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harishkumarverma6548
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हरीश वर्मा हरी बेचैन

लेखक, कविता लेखन, दार्शनिक..

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

एक पागल को.. 
सहारा दे कर!
मलकियत.. 
अपने नाम किया!
फिर बेरहमी से... 
मार दिया!
कोई रिपोर्ट भी.. 
न हुई!
क्यों की वह., 
विधायक था!
कानून का.. 
बनाने वाला! 

हरीश वर्मा हरी एक पागल को.. 
सहारा दे कर!
मलकियत.. 
अपने नाम किया!
फिर बेरहमी से... 
मार दिया!
कोई रिपोर्ट भी.. 
न हुई!

एक पागल को.. सहारा दे कर! मलकियत.. अपने नाम किया! फिर बेरहमी से... मार दिया! कोई रिपोर्ट भी.. न हुई!

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

आडिट करा लो..
इंस्पेक्शन करा लो!
कोई तिथि दे कर..
आफिस में बुला लो!
जिस फाइल को..
चाहे दिखा दो!
चाहे किसी फाइल..
को हमसे छिपा लो!
हम तुम्हारे..
शुभ चिंतक है!
वैसे भी हमारे..
हाथ पैर बंधे है..
बस तुम हमारा..
ध्यान और 
सम्मान रक्खो!
फिर चाहे जैसा चाहो!
वैसा लिखा लो!!
जांच का मोहर लगा लो!
🙏🙏सादर
✍️ हरीश वर्मा हरी
    8840812718 #जांच_करवा_लो
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हरीश वर्मा हरी बेचैन

सारे जमींदार..
राजा महाराजा..
खतम हो गये थे!
लोकतंत्र का..
आक्सीजन पा कर..
फिर से जी उठे!!
रूप रंग बदल कर!
देश में छा गये!


हरीश वर्मा हरी
8840812718 सारे जमींदार..
राजा महाराजा..
खतम हो गये थे!
लोकतंत्र का..
आक्सीजन पा कर..
फिर से जी उठे!!
रूप रंग बदल कर!
देश में छा गये!

सारे जमींदार.. राजा महाराजा.. खतम हो गये थे! लोकतंत्र का.. आक्सीजन पा कर.. फिर से जी उठे!! रूप रंग बदल कर! देश में छा गये!

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

कभी मैं बुंद हूं!
कभी मैं सिन्धु हूं!
कभी मैं झील हो जाऊं!
कभी झरना बन!
झर झर गिरता जाऊं!
मैं दरिया हूं सागर से..
हमको मिलना है!
बना मैं राह जीवन का!
मैं तो बस बहती ही जाऊं
मैं इतराऊं मैं इठलाऊं!
मैं करती प्रेम सागर से!
मैं पत्थर से भी टकराऊं!
ये माना दूर है मंजिल मेरी!
मगर हमको तो चलना है!
मेरे किस्मत में क्या है??
कैसे मैं बता समझ पाऊं??
मिल कर मैं सागर से..
खारी हो गई हूं मैं!!!!
ईश्वर की लीला को..
कैसे मैं समझ पाऊं????
हरी मैं भाप बनकर..
क्यों न प्रेम में ही समा जाऊं!?
✍️ हरीश वर्मा हरी
     8840812718 मैं बिन्दु हूं..

मैं बिन्दु हूं..

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

मौत भी
डर कर
भाग गया
एक
दीवाने
को देख कर

हरीश वर्मा हरी
8840812718 मौत भी

मौत भी

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

मौत भी
डर कर
भाग गया
एक
दीवाने
को देख कर मौत भी

मौत भी

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

तुम सो जाओगे
 तो!
बेसुध हो जाओगे 
तो!
तुम्हारी दुनियां!
लूट लेंगे लूटने वाले!! #सो जाओगे तो

#सो जाओगे तो

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

सीता राम सीता राम कहिये!
इन्शां बन कर रहिये!
बड़ा कठिन समय है भइया!
मिल जुल कर रहिये!
जय श्री कृष्ण राधे राधे!
ॐ शान्ति ॐ शान्ति कहिये!
संकटमोचक है हम सब के..
संकट से कभी न डरिये!
शिव मय है संसार ये सारा!
भोले,भोले भोले कहिये!
नारायण सब दुख हर लेगे!
दया प्रेम अहिंसा संग रहिये!
बड़ा कठिन समय है भइया!
मिल जुल कर रहिये!
जय श्री कृष्ण राधे राधे!
ॐ शान्ति ॐ शान्ति कहिये!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️
©®हरीश वर्मा हरी
8840812718 ##

सीता राम सीता राम कहिये!
इन्शां बन कर रहिये!
बड़ा कठिन समय है भइया!
मिल जुल कर रहिये!
जय श्री कृष्ण राधे राधे!
ॐ शान्ति ॐ शान्ति कहिये!

## सीता राम सीता राम कहिये! इन्शां बन कर रहिये! बड़ा कठिन समय है भइया! मिल जुल कर रहिये! जय श्री कृष्ण राधे राधे! ॐ शान्ति ॐ शान्ति कहिये!

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

बादल बन कर
भाप बन कर चाहत को
जड़ से मिटाते रहे!
सागर को छोड़ कर..
ऊपर को जाते रहे!
बादल है यह ज़िन्दगी
आते और जाते रहे!
बिजलियां बन गई..
जब हम टकराते रहे!
सूर्य की गर्मी से..
जग को बचाते रहे!
कभी बिन बरसे बस!
आते जाते रहे!
कभी पुण्य रूपी..
जल ही जल बर्षाते रहे!
देखकर हरियाली..
खुद को मिटाते रहे!
🙏🙏🙏🙏✍️
©®हरीश वर्मा हरी
8840812718 #बादल बन कर Ravi Sagar

#बादल बन कर Ravi Sagar #कविता

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हरीश वर्मा हरी बेचैन

धोखे में है कि वक्त 
रूकता नहीं!
सत्य है जग में कुछ भी..
मिटता नहीं!
लौट आता है वह पल भी.. 
धुंध में जो दिखता नहीं!
मिट गये तो कोई गम नहीं..
अंकुरित होने का सरूर होना चाहिए!
बस वक्त से मिलने का जनून होना चाहिए!
सत्य प्रेम लौट कर आयेगा एक दिन जरूर!
कशमकश दिल में सुलगता.. 
चिनगारी होना चाहिए!
अंधेरे खुद ब खुद..
उजाले में ततबील हो जायेंगे!
🙏🙏 हरीश वर्मा हरी🙏🙏 धोखे में है कि वक्त 
रूकता नहीं!
सत्य है जग में कुछ भी..
मिटता नहीं!
लौट आता है वह पल भी.. 
धुंध में जो दिखता नहीं!
मिट गये तो कोई गम नहीं..
अंकुरित होने का सरूर होना चाहिए!

धोखे में है कि वक्त रूकता नहीं! सत्य है जग में कुछ भी.. मिटता नहीं! लौट आता है वह पल भी.. धुंध में जो दिखता नहीं! मिट गये तो कोई गम नहीं.. अंकुरित होने का सरूर होना चाहिए! #कविता

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