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sohailmasroof9722
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Sohail Masroof

Sohail Masroof-An Engineer Poet

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Sohail Masroof

मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा
फिर मिलन में है कियूं है बाधा
तेरी आँखों में डूबकर ही बना मैं दीवाना
वरना बन्दा था मैं भी कभी सीधा साधा

आजकल की गोपियाँ हैं कितना भाउ खाती
ऊपर से गुस्से से मुँह और फुलाती
तुझे देखने को मैं लाख जतन करता
और तू है की कोने में छिप जाती

तेरे बिन मेरा जीवन है आधा आधा
मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा

तुझको छेड़ने में मज़ा जितना है आता
माखन चुराने में भी कहाँ उतना आता
प्रेम है मुझसे तो आजा बाँहों में मेरी
तेरे बिन मुझसे अब रहा नहीं जाता

तोड़ आ तू ज़माने की सारी बाधा
मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा

तेरे लिए ना जाने कितनी गोपियों को छोड़ा
लेकिन तूने हमेशा मुझसे मुख है मोड़ा
कितनी बार तूने मेरा दिल है तोडा
लेकिन फिर भी मैनें ना कभी तेरा साथ है छोड़ा

सब को छोड़कर मैंने तुझी प्रेम है साधा
मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा

मैं हूँ काला और तू है गोरी
इसीलिए शायद तू मेरे ना होरी
गोपियाँ और भी ही हैं जो बन सकती हैं अपनी
सोच ले फिर तू बहुत पछताएगी छोरी

आ विवाह कर ले मत खा भाउ जादा
मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा

©Sohail Masroof A new Geet written by me
Padhiye ....aur apni apni Radha ko bhejiye

मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा
फिर मिलन में है कियूं है बाधा
तेरी आँखों में डूबकर ही बना मैं दीवाना
वरना बन्दा था मैं भी कभी सीधा साधा

A new Geet written by me Padhiye ....aur apni apni Radha ko bhejiye मैं तेरा कृष्ण तू मेरी राधा फिर मिलन में है कियूं है बाधा तेरी आँखों में डूबकर ही बना मैं दीवाना वरना बन्दा था मैं भी कभी सीधा साधा

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Sohail Masroof

देखा जो मैंने लाइब्रेरी में एक हसीन बाला को

लगा ऐसा की देख रहा हूँ 70's की मधुबाला को

काली काली आँखों वाली न जाने क्या पढ़ती जाती थी

जब जब देखो उसको दिल की धड़कन बढ़ती जाती थी

सिर्फ देखता था उसको हिम्मत ना होती थी उससे बात करने की

लेकिन दिल ने तो ठान ली थी उससे मुलाकात करने की

नज़रें झुकाकर वो तो पढ़ने में मशगूल थी

उसकी नज़रें थी इतनी क़ातिल मानो एक त्रिशूल थीं

हिम्मत करके बोला उससे अजी इतना ना तुम पढ़ा करो

इस मरीज़-ए-इश्क़ की भी कुछ दावा करो

बोली मुझसे देखो मुझको ना तुम परेशान करो

वापस अपनी सीट पर जाओ और अपना काम करो

बोला मैं दो बातें करने में तुम्हारा क्या जाता है

ये आशिक़ पढ़ने नहीं  बस तुम्हारे लिए ही लाइब्रेरी आता है

बोली पढ़ने दो वरना लोग हमको ही निहारेंगे

अगर मार्क्स कम आये तो अब्बा भी तो मारेंगे

प्यार मुझको भी है लेकिन मुझको पढ़ना है

अब्बा कहते हैं तुमको अफसर बिटिया बनना है

फिर उस दिन के बाद उसका लाइब्रेरी आना छूट गया

इस तरह मेरे प्यार का किस्सा बीच में ही छूट गय

©Sohail Masroof
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Sohail Masroof

कैसे करूँ इज़हार-ए-इश्क़ इतनी हिम्मत नहीं है
तुम्हें पाने के सिवा अब कोई और मन्नत नहीं है
कुछ भी अच्छा नहीं लगता अब तुम बिन
तुम्हारी बाँहों के सिवा दुनिया में कहीं और जन्नत नहीं है

©सोहैल मसरूफ़ कैसे करूँ इज़हार-ए-इश्क़ इतनी हिम्मत नहीं है
तुम्हें पाने के सिवा अब कोई और मन्नत नहीं है
कुछ भी अच्छा नहीं लगता अब तुम बिन
तुम्हारी बाँहों के सिवा दुनिया में कहीं और जन्नत नहीं है

©सोहैल मसरूफ़

कैसे करूँ इज़हार-ए-इश्क़ इतनी हिम्मत नहीं है तुम्हें पाने के सिवा अब कोई और मन्नत नहीं है कुछ भी अच्छा नहीं लगता अब तुम बिन तुम्हारी बाँहों के सिवा दुनिया में कहीं और जन्नत नहीं है ©सोहैल मसरूफ़

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Sohail Masroof

किसी की याद में दिल अब तड़पने लगा है
किसी को देखकर दिल अब धड़कने लगा है
किसी की आवाज़ सुनने से सुकून मिलता है दिल को आजकल
लगता है मेरे दिल में अब प्यार पनपने लगा है
©सोहैल मसरूफ़ किसी की याद में दिल अब तड़पने लगा है
किसी को देखकर दिल अब धड़कने लगा है
किसी की आवाज़ सुनने से सुकून मिलता है दिल को आजकल
लगता है मेरे दिल में अब प्यार पनपने लगा है
©सोहैल मसरूफ़

किसी की याद में दिल अब तड़पने लगा है किसी को देखकर दिल अब धड़कने लगा है किसी की आवाज़ सुनने से सुकून मिलता है दिल को आजकल लगता है मेरे दिल में अब प्यार पनपने लगा है ©सोहैल मसरूफ़

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Sohail Masroof

अंदाज़ उसने अपने सारे के सारेे दिखा दिये
ऐसे-ऐसे बदले रंग कि नज़ारे दिखा दिये
मोहब्बत में उनकी हम बिल्कुल अंधे हो गए थे
समझ बैठे थे जिसको चाँद उसने तारे दिखा दिये

©सोहैल मसरूफ़
 अंदाज़ उसने अपने सारे के सारेे दिखा दिये
ऐसे-ऐसे बदले रंग कि नज़ारे दिखा दिये
मोहब्बत में उसकी हम बिल्कुल अंधे हो गए थे
समझ बैठे थे जिसको चाँद उसने तारे दिखा दिये

©सोहैल मसरूफ़
 अंदाज़ उसने अपने सारे के सारेे दिखा दिये
ऐसे-ऐसे बदले रंग कि नज़ारे दिखा दिये

अंदाज़ उसने अपने सारे के सारेे दिखा दिये ऐसे-ऐसे बदले रंग कि नज़ारे दिखा दिये मोहब्बत में उसकी हम बिल्कुल अंधे हो गए थे समझ बैठे थे जिसको चाँद उसने तारे दिखा दिये ©सोहैल मसरूफ़ अंदाज़ उसने अपने सारे के सारेे दिखा दिये ऐसे-ऐसे बदले रंग कि नज़ारे दिखा दिये

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Sohail Masroof

मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम

 दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम

दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

मेरा भविष्य भी तुम मेरा वर्तमान भी तुम
मेरे जीवन का अरमान भी तुम

जीवन को जो महकाए वो कली भी तुम
मेरी लिए हीर, लैला, पारो, अनारकली भी तुम

जिस पर इतरा सकूँ वो गुमान भी तुम
मेरे होंठों की हँसी मुस्कान भी तुम

मेरी दोस्त भी तुम मेरे जीवन का आधार भी तुम 
मेरी ज़िन्दगी का एकमात्र प्यार हो तुम

©सोहैल मसरूफ़ मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम

 दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम

दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

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Sohail Masroof

मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम

 दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम

दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

मेरा भविष्य भी तुम मेरा वर्तमान भी तुम
मेरे जीवन का अरमान भी तुम

जीवन को जो महकाए वो कली भी तुम
मेरी लिए हीर लैला पारो अनारकली भी तुम

जिस पर इतरा सकूँ वो गुमान भी तुम
मेरे होंठों की हँसी मुस्कान भी तुम

मेरी दोस्त भी तुम मेरे जीवन का आधार भी तुम 
मेरी ज़िन्दगी का एकमात्र प्यार हो तुम
©सोहैल मसरूफ़ मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम
बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम

 दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम
मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम

दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम
मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

मोहब्बत भी तुम मेरी बन्दगी भी तुम बस यूँ समझ लो मेरी ज़िन्दगी भी तुम दीवाली भी तुम मेरी ईद भी तुम मेरे लिये जन्नत की दीद भी तुम दौलत भी तुम मेरा अभिमान भी तुम मेरी हर एक साँस मेरी जान भी तुम

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Sohail Masroof

तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है
इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

तुम्हारी बेतहाशा यादों से दिल का मंज़र ही अलग है
ऊपर से दिल-ए-नादाँ की खुवाहिशों का खंज़र अलग है

कितना ही समझाओ इस दिल को कहाँ कुछ समझ आना है
इसे तो बस तुम्हारे गालों पे बिखरी हुई जुल्फों को हटाना है

वो रेस्टोरेंट के कोने की टेबल भी ख़ाली नज़र आती है
जैसे पूछती हो कब आओगे ?सवाली नज़र आती है

तस्वीर तेरी दिखाकर बहलाता हूँ दिल को की तू दूर नहीं है
लेकिन दिल को अब तेरे सिवा कुछ भी मंज़ूर नहीं है

©सोहैल मसरूफ़ तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है

इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

तुम्हारी बेतहाशा यादों से दिल का मंज़र ही अलग है
ऊपर से दिल-ए-नादाँ की खुवाहिशों का खंज़र अलग है

कितना ही समझाओ इस दिल को कहाँ कुछ समझ आना है

तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है तुम्हारी बेतहाशा यादों से दिल का मंज़र ही अलग है ऊपर से दिल-ए-नादाँ की खुवाहिशों का खंज़र अलग है कितना ही समझाओ इस दिल को कहाँ कुछ समझ आना है

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Sohail Masroof

तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है

इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

©सोहैल मसरूफ़ तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है

इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

©सोहैल मसरूफ़ तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है

इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है ©सोहैल मसरूफ़ तुमसे मिलने की ज़िद पर अड़ा है मन उदास हुआ जाता है इस कमबख्त दिल को कहाँ लॉकडाउन समझ आता है

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Sohail Masroof

आओ ऐसे मनायें होली कि मन चंगा हो जाए
रंग मोहब्बत का कुछ यूँ बरसे कि तिरंगा हो जाये
©सोहैल मसरूफ़ आओ ऐसे मनायें होली कि मन चंगा हो जाए
रंग मोहब्बत का कुछ यूँ बरसे कि तिरंगा हो जाये
©सोहैल मसरूफ़

आओ ऐसे मनायें होली कि मन चंगा हो जाए रंग मोहब्बत का कुछ यूँ बरसे कि तिरंगा हो जाये ©सोहैल मसरूफ़

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