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chabdan4124
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Chandan Harmukh

क्या फर्क़ पड़ता है कि भीतर से काला है,, मेरा तो जो कुछ भी है बस आईना है,,

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Chandan Harmukh

ना माथे पर बिंदी है, ना होठों पर लाली,,
ना हाथों में कंगन है, ना कर्णों में बाली,,

मुखमंडल पर कोई तेज नहीं,
है सांवली सूरत वाली,

ना जुल्फों में शिखा बाँधती, ना आँखों में काजल,,
ना लज्जा का क्षृंगार ओढ़ती, ना वक्षों में आंचल,,

नहीं है क्या वो अब जननी, नहीं है क्या अब लक्ष्मी,,
नहीं है क्या वो अब दुर्गा, नहीं है क्या अब काली,,

है वही जो शून्य से अनंत है, है वही जिसमें भविष्य का अंश है,
है वही जिसने राम रचा है, है वही जिनमे कृष्ण बसा है,,

उठती है जो निगाह उन पर, उनके मंसूबे क्या पाक है,?
औरत पे क्यूँ पर्दा करना, हे नाथ तेरा चरित्र क्या बस राख है,? #collab #afterlongtime #thought 
#LookingDeep
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Chandan Harmukh

तेरी तस्वीर को दीवारों से हटाएं कैसे
इस कमरे में बंद तेरी यादों को भुलाएँ कैसे
बहुत गहरे हैं ज़ख्म के निशां मिटाए कैसे 
ए ज़िंदगी तू बड़ी ज़ालिम है तुझे बिताए कैसे
अब तलक रुकती है साँसे 
अब रूह की छाया नहीं 
इक तू नहीं आया सही
तेरा ख़्वाब भी आया नहीं 
 है नहीं फ़ितरत हमारी 
की आरज़ू ये छोड़ दें 
जो तू नहीं आयीं नज़र, 
ये बेड़ियाँ हम तोड़ दें 
जिसने रचा है रूप तेरा 
उसकी नहीं ये रीत है 
मेरे लहू की बूँद  से अब 
तेरे बदन को सींच ले 
कोई जंग बाकी फ़िर नहीं 
तू अब सुकूं से नींद ले,, #innervoice
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Chandan Harmukh

जैसे छोड़ जाता है पत्ता डाली को
पतझड़ आने पर, 
कुछ सुखा हुआ बुढ़ापे के पीले रंग लिए,, 
कल वाचाल, अब मूक हवा में बहता,, 
कोई चीख दफ्न है वीराने पर,
पहली किरण उसे ढूँढ़ती रही,
दितिजों से पता पूछती रही,
हवा में राख के कण है,
ये अलाव अभी गरम है, 
पत्ता जला है ये साफ़ है, 
पहली किरण लगी रोने, 
आज फिर बरसात है, 
वो डाली सुखी नहीं, ना ही ज़ख्म है,
पत्ते हरे कई उसके साथ है, 
जैसे छोड़ जाता है पत्ता डाली को, 
पतझड़ आने पर, 
मैं तुझे ऐसे छोड़ जाऊँगा,❤️

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Chandan Harmukh

गुजरे ज़माने की उस गली ने सूरत दिखाई क्या,,
जो थी तेरी परछाई वो अंधेरे में नजर आयी क्या,,
चढ़ते सूरज की रोशनी में खिलती है सारी कलियाँ,,
बुझी तीलियां किसी ने ज़मी से उठायी क्या,,
क़ैद है तू जिसके इत्र की खुशबू में,,
रौनक़-ए-हुस्न कभी नजरों तक आयीं क्या,,
क्यूँ कर लेती हैं वो पर्दा तुमसे,,
ज़रूरी है रंगों में लड़ाई क्या,,
बस कहने को एक हैं सब,,
पंडित ने कभी आयत सुनाई क्या,, #secularism
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Chandan Harmukh


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