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mrunknown1774
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MR.UNKNOWN

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MR.UNKNOWN

You broke my heart   तुम लेकर दीये ढूंढ़ते रहे मोहब्बत
इस नफरत की दुनिया में,
और हम मोहब्बत ले कर आए
तो तुमने दीया बुझा दिया।

सोचा कि दिल चीर के दिखाए तुम्हे,
की कितनी चाहत है हमें,
पर तुमने ये कहकर"की ऐसा थोड़े ही होता है"
किसी और से दिल लगा लिया। #❤️

#❤️

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MR.UNKNOWN

होली के त्योहार में,
चलो मिलकर धूम मचाते,
थोड़े रंग तुम लगाओ ,
और हम गुलाल उड़ाते हैं।
होली के त्योहार में,
मिलकर धूम मचाते हैं।।

 चाहत नहीं मुझे रंग लगाने की,
ख्वाहिश है उनके रंग में रंग जाने की,
इन दो तरफा रंगो से ,
एक हम हो जाते हैं,
आओ इस बार होली,
संग हम मानते हैं।
इस बार होली ,
संग हम मानते है।।

एक ओर मोहन का प्रेम दूजी तरफ राधा प्रीत,
रंग डाले राधा पर मोहन तब शुरू प्रेम की रीत।।
जोगीरा सा रा रा रा ।। 

मैं खेलूं, तुम खेलो और होली खेले पूरा देश,
जो न लगवाए रंग तो फिर काहे का सुंदर भेष।
जोगीरा सा रा रा रा ।।




इस होली में खुद को अच्छे व्यवहार व अच्छे विचारों के 
टिकाऊ रंगों में रंगिये , रासायनिक रंगों में नहीं हैं।🙏
होली की हार्दिक शुभकामनाएं। holi

holi

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MR.UNKNOWN

किसी ने पूछा मुझसे –आप कैसे हैं ?
मैंने कहा– मज़े में हूं ।
उन्होंने फिर पूछा–आप हमेशा मज़े में कैसे रहते हैं?
मैंने कहा – मोहब्बत हुई थी हमे कभी ,
और उस मोहब्बत में दर्द है,
दर्द में मज़ा है ,
और मज़े में हम हैं । मज़ा–ए–मोहब्बत

मज़ा–ए–मोहब्बत

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MR.UNKNOWN

उसकी काली लिबास में भी हर रंग नजर आता था ,
उसकी हर बातों में प्यार नजर आता था,
उर्दू सी थी उसकी जुबां और उसकी हर लफ्ज़ में,
मैं खुद को देख पाता था,
लोग डरते हैं समंदर में डूबने से,
और हमे उनकी आंखों में डूबने को जी चाहता था। जन्नत

जन्नत

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MR.UNKNOWN

जिन बातों से बात बिगड़े ,
उन बातों को दिल में दबा लेता हूं।
जब थक जाते हैं लफ्ज़ ,
तो अपने जज़्बातों को पन्ने पर उतर देता हूं ।
दिल में रखता हूं उन्हें जो हमे याद करते हैं,
जो याद न करे उन्हें अपनी यादों से ही मिटा देता हूं।

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MR.UNKNOWN

क्यूं उन चंद लोगों पर ध्यान दूं मैं
जिन्होंने मुझे ठुकरा दिया ,

जरा उन्हें भी तो यह एहसास दिला दूं 
की मुझे प्यार करने वालों की कमी है नहीं।

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MR.UNKNOWN

क्या लिखूं मैं अपनी मां के बारे में,
उनकी ही तो लिखावट हूं मैं।
क्या बताऊं मैं अपनी मां का रूप,
उनकी ही तो बनावट हूं मैं।
हर रिश्ता है अनमोल,
किसी रिश्ते में कोई चूक नहीं,
जब थालियों में कम पर जाती है रोटी ,
वो मां है जो कहती मुझे भूख नहीं।
रिश्ते हैं हजार ,हर रिश्ते का एक नाम होता है,
पर जब चोट लगती है लाल को ,
तो जुबां पर सिर्फ मां का नाम होता है।
इस दौड़ भरी भीड़ में,
हर कोई पूछे तूने कमाया क्या?,
पर एक मां ही है जो सिर्फ ये पूछे,
बेटा ,तूने खाना खाया क्या?
तू खुश रहे ,आबाद रहे ,
ये मेरी सिर्फ एक मन्नत है,
मैं चूम लूं तेरे पांव को ,
उसमे ही मेरी जन्नत है,
उसमे ही मेरी जन्नत है।। मॅॉ

मॅॉ

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MR.UNKNOWN

हम अक्सर उनके अपने होने का ख़्वाब सजाया करते थे,
हमे क्या मालूम था वो यही ख़्वाब किसी और के लिए सजाया करती है।
हम अक्सर उनकी मुस्कान पर जी जान लुटाया करते थे,
हमे क्या मालूम था वो किसी और की मुस्कान पर जान लुटाया करती है।
हम अक्सर अपने दिल का हाल छुपाया करते थे,
वो अक्सर उस शक्स का हाल बताया करती हैं।
हम अक्सर अपने ज़ख्म को हंसी में छिपाया करते थे ,
वो अक्सर हमारे ज़ख़्म को हंसकर बताया करती है।
अक्सर बताया करती है।। हमे क्या मालूम था ?

हमे क्या मालूम था ?

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MR.UNKNOWN

आज फिर कुछ अपने खो गए ,
और इक दफा हम रो गए।
क्या खेल खेला जिंदगी ने,
कुछ पा लिया कुछ खो गए,
और एक दफा हम रो गए।
न रूठा हूं, न रूठेंगे,
न रोका है,न रोकेंगे,
हर वक़्त अपनी ख़ामोशी से ,
तुमसे हम ये पूछेंगे ,
क्यूं बेवफा तुम हो गए ,

और एक दफा हम रो गए।
और एक दफा हम रो गए।। और इक दफा हम रो गए।

और इक दफा हम रो गए।

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MR.UNKNOWN

बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।
ये जिंदगी है आपकी ,
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।
उस रोशनी के सामने,
क्या हैसियत है रात की,
बढ़ते चलो ,बढ़ते चलो।
तेरे हौसलों के सामने ,
क्या ग़म कभी टीक पाया है?,
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।
पोखर बनो,सागर नहीं,
सागर के पानी से किसी का,
 प्यास भी बुझ पाया है?,
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।
ये जिंदगी है आपकी,
बढ़ते चलो,बढ़ते चलो।। बढ़ते चलो,बढ़ते चलो

बढ़ते चलो,बढ़ते चलो

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