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bimmiprasad2056
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bimmi prasad

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bimmi prasad

वक्त कभी बुरा तो कभी
   भला होता है
मुश्किल हालातों का हमसफर 
   हौसला होता है

    वो क्या पार हुआ
जो तूफानों में न उलझा
कश़्ती खेने का भी एक
      पैंतरा होता है

 फंस गये जो पांव
 तो धंसते जाओगे...
इंतेहा वक्त का बड़ा
 लिजलिजा होता है

चलाता रहता हैं ज़माना 
  तोहमतों के पत्थर
 पाकिज़गी का यहां
 यही सिला होता है

शह और मात अपने ही
   कर्मों का फल है
 वक्त की बिसात पर
हर शख़्स मोहरा होता है

  किसी के चाहने से.. 
किसी का बुरा नहीं होता
 होता वही है जो मंजूरे
     ख़ुदा होता है

बिम्मी प्रसाद
मौलिक

©bimmi prasad
  #Likho वक्त
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bimmi prasad

मांँ
हो ना हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा 
जब ख़ुदा ने माँ का दिल बनाया होगा

रचकर खुदाई की सबसे खूबसूरत काया
वो मन ही मन खूब इतराया होगा

समेट कर सारी कायनात "माँ" में
 हुनर पर अपने मंद मंद मुस्काया होगा

भिंगोया होगा माँ की मिट्टी को गंगाजल से
रोम रोम चंदन से सजाया होगा

हो न हो अपना ज़र्रा सा अंश मिलाया होगा
जब खुदा ने माँ का दिल बनाया होगा

©bimmi prasad #maa
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bimmi prasad

अलाव
भले ही पीछे छूट गए
वो अलाव के दिन 
लेकिन..
बहुत याद आते हैं 
वो शिकवे शिकायत और लगाव के दिन
जब.... रूमहीटर और ब्लोअर
की गरमी फैलाती जालीओं से  झांकती हैं
 पापा के कृषक कर से सुलगाए हुए 
अलाव के वो लाल ,पीले आग
और गुलाबी भुंमुर
जो .....मेरे कानों में हल्के से
फुसफुसाते हैं..
इस मशीनी तपिश में
तुझे कभी याद नहीं आती
 मेरी ...और मेरे स्नेह से पके 
 सोंधे सोंधे शकरकंदी, मटर की फलियां 
और वो कस्से आमले
 मैं चुपचाप सोचती रह जाती हूं
 जाने कहां गए  ...
अलाव की आत्मकथ्य समझाते...वो, 
लगाव के दिन, वो ठहराव के दिन
जो अपनी राख मैं भी 
गरमी, नरमी और सौंधापन संजोए रखता है...
  गांव घर की रिश्तों की तरह।

©bimmi prasad #अलाव
#Fire
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bimmi prasad

अलाव
भले ही पूछे छूट गए
वो अलाव के दिन 
लेकिन..
बहुत याद आते हैं 
वो शिकवे शिकायत और लगाव के दिन
जब.... रूमहीटर और ब्लोअर
की गरमी फैलाती जालीओं से  झांकती हैं
 पापा के कृषक कर से सुलगाए हुए 
अलाव के वो लाल ,पीले आग
और गुलाबी भुंमुर
जो .....मेरे कानों में हल्के से
फुसफुसाते हैं..
 इस मशीनी तपिश में
तुझे कभी याद नहीं आती
 मेरी ...और मेरे स्नेह से पके 
 सोंधे सोंधे शकरकंदी, मटर की फलियां 
और वो कस्से आमले
 मैं चुपचाप सोचती रह जाती हूं
 जाने कहां गए  ...
अलाव की आत्मकथ्य समझाते...वो, 
लगाव के दिन, वो ठहराव के दिन
जो अपनी राख मैं भी 
गरमी, नरमी और सौंधापन संजोए रखता है...
  गांव घर की रिश्तों की तरह।

©bimmi prasad #अलाव
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bimmi prasad

अलाव
भले ही पूछे छूट गए
वो अलाव के दिन 
लेकिन..
बहुत याद आते हैं 
वो शिकवे शिकायत और लगाव के दिन
जब....
 रूमहीटर और ब्लोअर
की गरमी फैलाती जालीओं से  झांकती हैं
 पापा के कृषक कर से सुलगाए हुए 
अलाव के वो लाल ,पीले आग
और गुलाबी भुंमुर
जो .....मेरे कानों में हल्के से
फुसफुसाते हैं..
 इस मशीनी तपिश में
तुझे कभी याद नहीं आती
 मेरी ...और मेरे स्नेह से पके 
 सोंधे सोंधे शकरकंदी, मटर की फलियां 
और वो कस्से आमले
 मैं चुपचाप सोचती रह जाती हूं
 जाने कहां गए  ...
अलाव की आत्मकथ्य समझाते...वो, 
लगाव के दिन, वो ठहराव के दिन
जो अपनी राख मैं भी 
गरमी, नरमी और सौंधापन संजोए रखता है...
  गांव घर की रिश्तों की तरह।

©bimmi prasad #अलाव 🔥🔥
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bimmi prasad

अग्नि परीक्षा

जब परवरिश ही प्रश्न उठाने लगे
 संस्कार मुंह चिढ़ाने लगे 
औलाद उंगली दिखाने लगे...
जेनरेशन गैप की आड़ में,
 परंपराओं को ताक चढ़ाने लगे 
सुता उत्कर्ष की नोंक पर,
आज़ादी की धज्जियां उड़ाने लगे

 फिर.... अनंत  प्रश्न ...
सवालों के घेरे में आकर ,
खड़े हो जाते हैं 
अब क्या करें ...कैसे हुआ.....
 कहां चूक हुई ....
कब नजरअंदाज किया 
किसी की हंसी तो नहीं उड़ाई
न जाने किसकी नज़र लग गई 
या ...
 पूर्व जन्म के किसी बुरे कर्म का
 फलाफल तो नहीं 
धधकते हुए इन प्रश्नों की भट्टी में
 कभी-कभी...
 हम खरे उतरते हैं 
और कभी... राख और बस राख...

क्योंकि , वर्तमान पीढ़ी की परवरिश....
  एक अग्निपरीक्षा ही तो है।

बिम्मी प्रसाद वीणा
©®

©bimmi prasad #अग्निपरीक्षा
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bimmi prasad

वक्त कभी भला तो कभी 
बुरा होता है 
मुश्किल पलों का हमसफ़र ...
हौसला होता है

©bimmi prasad ❣️❣️🕊️🕊️

#lotus

❣️❣️🕊️🕊️ #lotus

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bimmi prasad

#AzaadKalakaar

#AzaadKalakaar
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bimmi prasad

वक्त 
वक्त ज़ख्म वक्त  दवा ,वक्त पे किसका चला
 वक्त के हाथों सब लूटा ,वक्त से ऊपर कौन भला

आदमी को चाहिए ..वक्त से डर कर रहे 
वक्त जिस पे भारी पड़ा ,उसका यहां फिर क्या बचा

 आये मुट्ठी बांधकर, जाते वक्त वो भी खुला
 छोड़कर सब कुछ यहां ,दो गज कफ़न से वास्ता

उम्र भर भरते रहें ,बेवजह लड़ते रहे 
आगे निकलने की होड़ में,ख़ुद ही ख़ुद को पीछे किया

 साथ छूटा हाथ छूटा,अपने छूटें.. सपना टूटा
 चलता रहा उम्र भर यहां,मिलने बिछड़ने का सिलसिला

वक्त वो चक्की है के,जिसमें हर शख्स पिसा
 जो निकल कर साबूत आया ,रहा गया उसका ही रूतबा

©bimmi prasad #river
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bimmi prasad

#FourLinePoetry दर्दे दिल की कहानी, किसी को बताती नहीं
 सुनती हूं सबकी ,किसीको सुनाती नहीं 
दिल ये मेरा, जैसे... जख़्मों का खंडहर 
 देखती हूं सबकी, किसी को दिखाती नहीं

©bimmi prasad #fourlinepoetry
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