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saritashreyasi3623
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Sarita Shreyasi

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Sarita Shreyasi

Marriage is beautiful,
life has other bigger and better experiences too,
It is your conscious decision.
 #Realisation#
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Sarita Shreyasi

Be a life long LEARNER
Learn how to LIVE
and how to Leave.
LIVE 100% and
move ahead

LIVE and LEARN to LET GO. #ABC series#3Ls of life I learnt

#abc series3Ls of life I learnt

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Sarita Shreyasi

Act,
Behave,
Communicate,
Demonstrate before you dictate.
 Participate in the #rapidfire and come up with an #abcdpoem, where first line starts with A, second line starts with B and third line starts with C and fourth line starts with D. 

My favourite entries posted before 10 pm IST will be highlighted tomorrow. #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Baba

Participate in the #rapidfire and come up with an #abcdpoem, where first line starts with A, second line starts with B and third line starts with C and fourth line starts with D. My favourite entries posted before 10 pm IST will be highlighted tomorrow. #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba

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Sarita Shreyasi

Accept or
Be the
Change,
Do what is needed.

 Participate in the #rapidfire and come up with an #abcdpoem, where first line starts with A, second line starts with B and third line starts with C and fourth line starts with D. 

My favourite entries posted before 10 pm IST will be highlighted tomorrow. #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Baba

Participate in the #rapidfire and come up with an #abcdpoem, where first line starts with A, second line starts with B and third line starts with C and fourth line starts with D. My favourite entries posted before 10 pm IST will be highlighted tomorrow. #YourQuoteAndMine Collaborating with YourQuote Baba

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Sarita Shreyasi

सितारोँ की जमीं पर जब कोई कंकड़ चुन रहा होता है,
पत्थर के सिरहाने पर नन्हीं आँखों में
कोई ख्वाब बुन रहा होता है।
उन्होंने कहा कि जूते फटे पहनकर वो आसमान पर चढ़े थे,
किस्सा मैं सपनों की ज़िद का क्या कहूँ,
नंगे पैर जो चाँद तक चले थे।
 #सितारोँ की जमीं पर जब कोई कंकड़ चुन रहा होता है,
पत्थर के सिरहाने पर नन्हीं आँखों में
कोई ख्वाब बुन रहा होता है।
उन्होंने कहा कि जूते फटे पहनकर वो आसमान पर चढ़े थे,
किस्सा मैं सपनों की ज़िद का क्या कहूँ,
नंगे पैर जो चाँद तक चले थे।
#जूते फटे पहनकर वो आसमान पर चढ़े थे(पंक्ति, मनोज मुंतशिर जी की हैं)

#सितारोँ की जमीं पर जब कोई कंकड़ चुन रहा होता है, पत्थर के सिरहाने पर नन्हीं आँखों में कोई ख्वाब बुन रहा होता है। उन्होंने कहा कि जूते फटे पहनकर वो आसमान पर चढ़े थे, किस्सा मैं सपनों की ज़िद का क्या कहूँ, नंगे पैर जो चाँद तक चले थे। #जूते फटे पहनकर वो आसमान पर चढ़े थे(पंक्ति, मनोज मुंतशिर जी की हैं)

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Sarita Shreyasi

उसने कहा," जानता हूँ कि यह सच नहीं, फिर भी
इस हसीं झूठ पर यकीन करने को जी चाहता है"।
मैं अपनी दीवानगी का क्या कहूँ,
मुझे तो उसकी किसी बात में,
झूठ दिख ही नहीं पाता है। #झूठ इतना ही हसीं है कि यकीं करने को जी चाहता है#

#झूठ इतना ही हसीं है कि यकीं करने को जी चाहता है#

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Sarita Shreyasi

देखा करो खुद को रोज आईने में,
यकीं मानो, ज़िंदगी बदल जाएगी,
बन जाओगे तुम बेदाग़ आईना,
शख़्सियत इस कदर निखर जाएगी। #देखा करें जो खुद को हर रोज़ आईने में,
तो औरों की खुबसूरती भी हम देख पाएंगे।
औरों की खासियत देखने समझने में, जिंदगी 
संवरती ही जाएगी, आप निखरते ही जायेंगे।

#देखा करें जो खुद को हर रोज़ आईने में, तो औरों की खुबसूरती भी हम देख पाएंगे। औरों की खासियत देखने समझने में, जिंदगी संवरती ही जाएगी, आप निखरते ही जायेंगे।

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Sarita Shreyasi

उसकी आँखें बुनती रही अनगिन ख्वाब उम्र भर,
उन झुर्रियों के बीच एक भी उसका खुद का नहीं मिला।
— % & सबके लिए सोचा, बस खुद को छोड़ कर।

सबके लिए सोचा, बस खुद को छोड़ कर।

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Sarita Shreyasi

ठहरना क्यूँ और पड़ाव से मोह कैसा? 

खुले आसमान की ओर देखते हुए उसने एक लंबी गहरी साँस ली। तारों भरे आसमान को देख कर उसे याद आया अभी एक क्षण पहले तो एक छत नहीं थी सर पर, अभी पूरा आसमान मेरा है। पथिक मुस्कुराया और पैर अपनी यात्रा पर निकल पड़े। 

read in caption
 जमीन सम नहीं थी, कुछ घास और पहले की फसल की जड़ें और कुछ गाँठ भी थी उसमें। हाँ, नरम जरूर थी और नमी भी थी उसमें । दिख भी खाली ही रही थी, लंबी यात्रा से थक चुके पैरों ने भी थक कर अब ठहरना ही चुना। उस कच्ची जमीन को थोड़ा सम कर बाँस-फूंस के सहारे छत भी बना ली। पहले तो थोड़ी देर का डेरा डाला फिर उस जमीन से मोह-सा बांध बैठे। एक बार क्या रुके, ये पैर फिर यात्रा के लिए आगे ही नहीं बढ़े।  बंधन ऐसा कि वही घर-संसार बन गया। पर जमीन जो खाली दिखती थी और पुरानी फसल की गठीली जड़ें जो निर्जीव लगती थी वो वैसी थी नहीं,

जमीन सम नहीं थी, कुछ घास और पहले की फसल की जड़ें और कुछ गाँठ भी थी उसमें। हाँ, नरम जरूर थी और नमी भी थी उसमें । दिख भी खाली ही रही थी, लंबी यात्रा से थक चुके पैरों ने भी थक कर अब ठहरना ही चुना। उस कच्ची जमीन को थोड़ा सम कर बाँस-फूंस के सहारे छत भी बना ली। पहले तो थोड़ी देर का डेरा डाला फिर उस जमीन से मोह-सा बांध बैठे। एक बार क्या रुके, ये पैर फिर यात्रा के लिए आगे ही नहीं बढ़े।  बंधन ऐसा कि वही घर-संसार बन गया। पर जमीन जो खाली दिखती थी और पुरानी फसल की गठीली जड़ें जो निर्जीव लगती थी वो वैसी थी नहीं,

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Sarita Shreyasi

न शिकवा है तुमसे, न कोई शिकायत,
पर उलझ गयी हूँ, बड़ी बुरी तरह से। #भाग रही हूँ जिससे वही ज़िंदगी है#

#भाग रही हूँ जिससे वही ज़िंदगी है#

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