कदमों की आहट तो हर रोज सुनाई देती है मेरी गली में
इंतजार तो अब तुम्हारी पायलों की छनछनाहट का है
शराब का ख्याल तो हर रोज आता है मुझे तन्हाई में
इंतजार तो अब तुम्हारी हाथ की बनी चाय का है।
-बैरागी
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बैरागी
किसी शख्स से नाराजगी नहीं अब,
खुद से डर लगने लगता है मुझे अब।
जो लिखता मैं हूं सिर्फ तुमपे,
किसी और के लिए लिखना नहीं चाहता अब।
- बैरागी
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अब फिर से शुरुआत होगी,
अब फिर से मुलाकात होगी।
अब फिर से फुलों की बहार होगी,
फुल पुराने होंगे अब ज़मीन नयी होगी।
-हिमांशु आर्या
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