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drvassundhararai8610
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Dr Vassundhara Rai

Social worker /writer

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Dr Vassundhara Rai

रेप इन इंडिया कह कर माताओं बहनों का न अपमान करो
देश की  नारी से  माफ़ी मांग लो  शब्दों का तो मान  करो
बलात्कार की पीड़ा तुम क्या जानो राजनीति के लल्लु पप्पु 
अपना नहीं  कम से कम , दादी मम्मी बहन का सम्मान करो
Dr Vassundhara Rai रेप इन इंडिया कह कर माताओं बहनों का न अपमान करो
देश की  नारी से  माफ़ी मांग लो  शब्दों का तो मान  करो
बलात्कार की पीड़ा तुम क्या जानो राजनीति के लल्लु पप्पु 
अपना नहीं  कम से कम , दादी मम्मी बहन का सम्मान करो
Dr Vassundhara Rai
Nagpur

रेप इन इंडिया कह कर माताओं बहनों का न अपमान करो देश की नारी से माफ़ी मांग लो शब्दों का तो मान करो बलात्कार की पीड़ा तुम क्या जानो राजनीति के लल्लु पप्पु अपना नहीं कम से कम , दादी मम्मी बहन का सम्मान करो Dr Vassundhara Rai Nagpur

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Dr Vassundhara Rai

प्रिय तुम मेरे गीतों  की  प्रेम धुन  बन जाना
      सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन  मुस्काना
दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं
       बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है माना 
लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है 
        रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना
,Dr Vassundhara Rai प्रिय तुम मेरे गीतों  की  प्रेम धुन  बन जाना
सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन  मुस्काना
दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं
बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है
माना 
लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है 
रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना

प्रिय तुम मेरे गीतों की प्रेम धुन बन जाना सुन मेरी गीत धुन तुम मन ही मन मुस्काना दोहों छंदो और गीतों में प्रेम की बूंदे जो गिरती हैं बसंत फागुन सावन की फुहार मैने तुमको है माना लेखनी संग कल्पना भी बलखा के मुस्काती है रच वसुधा के गीतों में देख तुमको है शरमाना

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Dr Vassundhara Rai

बड़ी गंदी बड़ी उलझी अब  विरासत है
तुम्हारी चिता पर गर्म हुई सियासत है
बेटियां जल गयीं कोई फरक नहीं पड़ता है
क्यों तुम्हारे भाषण में दिखती नहीं लियाकत है 

Dr Vassundhara Rai बड़ी गंदी बड़ी उलझी अब  विरासत है
तुम्हारी चिता पर गर्म हुई सियासत है
बेटियां जल गयीं कोई फरक नहीं पड़ता है
क्यों तुम्हारे भाषण में दिखती नहीं लियाकत है 

Dr Vassundhara Rai

बड़ी गंदी बड़ी उलझी अब विरासत है तुम्हारी चिता पर गर्म हुई सियासत है बेटियां जल गयीं कोई फरक नहीं पड़ता है क्यों तुम्हारे भाषण में दिखती नहीं लियाकत है Dr Vassundhara Rai

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Dr Vassundhara Rai

चिता पर जब तुमने तांडव गया होगा
आत्मा ने आज उत्सव मनाया होगा 
शिव भी हारे हारे हारे हारे होंगे 
आत्मा ने जो काली रूप सजाया होगा

Dr Vassundhara Rai चिता पर जब तुमने तांडव गया होगा
आत्मा ने आज उत्सव मनाया होगा 
शिव भी हारे हारे हारे हारे होंगे 
आत्मा ने जो काली रूप सजाया होगा

Dr Vassundhara Rai

चिता पर जब तुमने तांडव गया होगा आत्मा ने आज उत्सव मनाया होगा शिव भी हारे हारे हारे हारे होंगे आत्मा ने जो काली रूप सजाया होगा Dr Vassundhara Rai

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Dr Vassundhara Rai

मेरी चीखों को चहकने दो ज़रा
मेरी मृत्यु को फैलने दो ज़रा
बेटी को बचाओ बेटी को पढ़ाओ
इस संदेश को भी हंसने दो ज़रा
जो थम  गयीं हैं सांसें मेरी
चिता को मशाल बना दो ज़रा 

Dr Vassundhara Rai मेरी चीखों को चहकने दो ज़रा
मेरी मृत्यु को फैलने दो ज़रा
बेटी को बचाओ बेटी को पढ़ाओ
इस संदेश को भी हंसने दो ज़रा
जो थम  गयीं हैं सांसें मेरी
चिता को मशाल बना दो ज़रा 

Dr Vassundhara Rai

मेरी चीखों को चहकने दो ज़रा मेरी मृत्यु को फैलने दो ज़रा बेटी को बचाओ बेटी को पढ़ाओ इस संदेश को भी हंसने दो ज़रा जो थम गयीं हैं सांसें मेरी चिता को मशाल बना दो ज़रा Dr Vassundhara Rai

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Dr Vassundhara Rai

*कौन*
---------

लम्बी रातों का हिसाब रखेगा कौन 
कटि कैसे तन्हाई मेरी सोचेगा कौन

लफ़्ज़ों पे क्यों रही उदासी इतनी
लवों को सिया किसने कहेगा कौन

 रहा  शबाब   जब  तक साथ  रहे
 हुए बेग़ाने क्युं राज़ खोलेगा कौन

वसु   दर्द  पिघल  पिघल बह रहा 
तुम्ही बताओ सैलाब रोकेगा कौन

Dr.Vassundhara Rai *कौन*
---------

लम्बी रातों का हिसाब रखेगा कौन 
कटि कैसे तन्हाई मेरी सोचेगा कौन

लफ़्ज़ों पे क्यों रही उदासी इतनी
लवों को सिया किसने कहेगा कौन

*कौन* --------- लम्बी रातों का हिसाब रखेगा कौन कटि कैसे तन्हाई मेरी सोचेगा कौन लफ़्ज़ों पे क्यों रही उदासी इतनी लवों को सिया किसने कहेगा कौन

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Dr Vassundhara Rai

विधायक का होता नहीं कोई स्वाभिमान है
होता है तो केवल कुर्सी का अभिमान है
घट तोड़ जोड़ गुणा भाग में विभाजित हुए 
लोकतंत्र में दिखता नहीं अब वोटो सम्मान है 

Dr Vassundhara Rai
Nagpur विधायक का होता नहीं कोई स्वाभिमान है
होता है तो केवल कुर्सी का अभिमान है
घट तोड़ जोड़ गुणा भाग में विभाजित हुए 
लोकतंत्र में दिखता नहीं अब वोटो सम्मान है 

Dr Vassundhara Rai
Nagpur

विधायक का होता नहीं कोई स्वाभिमान है होता है तो केवल कुर्सी का अभिमान है घट तोड़ जोड़ गुणा भाग में विभाजित हुए लोकतंत्र में दिखता नहीं अब वोटो सम्मान है Dr Vassundhara Rai Nagpur

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Dr Vassundhara Rai

( १ )
नेताओं का  धर्म नहीं न कोई जात-पात है
वोटो के बदले तुमसे हुआ सीधा विश्वासघात है
अब तो जागो  जनता  कब तक ठगे जाओगे 
संविधान दिवस पर लोकतंत्र की हुई मात है
                        
 (  २  )
आओ थोड़ा तुम थोड़ा हम सिंघम बन जाएं
चलो थोड़ा तुम थोड़ा हम सी एम बन जाएं
ठन गयी सरकार और चचा  प्यारे  पवार  में
कुर्सी  दे दो बस फिर हम चिंगम बन जाएं

Dr Vassundhara Rai ( १ )
नेताओं का  धर्म नहीं न कोई जात-पात है
वोटो के बदले तुमसे हुआ सीधा विश्वासघात है
अब तो जागो  जनता  कब तक ठगे जाओगे 
संविधान दिवस पर लोकतंत्र की हुई मात है
                        
 (  २  )
आओ थोड़ा तुम थोड़ा हम सिंघम बन जाएं

( १ ) नेताओं का धर्म नहीं न कोई जात-पात है वोटो के बदले तुमसे हुआ सीधा विश्वासघात है अब तो जागो जनता कब तक ठगे जाओगे संविधान दिवस पर लोकतंत्र की हुई मात है ( २ ) आओ थोड़ा तुम थोड़ा हम सिंघम बन जाएं

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Dr Vassundhara Rai

इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में
नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में 
उल्लु सीधा होने तक  पहुंचे हर घर द्वार में 
कुर्सी के चक्कर में नेता छोड़ गये मझधार में

Dr Vassundhara Rai इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में
नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में 
उल्लु सीधा होने तक  पहुंचे हर घर द्वार में 
कुर्सी के चक्कर में नेता छोड़ गये मझधार में

Dr Vassundhara Rai

इतराती कूरूप राजनीति उतर गरी बाज़ार में नेता कहे रुपया दो कर लो सरकार में उल्लु सीधा होने तक पहुंचे हर घर द्वार में कुर्सी के चक्कर में नेता छोड़ गये मझधार में Dr Vassundhara Rai

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Dr Vassundhara Rai

झूठ पर टिकी सफलता को हंसते देखा है मैंने 
बूट की चमक पे क्रूर्रता को चलते देखा है मैंने
सूट के ठाठ बाट को ऐंठता देखा है मैंने 
सियासी कुर्सी के लिए नेता को बिकता देखा है मैंने
पूछो तो मैं हूं कौन ,कौन हूं मैं
कालचक्र हूं जिसे कभी टिकता नहीं देखा है मैंने..

Dr Vassundhara Rai
Nagpur झूठ पर टिकी सफलता को हंसते देखा है मैंने 
बूट की चमक पे क्रूर्रता को चलते देखा है मैंने
सूट के ठाठ बाट को ऐंठता देखा है मैंने 
सियासी कुर्सी के लिए नेता को बिकता देखा है मैंने
पूछो तो मैं हूं कौन ,कौन हूं मैं
कालचक्र हूं जिसे कभी टिकता नहीं देखा है मैंने..

Dr Vassundhara Rai

झूठ पर टिकी सफलता को हंसते देखा है मैंने बूट की चमक पे क्रूर्रता को चलते देखा है मैंने सूट के ठाठ बाट को ऐंठता देखा है मैंने सियासी कुर्सी के लिए नेता को बिकता देखा है मैंने पूछो तो मैं हूं कौन ,कौन हूं मैं कालचक्र हूं जिसे कभी टिकता नहीं देखा है मैंने.. Dr Vassundhara Rai

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