A new Geet written by me
Padhiye ....aur apni apni Radha ko bhejiye
मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा
फिर मिलन में है कियूं है बाधा
तेरी आँखों में डूबकर ही बना मैं दीवाना
वरना बन्दा था मैं भी कभी सीधा साधा
मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम
दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम
दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम
Sohail Masroof
मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम
दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम
दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम
Sohail Masroof
तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है
इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है
तुम्हारी बेतहाशा यादों से दिल का मंज़र ही अलग है
ऊपर से दिल-ए-नादाँ की खुवाहिशों का खंज़र अलग है
कितना ही समझाओ इस दिल को कहाँ कुछ समझ आना है