Nojoto: Largest Storytelling Platform
rakeshagarwal6527
  • 123Stories
  • 699Followers
  • 2.6KLove
    541Views

Rakesh Agarwal

  • Popular
  • Latest
  • Video
19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

हमने इसे सहेजा तो ये भी हमें सहेज लेगी
हर तरह का प्रत्युत्तर देना आता है इसे #Earth_Day_2020
19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

बेचैन   दिल    है   सम्भालो   जरा,
गले    से   अपने   लगा  लो जरा।

खुदगर्ज़   है   ये    दुनिया   सारी,
पल्लू  में   अपने   छुपा  लो  जरा।

आवाज  दो  तुम   ज़रूरी  नहीं  है,
इशारों  से  हमको  बुला  लो जरा।

अरसे  ते  तरसा नींद के  सुकूँ को,
थपकी   दे  के   सुला   लो   जरा।

दो  दिन  का है सफ़र ज़िन्दगी का,
"साफिर" से रंजिश भुला लो जरा।

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

हाय उसकी ये कैसी बे-कसी थी,
इंसानों की बस्ती में जानवरों बीच फँसी थी।

मालूम सबको था ढूंढा किसी ने ना,
पुलिस उन दरिन्दों की हुई क्युँ हमनशीं थी।

खुली हवा में जीने का शौक उसे भी था,
समाज के पहरेदारों ने क्युँ नहीं खुदकुशी की।

बांधा नहीं दायरों में अपनों ने कभी,
ये आसमाँ उसका था जमीं भी तो उसकी थी।

दफ़न कर रहे कन्या को किस डर से कौख में ही,
बेटों के संस्कारों में हमारी भी कुछ कमी थी।

"साफिर" यहाँ सब बेगुनाह घूम रहे,
शायद उस अबला में ही कुछ कमी थी।
-राकेश"साफिर"

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।
ना वक़्त की, परवाह कोई।
ना किसी दूर सोच, का बोझ।
रह-रह कर याद आती,
जिन्दगी का अहसास कराती।
यादों की जुगाली,
में वो बचपन की मौज । ।।बचपन की मौज।।
यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग।
ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब।
तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़,
ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़।
बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके,
नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये।
शाम को सूरज दबाये, घर को आये।

।।बचपन की मौज।। यादों की जुगाली में, मशगूल दिल-औ-दिमाग। ढूंढ रहे बीते उम्र, के वो पल बेहिसाब। तब ना, कमाने के लीये दिन की दौड़, ना,रुतबे के लीये, खर्च की होड़। बस दिन उगे, चिड़िया संग चहके, नदियाँ नहाये, गलियों की धूल उड़ाये। शाम को सूरज दबाये, घर को आये।

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

तूने मेरे चश्म-ए-पुर-आब नहीं देखे,
हाँ  तूने  मेरे  टूटते ख़्वाब नहीं देखे।

जो कर दे अमावस को भी रौशन,
दुनिया में ऐसे आफ़ताब नहीं देखे।

बड़ी सस्ती लगती है ये आजादी तुझे,
तूने अपने पुरखों के इंकलाब नहीं देखे।

साज सज्जा महलों का शग़ल होता है,
झोपड़ियों में हम ने मेहराब नहीं देखे।

करता रह तू ज़ुल्मो सितम बेख़ौफ़ हो कर,
जब तक तूने ख़ुदा के अज़ाब नहीं देखे।

न हो मायूस लिफ़ाफ़े की रंगत देख कर,
तूने ख़त में लिखे उसके ज़वाब नहीं देखे।

जाती, धर्म, पैसे का है बोलबाला जगत में,
"साफिर" ने काबिलों के इंतिख़ाब नहीं देखे।
-राकेश"साफिर"

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

तुम आए तो आई रौनक महफ़िल में,
ये  चराग़ तो दम  तोड़ने  वाले ही थे।

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

दो कदम मैं बढ़ाता हुँ दो कदम तुम बढ़ाना,
यूँ चार कदमों का फ़ासला कम हो जाएगा।

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

अब  होश  नहीं  होश  में आने का,
जब से तेरी आँखों का जाम पिया।

19db6425a09ace5d09eb213290394a62

Rakesh Agarwal

अब  होश  नहीं  होश  में आने का,
जब से तेरी आँखों का जाम पिया।

loader
Home
Explore
Events
Notification
Profile