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navneetthakur2246
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नवनीत ठाकुर

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नवनीत ठाकुर

दूरियों में भी इश्क़ की बुनाई,
कुछ रेशे खुदा से जुड़ने लगे।
जो गिरने का डर रखते थे कभी,
अब फलक तक उड़ने लगे।।
ज़िंदगी का है फलसफा,
रुकते थमते, फिर भी चलने लगे।
जो थे कभी अजनबी,
वो अब अपना सा लगने लगे।।
जो थे कभी हमारी कमजोरी,
अब वो ताकत बनके उभरने लगे।।
जो सपने कभी दूर थे,
आँखों में सच होते दिखने लगे।।
नफ़रतों में भी प्यार की राह चली,
अब हर दिल एक दूजे से जुड़ने लगे।।
राहों के कांटे भी अब फूलों में बदलने लगे,
ज़िंदगी की किताब में नए पन्ने खुलने लगे।।
जो कभी डूबे थे गहरे अंधेरे में,
अब खुद को रौशन करने लगे।

©नवनीत ठाकुर #ज़िंदगी का फलसफा
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नवनीत ठाकुर

जो राह में मिला था साथ कभी,
वक्त के हाथों फिसल गया।
दर्द छुपाने की कोशिश में,
चेहरे पर निशां बना।।
जो वक़्त की धारा में खो गए,
वो लम्हे बस एक ख़्वाब बने।
दिल में छुपा है दर्द पुराना,
वो शब्दों में ढल कर अब जुबान बने।।

©नवनीत ठाकुर #चेहरे पर निशान बने

#चेहरे पर निशान बने #शायरी

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नवनीत ठाकुर

White खुदा ने किस्मत के बहाने हर मोड पर इम्तिहान लिया है,
मगर होंसलों ने इतनी जल्दी हार मानना कब सीखा है।
जो चल पड़ा है ख्वाब मुकम्मल करने  विश्वास के सहारे,
उसने मुक़द्दर अपनी तरफ ही खींचा है।

©नवनीत ठाकुर #हौंसला
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नवनीत ठाकुर

किस्मत से शिकवा करना हर कोई जानता है,
पर वही जीतता है, जो हौसला बढ़ाना जानता है।
अक्सर ख्वाब टूट कर बिखरते हैं राहों में,
मगर हौसले वालों के कदम बहकना नहीं जानते।

हर ग़म को सहने का हौसला भी एक करिश्मा है,
यूं किस्मत की बात पर हर दिल बिखरता है।
जो दर्द से दोस्ती कर लेता है मुस्कुराते हुए,
वही मुकद्दर  को अपने हिसाब से लिखता है।

©नवनीत ठाकुर #मुकद्दर
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नवनीत ठाकुर

"पहाड़ों में जीना है कुछ खास,
जहाँ मैदानों में जलती है आग, यहाँ बसी है जन्नत का एहसास।

बर्फ़ की सफेदी में छुपा है खुदा का कमाल,
नीले आसमान में जैसे खुदा का ख्वाब हो बेमिसाल।

देवदार की खुशबू, हवा में ताजगी का पैगाम,
हर कदम पर महसूस हो जैसे वादियों का सलाम।

दूधिया झरने, जैसे रूह में समाई हो ताजगी का जादू,
हर नजर में बसी हो सुकून की छांव का ख्वाब,  धरती पर हो स्वर्ग का राज।

सेब की मिठास, अखरोट-बादाम का स्वाद,
खुमानी का रंग, चिलगोज़े की महक, यही है पहाड़ों की सौगात।

सड़कों पर बर्फ़ की चादर, खामोशी का किनारा,
ये देवों की भूमि, जहाँ जन्नत की रौशनी बसी है, एक आशीर्वाद का इशारा।

गर्म इलाकों से कहीं बेहतर ये ठंडे स्थान,
यहाँ हर मौसम में बसी है शांति और ठंडी शान।

नसीब नहीं हर किसी को ये सुकून की चाह,
यह सफर है खास, जिसे मिलती ये राह।

©नवनीत ठाकुर #पहाड़ों की राह
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नवनीत ठाकुर

White "जिंदगी भर की जद्दोजहद, बस एक सफर की बात है,
अंत में सबके हिस्से में, एक ही कफ़न की बात है।

राहों में कांटे चुनते रहे, फूलों की आस में,
अंत में तो सबकी मंज़िल, वही श्मशान है।

मिट्टी से उठे हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे,
जो सोने की ललक में थे, वो भी सो जाएंगे।

इंसान था, खुदा बनने की ख्वाहिश रही,
हसरतें थीं बुलंद, पर ज्यादा देर ठहर न सकी।

जिस जिस्म को संजोया, वो भी खाक हो जाएगी,
जिस दौलत पे फख्र था, वो यहीं रह जाएगी।

खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे,
ये जीवन का सफर, यूं ही खत्म हो जाएगा।

रंग-बिरंगी दुनियादारी, वो शोहरत, वो शान,
अंत में सब लुट जाएगा, रह जाएगा बस श्मशान।

धुंआ बनके उड़ जाएगा सब, हवाओं में कहीं,
वक्त की वो कड़वी सच्चाई, बस राख कहलाई जाएगी।

छोड़ जाएंगे यहां अपने निशाँ जो हमने बनाए,
लेकिन उन्हीं लहरों में वो भी मिट जाएंगे।

अभी वक्त है संभल जाओ, ये दौलत-ओ-शौहरत झूठ है,
अंत में बस प्यार का इक दिया, राह रौशन कर जाएगा।"

©नवनीत ठाकुर #कफ़न की बात
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नवनीत ठाकुर

महबूब पास हो तो दिल लगा लीजिए, 
खालिद याद ही फरमा लीजिए।
ऊपर वाले को याद करते हो सुबह शाम,
नफी याद उसने फरमा लिया तो मुश्किल होगी।

©नवनीत ठाकुर  लव शायरी

लव शायरी

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नवनीत ठाकुर

हिमालय की ऊँचाई से, गंगा की पावन धार,
थार के रेगिस्तान में, रेत का अद्भुत संसार।
केदारनाथ-बद्रीनाथ की भूमि का आशीर्वाद,
अमरनाथ के मेले में उमड़ी श्रद्धा की याद।
काशी की दीयों वाली दिवाली, प्रेम की सौगात,
अमृतसर के लंगर में, भक्ति की होती बात।
ब्रज की होली में रंगों का मस्ती भरा शोर,
दुर्गा पूजा की रौनक से सजा कोलकाता का हर छोर।
पुष्कर का मेला और कुंभ का स्नान,
बैसाखी, लोहड़ी, पोंगल, बसा सबका सम्मान।
हर पर्व में झलके संस्कृति का एक ताज,
इस विविधता पर हर दिल को है नाज़।
तमिल में मिठास, संस्कारों का मान,
बंगाली की पूजा, भक्ति का वरदान।
मराठी की जय-जयकार, बाप्पा का सजीला रूप,
पंजाबी लोहड़ी की धुन, संग खुशियों की धूप।
भरतनाट्यम, कथक, ओडिसी, सबका सुंदर संगम,
बिहू की थाप पे थिरके असमिया मन का रंगम।
गरबा, घूमर, लावणी से सजी ये धरती महान,
इस विविधता में एकता, यही है हिंदुस्तान।
त्योहार, मेला, भाषा-नृत्य, सब है भारत की शान,
संस्कृति के हर रंग में बसता ये हिंदुस्तान।

©नवनीत ठाकुर #हर दिल में बसता हिंदुस्तान है

#हर दिल में बसता हिंदुस्तान है #कविता

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नवनीत ठाकुर

पिता की यादों में है वो ख़ामोश रहमत,
उनके लफ़्ज़ों में आज भी वफ़ा का पैग़ाम बाकी है।
हर मुश्किल घड़ी में वो हौसला बनकर आते हैं,
वो दुनिया से रुख़्सत हुए, पर उनका असर बाकी है।

वो चले गए, छोड़ गए ज़िंदगी की तालीम,
उनके नक्श-ए-राह पर हर कदम का निशां बाकी है।
जब भी टूटता हूँ सफर की ठोकरों में कहीं,
उठाने को आज भी उनका अरमां बाकी है।

पिता का साया आज भी है मेरे साथ यूं,
उनकी दुआओं का साया हर राह पे बाकी है।
चले गए वो फलक के सफर पर दूर कहीं,
पर उनकी मौजूदगी का एहसास हर सांस में बाकी है।

वो जुदा हुए, पर छोड़ गए अनमोल ख़ज़ाना,
यादों में बसा है महकता उनका गुलिस्तां बाकी है।
अब वो सितारा बनकर आसमां में रोशन हैं,
उनकी रौशनी से मेरी हर रात और सुबह बाकी है।

जैसे अंधेरों में चिराग़ की लौ जलती है,
वैसे ही उनकी यादों का उजाला हर लम्हा बाकी है।
इस फानी दुनिया से वो चले गए हैं भले,
मगर मेरे दिल में वो जिंदा हैं, उनका हर वो लम्हा बाकी है।

©नवनीत ठाकुर #पिता का साया

#पिता का साया #शायरी

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नवनीत ठाकुर

White माँ के आँचल में बसी है जन्नत की खुशबू,
उसके प्यार में हर दर्द की दवा बाकी है।
लोरी की धुन से सजे हैं बचपन के नगमें,
उसकी ममता का हर रंग-ओ-हवा बाकी है।

उसके आशीर्वाद से रोशन है ये दुनिया,
हर कठिन राह में उसका साया बाकी है।
माँ की दुआओं में वो असर है छुपा,
जो हर ठोकर पे हमें संभाल लेता बाकी है।

माँ के आँचल की ठंडी छाँव है रहमत,
जिसमें सुकून-ओ-अमन का जहाँ बाकी है।
उसकी ममता में बसी है खुदा की रहमत,
माँ का हर एहसास बेमिसाल बाकी है।


जब भी गिरते हैं, उठाने को वो तैयार रहती है,
उसकी ममता का हर पल हमें सहारा बाकी है।
उसकी आँखों में दुआओं का एक समंदर है,
हर लम्हा उसके प्यार का दरिया बाकी है।

उसकी मुस्कान में छुपा है सुकून का जहाँ,
उसकी बातों में जन्नत का सफ़र बाकी है।
दूर रहकर भी उसके साये का एहसास मिलता है,
माँ की ममता का वो अमर रिश्ता बाकी है।

©नवनीत ठाकुर #मां
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