समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ मैं
कभी गहरे पैठ उतर के तो देख
अथाह सपने फैले मिलेंगे
तलहटी में दफन सफेद मोतियों के बीच
समुद्र हूँ मैं
कभी उथले पानी में उतर के तो देख
न जाने कितनी अनकही बातें मिलेगी
मचलती लहरों के सहारे सहारे
समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ मैं
कभी गहरे पैठ उतर के तो देख
अथाह सपने फैले मिलेंगे
तलहटी में दफन सफेद मोतियों के बीच
समुद्र हूँ मैं
कभी उथले पानी में उतर के तो देख
न जाने कितनी अनकही बातें मिलेगी
मचलती लहरों के सहारे सहारे
DrLalit Singh Rajpurohit
कोई राग सुनाओ ऐसी
कि जिंदगी की ताल बदल जाए
कोई सुर लगाओ ऐसा
कि सुस्तायी हुई चाल बदल जाए
कोई आलाप लगाओ ऐसा
कि सूरत ए हाल बदल जाए
कोई दीपक राग छेड़ो ऐसी
कि अँधेरा छट जाए
कोई राग सुनाओ ऐसी
कि जिंदगी की ताल बदल जाए
कोई सुर लगाओ ऐसा
कि सुस्तायी हुई चाल बदल जाए
कोई आलाप लगाओ ऐसा
कि सूरत ए हाल बदल जाए
कोई दीपक राग छेड़ो ऐसी
कि अँधेरा छट जाए
DrLalit Singh Rajpurohit
यहाँ वहाँ छितराये हुए
मेरे किस्मत के धागों उठो
फिर से बुनना होगा
एक नया कपड़ा तुमको
कुछ कम पड़ जाए तो समेट लेना
मेरी हथेलियों की पेचिदा रेखाओं को
उठो... अब तो उठो
मेरे उलझे हुए धागों उठो
यहाँ वहाँ छितराये हुए
मेरे किस्मत के धागों उठो
फिर से बुनना होगा
एक नया कपड़ा तुमको
कुछ कम पड़ जाए तो समेट लेना
मेरी हथेलियों की पेचिदा रेखाओं को
उठो... अब तो उठो
मेरे उलझे हुए धागों उठो