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bablibhatibaisla6758
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Babli BhatiBaisla

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Babli BhatiBaisla

वो तो छीननें मुझ से चले थे खुद की छिनवा बैठे
खुदगर्गियो के समुद्र में अपना वजूद तक डुबा बैठे
जो उनकी नज़र में रोटी थी मेरी नज़र में थी बोटी
शुद्ध शाकाहारी हूं मैं तो मुझे तकलीफ़ भी क्या होती 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Sethi Ji  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Ashutosh Mishra  R Ojha  KK क्षत्राणी  Vikram vicky 3.0

Sethi Ji SIDDHARTH.SHENDE.sid Ashutosh Mishra R Ojha KK क्षत्राणी Vikram vicky 3.0 #कविता

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Babli BhatiBaisla

पारिवारिक संस्कृति का व्यक्तिगत 
दृष्टिकोण में गहरा संबंध होता है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Lalit Saxena  Neel  Ashutosh Mishra  RAVINANDAN Tiwari  Bhardwaj Only Budana  R Ojha

Lalit Saxena Neel Ashutosh Mishra RAVINANDAN Tiwari Bhardwaj Only Budana R Ojha #विचार

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Babli BhatiBaisla

उसकी आस्था मेरे विश्वास को मजबूत बनाती है 
कठिन फैसलों को लेने में वो वाकई साहस दिखाती है 

व्रत उपवास नियम निर्वहन में हरदम रहती है जुटी 
कुटिया को मेरी सजा कर रखती है जैसे पर्णकुटी 

करवाचौथ में चंद्र पूजती अहोई अष्टमी में पूजेगी तारे भी 
कसर नहीं रखेगी सेवा में कोई गौरीशंकर डमरु वाले की
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  R Ojha  KK क्षत्राणी  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Sethi Ji  Neel  KK क्षत्राणी

R Ojha KK क्षत्राणी Ravi Ranjan Kumar Kausik Sethi Ji Neel KK क्षत्राणी #कविता

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Babli BhatiBaisla

सादगी समर्पण और साहस का प्रतीक है 
विवाह 
त्याग तपस्या और कठोर चुनौती की जीत है 
विवाह 
किसी एक की नहीं दो बराबर साथियों के 
कठिन धैर्यपूर्ण  निष्ठा की नींव है विवाह 

संपूर्ण समाज को संस्कारो की संजीवनी
से पल्लवित पोषित करने वाली रीति है विवाह 

और उसी विवाह की सफलता और उन्नति 
का संकल्प है करवाचौथ के व्रत की परंपरा
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla करवाचौथ  R Ojha  Andy Mann  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Neel  Sethi Ji  Sethi Ji

करवाचौथ R Ojha Andy Mann Ravi Ranjan Kumar Kausik Neel Sethi Ji Sethi Ji #कविता

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Babli BhatiBaisla

जिसे कठिनाइयां बदल ना सकी जमाना क्या बदलेगा 
सोया है खुले आकाश तले सर्द रातों में वो ठिकाना क्या बदलेगा 

नापी है तपती दोपहर में नंगें पांव मीलों दूरी वो पैमाना क्या बदलेगा
समय का शिकार खुद  शिकरी बन गया तो निशाना क्या बदलेगा 

अड़ लेगा जिगरबाज़ बादशाह से भी बादशाह उससे क्या लूटेगा
फितरत के लिबास से आखरी सांस तक देह का साथ ना छूटेगा 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Vikram vicky 3.0  Lalit Saxena  MoHiTRoCk F44  Sethi Ji  SIDDHARTH.SHENDE.sid

Ravi Ranjan Kumar Kausik Vikram vicky 3.0 Lalit Saxena MoHiTRoCk F44 Sethi Ji SIDDHARTH.SHENDE.sid #शायरी

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Babli BhatiBaisla

बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  R Ojha  Dr. uvsays  Bhardwaj Only Budana  KK क्षत्राणी  vineetapanchal  Ravi Ranjan Kumar Kausik

R Ojha Dr. uvsays Bhardwaj Only Budana KK क्षत्राणी vineetapanchal Ravi Ranjan Kumar Kausik #कविता

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Babli BhatiBaisla

कुछ घरोंदे घरों से मजबूत मिल जाते हैं आज भी 
चतुराई की नहीं चलती जहां कोई चाल आज भी 

पुरानी पड़ खुशियों को नया बनाए रखते हैं 
खुश रहने की चाह को सबसे जरूरी समझते हैं 

आज भी बसती है कच्ची हवेलियों में पक्के रिश्तो की खुशबू 
फरेबी फरिश्तो के लालच में आए बगैर पकड़ लेते है झूठ
बबली भाटी बैसला,

©Babli BhatiBaisla  चाँदनी  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Vikram vicky 3.0  R Ojha  Ashutosh Mishra  vineetapanchal

चाँदनी Ravi Ranjan Kumar Kausik Vikram vicky 3.0 R Ojha Ashutosh Mishra vineetapanchal #कविता

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Babli BhatiBaisla

गजब की बात है उसे मिलना है रोज मुझसे 
पर बात नहीं करनी 
देखना है रोज मुझे पर मुलाकात नहीं करनी 
जिंदा हूं मैं उसमें आज भी शौक की तरह 
वो नादानियों में मान बैठा मुझे रोग की तरह 
मन के खोल किवाड़ किश्त मुलाकात की बाकी है 
तेरे मर्ज के हिसाब  से तो अभी बहुत बात बाकी है 
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  R Ojha  KK क्षत्राणी  Neel  Sethi Ji  Dr. uvsays  Ravi Ranjan Kumar Kausik

R Ojha KK क्षत्राणी Neel Sethi Ji Dr. uvsays Ravi Ranjan Kumar Kausik #शायरी

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Babli BhatiBaisla

तीखे ज़हर के सामने भी ज़हर ही टिकता है 
ज़हरीले दंश का इलाज ज़हर ही दिखता है 
हक़ीक़त की हद तो जानते सभी है 
झूठा हो कर भी मीठा ज़हर बिकता बहुत है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla  पूजा सक्सेना ‘पलक’  R Ojha  चाँदनी  Khushi_ bhaliyan31  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Vikram vicky 3.0

पूजा सक्सेना ‘पलक’ R Ojha चाँदनी Khushi_ bhaliyan31 SIDDHARTH.SHENDE.sid Vikram vicky 3.0 #शायरी

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Babli BhatiBaisla

अनपढ कहे जाते थे जब हम जानवरों को भी  पढ़ लिया करते 
मन के दर्द समझ जाते थे जब पेड़ों की छांव में आराम किया करते 
अब कलपुर्जों से लगभग सारे काम किया करते हैं 
जरूरत घट गई इंसान की इसलिए अब रिश्ते बीमार रहते हैं 















सोचने वाली बात है नेकियों को बेवकूफियों की मचान बोलते हैं 
मशीनो का इस्तेमाल कर रहे हैं या मशीनों से इस्तेमाल हो रहे है 
सोचने समझने की क्षमताओं में जैसे कंगाल हो रहे हैं 
 मायाजाल में उलझकर तंदुरुस्ती में भी तंगहाल हो रहे हैं 
बबली भाटी बै

©Babli BhatiBaisla  R Ojha  Ravi Ranjan Kumar Kausik  Sethi Ji  Mili Saha  SIDDHARTH.SHENDE.sid  Vikram vicky 3.0

R Ojha Ravi Ranjan Kumar Kausik Sethi Ji Mili Saha SIDDHARTH.SHENDE.sid Vikram vicky 3.0 #कविता

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