,
 जिस्म मे बची ना जिसके जान थी ,
पर हिम्मत उसकी परवान थी, 
वो बढ़ी थी मेरी ओर कुछ पाने को, 
मैं डरी सहमी बेचैन सी थी 'कौन है ये' जानने को, 
मुझे क्या एहसास था कि वो बेकरार है मुझपर अपनी ममता लुटाने को। 
उसने मुझे अपनी बाहों में पकड़ा 
और सीने से लगा कसके जकड़ा। 
अब मैं भूल चुकी थी उस बेचैनी को, 
जिसने सवाल किया था उसके होने को। 
वो मेरे जिस्म को छूकर माथे को चूम कर मेरे होने का एहसास करती, 
और मैं निश्चिंतता से उसके प्रेम का रसपान  करती। 
फ़िर कुछ यूँ हुआ कि मैं ढक सी गयी थी , 
जिस भूख का एहसास मैं अपने अंदर दबाये थी वो समझ सी गई थी। 
मेरी भूख मिटाने को, 
तैयार थी वो अपनी लहू का दुग्ध धार बनाने को। 
भूख तो मेरी मिटी थी, 
परंतु तृप्ति उसे मिली थी। 
हुआ ये हसीन वाकिया जिस पर्दे तले उसे आंचल कहती है दुनिया। 
और सौभाग्य मेरा कि ये आंचल भी उस हसीन स्त्री का जिसे माँ! कहती है दुनिया। #माँ का आँचल

#माँ का आँचल

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