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parasramarora4891
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Parasram Arora

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Parasram Arora

Unsplash वावस्तुएँ  है घटनाये है   प्रकृतिव्है इंसान है

इसके बावजूद एनास्तिक द्वारा ईश्वर को नकारा गया है

©Parasram Arora नास्तिक

नास्तिक #Poetry

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Parasram Arora

Unsplash मन अगर संवेदबमनाओ के संवेनद से भरा हो तों 
अनर्थ क़ी झड़ मे से भी अर्थ  डुंडा जा सकता है

©Parasram Arora अर्थ  अनर्थ

अर्थ अनर्थ #Poetry

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Parasram Arora

Unsplash प्रेम तों बस सपना ही सपना है 
  हा प्रेम अगर मिल जाए तों फिर 
वोसपना एक बिशिष्ट सपना जरूर बन जाता है

©Parasram Arora विशिष्ट  सपना

विशिष्ट सपना #Love

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Parasram Arora

Unsplash सभ्यता क़ी छीद्रित  टोकरी
को उलट कर 
अब न जाने उसमे क्या कुछ संग्रहित करने क़ी चेष्टा क़ी जा रहीं है
 
सस्कृति का धुँवा अब विषैला हो चुका और समपूर्ण राष्ट्र के वातायन को कालीख पोत कर  स्याह करने  क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

इसके बावजूद हमारे राजनेताओं द्वारा ऐसी सभ्यता और संस्कृति को बरकरार रखने क़ी कोशिश क़ी जा रहीं है

©Parasram Arora सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ

सभ्यता और सस्रकृति का विषैला धुआँ #Motivational

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Parasram Arora

Unsplash भूख और प्यास 
जो न थकती है कभी 
और न बुझती है कभी 
बल्कि प्रति पल  
बढ़ती जाती है
 
 ये भूख प्यास छुप  जाती हैं 
पसीनो क़ी परतो मे कभी 
या फिर कमर मे बंधे गमछे मे जा लटकती है कभी 
लेकिन  ये 
उफ़ नहीं करती  कभी

©Parasram Arora भूख प्यास

भूख प्यास #SAD

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Parasram Arora

Unsplash मेरी बिगड़ेल  चाहतो 
से मुझे राहत मिलेगी कब?

मेरे शरारती स्वार्थी तत्व 
आखिर कब समझ पायगे जीवन का यथार्थ?

मेरा मौन  चिल्लाना चाहता है युगो से 
आखिर उनकी आवाज़ मै सुन पाऊंगा कब?

©Parasram Arora कब?

कब? #Poetry

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Parasram Arora

White  वियोग की. पीड़ा से 
छटपटाती प्रेयसी  का दर्द 
केवल बो चांदनी समझ सकती  है

क्योंकि उस पीड़ा से 
वो हर माह गुज़रती है 

जब चाँद से बिछड़ 
कर  उसे अंधेरो मे 
अकेला रहना पड़ता है 
अँधेरी रातो मे

कई बार वो रोती है
बिलखती है और तकलीफ 
उसकी तब और भी 
बढ़ जाती है ये सोच कर कि
"ज़ब मै अँधेरों मे रहती हूँ 
तोंमेरा चाँद
 कहा चला जाता है 
और किसके साथ 
रातें बिताता है"

©Parasram Arora वियोग क़ी पीड़ा

वियोग क़ी पीड़ा #SAD

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Parasram Arora

Unsplash रेंगते फूफकारते  पुरातन संस्कारो 
क़ी कन्द्राये अब सड़न के कगार पर है 

अच्छा होगा उन कन्द्राओ क़ी  भित्ति को तोड़ कर  तुम्हे बाहर  आने क़ी कोशिश
शुरू कर देनी चहिते

©Parasram Arora  पुरातन संस्कार

पुरातन संस्कार #Motivational

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Parasram Arora

Unsplash हम चाहे तों अपना.
आनन्द हम बड़े
 सस्ते मे खरीद सकते है
 
और सस्ते  मेखरीदे 
ए  ऐसे आनन्द को 
मुफ्त मे बाँटा भी जा सकता है

©Parasram Arora #Bookआनन्द
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Parasram Arora

Unsplash न मैंअनुग्रहित हूँ और न ही मुझे अनुग्रह का 
कोई कारण दिखता है 
अच्छा होगा तुम मुझे बिना किसी कारण 
स्वीकार करने क़ी कोशिश  करो

©Parasram Arora स्वीकार

स्वीकार #Poetry

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