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amanverma1559
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aman verma

दवायें दे रहे हो दम-ब-दम कितने ग़ुनाहों की चारासाज़ों मैं थक चुका हूँ , ज़हर क्यों नही देते

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aman verma

आईना भी खूब संवारना भी खूब
ख़ुदा तेरा खूबसूरत होना भी खूब

©aman verma
  #Remember #Beautiful #thingsofbeauty #gushtaakiyaan #love #poetry #sher
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aman verma

ये ज़माल जो है तुम में किस बला का है
जिस पैरहन भी देखा बस नूर-ए-ईलाही

©aman verma
  #me #Beautiful #Things #love
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aman verma

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aman verma

धुएं के बादलों में अपनी मंजिल की तलाश
सो जाओ कि अब जुगनू भी चले घर अपने

©aman verma
  #smoke #Night #thougths #lonely
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aman verma

ये खिड़की,
किसने खोल रखी है
किस हद, किस सबा
के इंतज़ार में,
ये दराजें,इनसे आती हवा
सीने में बहुत भीतर,
किसी चट्टान से टकराती है
ज़िस्म को बहुत चुभती है
रह-रह के आती जाती है
आँखों में रेत भरती जाती है
बहर खाक़-खाक़ उड़ाती है
अब बंद करदे कोई खिड़की,
अब साँस नहीं आती है ।
-"अमन"

©aman verma
  #me #wandering #poetcommunity #poetry #gushtaakiyaan
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aman verma

ख़िलवत ख़ामोशी और सांसों की वर्जिश
अब इससे ज्यादा और मैं ज़िंदा तो नहीं

©aman verma
  #doori #lonely #Memories
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aman verma

धुए से सुलगती आंखों को मरहम के ख्वाब दिखाना क्या
घड़ियां बीती पहर ढली अब उसका लौट के आना क्या

कुछ चांदनी राते बांटी थी कुछ ख्वाब बुने थे तारों के
अब चांदना चांदना रहता है तारों का न जाने ठिकाना क्या

वह रातें थी , वह जुल्फें थी , और रातों से भी बढ़कर
बातें थी ,  उन बातों को फिर करना अफसाना क्या

तुमने छुआ था एक पल को उस पल में कितने पल
वें पल अब भी सांसों में रुके,जीना क्या मर जाना क्या

बातें थीं सो बीत गईं , हर शाम मयकशी ठीक नहीं
अमन को खुद समझा लोगे,दिल से करोगे बहाना क्या

जब आग से जलती हो उंगली होठों पर शोलें रखें हों
तब मौत भी महरम लगती है,ढांचे को समझाना क्या
-"अमन"

©aman verma
  #life #ghazal #gushtaakiyaan #poeatry
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aman verma

बहुत मायूसियों के मारे हुए
मेरी हालत न संवारी जाए

©aman verma
  #walkalone #lonewalker #poetry
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aman verma

क्या?शौक़ के दिन रह गये
जिंदा कैसे तुम बिन रह गये

यादों के गांव के गांव बसे थे
अफ़साने कुछ हसीन रह गए

दिल बद़हवासी के घर बना बैठा
आस्ताँ पर तेरे सिन रह गए

अब इंतज़ार-ए-बसंत भी क्या
ख़्वाब बनफूल बन रह गए

वो शब-ए-माहवश कोई और,
हम तारे गिन-गिन रह गए
-"अमन"

©aman verma
  #lonely #separation #wandering #poeatry
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aman verma

उदासियों के इस शहर में एक आवारा मेरा मन
कूचा -कूचा , बस्ती-बस्ती गम का मारा मेरा मन 

दिल के दिल पर ज़ुल्म हुए , भरम रहा इस मन को
ख़ुद ही मुंसिफ, ख़ुद ही क़ैदी, ख़ुद से हारा मेरा मन 

क़ैद भी कैसी आज़ादी , मौत भी कैसी आज़ादी
एक रस्ता है , एक मंजिल है , एक बंजारा मेरा मन 

चिता सजाई ख़ुद इसने , फिर आग लगी पल भर में
ख़ाक उड़ी,राख बची और जलता एक अंगारा मेरा मन
-"अमन"

©aman verma
  #Remember #firstpost #गजल #love
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