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anjnaagrawal5606
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Anjna Agrawal

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Anjna Agrawal

हृदय की विडंबना है या 
अतिरिक्तता का बोध 
संघर्ष की देहरी पे आकर 
अंतर में मचे द्वंद्व का रोष 
कदम-कदम का साथ है 
या पीछे चलने की आहट
इतने समर्पण के बाद भी 
मिले परिहास की छटपटाहट 
क्या है ये? कुछ तो है ही 
बंधनहीन होकर भी अदृश्य 
बंधे रहने की व्याकुलता

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

अखियां बुनती स्वप्न सुहाने 
पर समय वेग से दौड़ा जाए
मन में जानें कितने वीराने 
श्वास का घड़ा भरता जाए l
दर्द की मिट्टी में उग जाता 
उम्मीद का पौधा हौले-हौले 
सूखें पत्तों सा झरता जीवन 
फिर भी है जीने के बहाने
जुगनू सा हृदय है लेकिन 
दिये सा रोशन होता जाए।

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

क्या कहूं, कैसे कहूं ,कब कहूं या चुप रहूं 
उल्फत भरी ये बैचेनियां कब-कहां कैसे सहूं 
ये इश्क़ के रास्ते,चल पड़े हैं जिसके वास्ते 
महफिलें गमजदा है तन्हाई के मोड़ पर 
आंखों की डोरियां,कर रही नींद की चोरियां 
ख्वाबों - ख्यालों के सिलसिले में कैसे रहूं 
उल्फत भरी बैचेनियां कब कहां कैसे सहूं 

दर्द का पतझड़ या सावनी आंसू की गलियां 
प्रीत के पथ में देखो,ज़ख्म की सुनहरी कलियां
झाड़-झंझण-कांटे,बस यही अब बचे पड़े हैं 
श्रृद्धा से अपनी पत्थरों में देवता हमनें गढ़ें है 
छूटी आस और टूटे पड़े सपनों संग कैसे रहूं 
उल्फत भरी बैचेनियां कब कहां कैसे सहूं।

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

कितने कदम साथ के हो 
पर कम पड़ ही जाते हैं 
कितने ही पल त्याग के हो 
पर स्वार्थ जड़ ही जाते हैं 
क्षेप - आक्षेप की क्रीड़ा में 
अर्थहीन होने की पीड़ा में 
क्षत-विक्षत स्वाभिमान लिए 
कितना भी दृढ़ हृदय कर लो 
नैनों के कोर भर ही जाते हैं

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

ये कौन सी रुत दौड़ी आई है
कहीं शोर तो कहीं तन्हाई है 

मंज़र ए मौसम सभी के अलग-अलग 
कहीं धूप तो कहीं पुरवाई है 

रिवाज़ो का अपना हसीन ज़हान 
भीगी आंखें और शहनाई है 

उफ़ ज़माने के तहबीज ओ भरम 
जहां हैं इश्क, वहीं रूसवाईं है

खौफ ए ज़मीर खत्म हो चला है अब 
कैसी ये वक्त की तरुणाई है 

कश्मकश में उलझा-उलझा जेहन 
रूठी रूठी सी हर रुबाई है 

उस जहां की बातें समझ से परे 
इस जहां का चर्चा तो नुमाईं है

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

गले मिलकर,ठोकर लगाते हैं बावस्ता 
रंग बदलते हैं वही आहिस्ता आहिस्ता 

अक्सर यूंही मसरूफियत का बहाना करके 
वो घर से निकलते हैं आहिस्ता आहिस्ता 

बदल रहे ज़माने की ये बदलती चालें 
महसूस कराते हैं आहिस्ता आहिस्ता 

जो मुतल्लिक न थे कभी राहे उल्फत से अक्सर 
वो साथ निभाते हैं आहिस्ता आहिस्ता 

महफूज़ दुनियां की निगाहों से दिल को रख 
इल्ज़ाम लगाते हैं आहिस्ता आहिस्ता

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

White तुम नहीं आए तेरा बस ख्याल आया 
धड़कन को धड़कने का मलाल आया 

हादसे दिल की रहगुज़र गुजरते गए 
दरख़्त ए दर्द बनकर अब सलाल आया 

कोई वाजिब वजह नहीं है खुशी की 
न ही गम का फिर कोई सवाल आया 

कहां मिलता है सूंकू उम्र भर के लिए 
कभी गया तो कभी बन ज़लाल आया 

शांत नदियां सी बह रही थी ज़िंदगी 
हलचल बनकर क्यूं तेरा ख़याल आया 

तेरे किरदार की खुशबू यूं महकी 
कहानी में महक भरा रसाल आया 

आंधियों ने यूं अपनी फितरत बदली 
मन का उजड़ा गांव फिर बहाल आया

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

White ज़हर जिस्म में उतार लूं भी तो क्या 
रूह जिस्म न छोड़ेंगी तेरे बगैर

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

मृत्यु के आलिंगन में भी 
अपनी एक जीवटता है 
सांसों के इस महाकुंभ में 
अपनी एक समरसता है 
क्षण क्षण गलते जीवन में 
रागों और अनुरागों का 
मोह के बाद विरागों का 
सिमटा हुआ सा मेला है 
कठपुतली से नृत्य सुहाने 
कौन किसकी डोर है थामें 
दुनिया के नाट्य मंच पर 
हर प्राणी अभिनेता है।

सागर जैसी मन की थाह 
लाख कोशिशें पार न पाएं 
जीवन की गहरी खाई में 
ज्यों उबरें, त्यों डूबते जाएं 
सूनी राहों पर भी मिल जाते 
अनदेखे रेले और झमेले है 
झूठ व चतुराई के महायुद्ध में 
विफल सत्य और सरलता है 
सांसों के इस महाकुंभ में 
अपनी एक समरसता है

©Anjna Agrawal
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Anjna Agrawal

मृत्यु के आलिंगन में भी 
अपनी एक जीवटता है 
सांसों के इस महाकुंभ में 
अपनी एक समरसता है 
क्षण क्षण गलते जीवन में 
रागों और अनुरागों का 
मोह के बाद विरागों का 
सिमटा हुआ सा मेला है 
कठपुतली से नृत्य सुहाने 
कौन किसकी डोर है थामें 
दुनिया के नाट्य मंच पर 
हर प्राणी अभिनेता है।

सागर जैसी मन की थाह 
लाख कोशिशें पार न पाएं 
जीवन की गहरी खाई में 
ज्यों उबरें, त्यों डूबते जाएं 
सूनी राहों पर भी मिल जाते 
अनदेखे रेले और झमेले है 
झूठ व चतुराई के महायुद्ध में 
विफल सत्य और सरलता है 
सांसों के इस महाकुंभ में 
अपनी एक समरसता है

©Anjna Agrawal
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