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shekhbasilabdurr3308
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Shekh Basil Abdur Rahman

मैं भी बहुत अजीब हूँ इतना अजीब की खुद को तबाह कर लिया और मलाल नहीं

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Shekh Basil Abdur Rahman

#DailyMessage
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Shekh Basil Abdur Rahman

मेरे ख़्वाब की ताबीर मेरे ख़िलाफ़ निकली
मैं चाहता था ज़मज़म और वो शराब निकली

 वो हँसती है तो लगता है फ़ूल खिलते हैं 
उसकी हँसी तो जैसे मौसम-ए-बहार निकली 

उसके रूख़ की क्या ही बात करूं मैं
वो अमावस मे जैसे मेहताब निकली

उलझी उलझी सी ज़ुल्फ़े उसकी
मेरी उलझन का राहत-ए-असबाब निकली

उसकी गौहर आँखे बया करती है बहुत कुछ 
उसकी आँखें मेरे सब सवालों का जवाब निकली

उसके होंटों को छू कर जब लफ़्ज़ निकलते है
गोया बोतल से आब-ए-हराम निकली

उसे देख कर खो देता हूँ अपने होश ओ हवास 
"बासिल" वो लड़की तो सच मे मयखाने का जाम निकली
~बासिल अब्दुर रहमान

©Shekh Basil Abdur Rahman #Smile
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Shekh Basil Abdur Rahman

गाम= कदम, सरज़द=होना, मज़लूम=सताया हुआ,नफ़्स=ख्वाहिश, महशर= क़यामत का दिन 

उम्र कट रहीं हैं सफ़र मे तमाम
देखे हैं रास्तो मे कई कत्लेआम

मंज़िल हैं बहुत दूर अभी मेरी 
इसलिए कहीं रोके नहीं अपने गाम

दिन मे घूमते हैं शरीफ चेहरे
गुनाह सरज़द होते हैं शाम

ज़ुल्म करता है ज़ालिम मज़लूम पर जब
तमाशा देखती है खड़े होकर आव़ाम

जवाब देना है महशर मे अपने रब को
यहाँ रखो ज़रा अपने नफ़्स पर लगाम

"बासिल" तुम सब्र का रास्ता ना छोड़ना
चाहे लग जाये तुम पर कितने ही इल्ज़ाम

✍🏻 ~ बासिल अब्दुर रहमान

©Shekh Basil Abdur Rahman #WallTexture
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Shekh Basil Abdur Rahman

एक दिन उसके शहर में उससे मुलाकात हो गई
मुझे उससे उसे मुझ से मोहब्बत असरदार हो गई

जानने समझने का सिलसिला फिर यूँ हुआ शुरू
बातें ख़त्म ना हुई सुबह की अज़ान हो गई

हम दोनों में मोहब्बत बड़ी कुछ इस तरह
वो मेरा मैं उसकी सुकून ए जाँ हो गई

बनना था एक दूसरे का हमसफ़र हमे जिंदगी भर के लिए
मगर ज़ात के सवाल पर मेरी खुशिया ख़ाक हो गई

दिया फिर उसने अपनी मजबूरी का वास्ता मुझे
मैं क्या बोलती मेरी रूह मेरे जिस्म से जैसे जुदा हो गई

फिर अचानक उसके प्यार मे बदलाव आ गया
जैसे खूबसूरत एक शाम के बाद काली रात हो गई

उसके पास वक्त ही ना था मुझसे बात करने के लिए
जैसे मैं उसके लिये एक बुरे हादसे की याद हो गई

अब मैं उसे बिल्कुल भूल ही चुकी हूँ "निदा"
अब वो मेरे लिए एक गुज़री हुई बात हो गई

~ बासिल अब्दुर रहमान

©Shekh Basil Abdur Rahman

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Shekh Basil Abdur Rahman

मौसम-ए-सरमा = ठंड 

मेरे सब्र का इम्तिहान लिया जा रहा है
मुश्किलों को मेरा पता दिया जा रहा है

तुम आओगे तो हँस कर गले मिलूंगा तुमसे
वैसे भी अब मुझ से जिया नहीं जा रहा है

अब मैं घर से कम ही निकलता हूँ
सुना है आज कल धोका बहुत दिया जा रहा है

मौसम-ए-सरमा आने को तैयार है बस 
अब तेरे आने का इंतज़ार किया जा रहा है
~ बासिल अब्दुर रहमान

©Shekh Basil Abdur Rahman #SilentWaves
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Shekh Basil Abdur Rahman

फिर पलट कर ना देखा उसने मुझे यूँ छोड़ा
मैं पागल उसके लिए उसका पीछा ना छोड़ा

बड़े कहते थे इश्क़ बरबाद कर देता है ज़िंदगी
मैंने फिर भी इश्क़ करना ना छोड़ा

वो चली गई निकाह कर के किसी दूसरे शहर
मैंने अब भी उसकी गली मे जाना ना छोड़ा

मैं भला कैसे भूल सकता हूँ उस शख़्स को
मैंने आज तक उसे याद करना ना छोड़ा

वो भले ही मुझे सबसे अज़ीज़ था
पर मैंने कभी यारों का साथ ना छोड़ा

अब वो मुझे देख कर अंजान बन जाता है "बासिल"
मुझे कसम है जो मैंने उसे अपना बना कर ना छोड़ा
~बासिल अब्दुर रहमान #newplace
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Shekh Basil Abdur Rahman

Apna Sab kuch haar ke Lot aaye hona mere pass

Mai tumhe kehta bhi rehta tha ki Duniya tez hai #citysunset
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Shekh Basil Abdur Rahman

तुम्हारे ज़हनो मे उर्दू का इंतेखाब नहीं 

यही सबब है कि लहज़े मे जी जनाब नहीं #HopeMessage
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Shekh Basil Abdur Rahman

मैंने कहा रंगों से इश्क़ है मुझे

फिर लोगों ने अपने रंग दिखाये मुझे
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Shekh Basil Abdur Rahman

मेरे दिल से तेरी यादें कभी ना जायेंगी
शायद तन्हाइयों में आ कर मुझे अक्सर रुलायेंगी

मुझ से जो अब जुदाई इख़्तियार कर ली है तुमने
शायद तेरे हिज्र में आँखे मेरी अब आँसू बहायेंगी

अब जो तुम भूल गई हो अपनी खाई हुई कसमों को
शायद ज़िंदगी के किसी मोड़ पर तुम्हें वो याद आकर सतायेंगी

ये जो ख़िजां का दौर है मेरे सफह ए ज़ीस्त में
शायद अब तेरे लौट आने से ही इनमें बहार आयेंगी
~*बासिल अब्दुर रहमान* #Barrier #WrittenByMe
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