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drlalitsinghrajp0139
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DrLalit Singh Rajpurohit

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DrLalit Singh Rajpurohit

mere nahi ho tum

mere nahi ho tum

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DrLalit Singh Rajpurohit

विनोदपुरी मैट्रो स्‍टेशन आते-आते मैट्रो ने अचानक ब्रेक लगाए और वह एक धक्‍के के साथ मेरी बाहों में में आ गिरी, उसकी नजरें मेरी ऑंखों की गहराई में गोता लगाने लगी, फिर अपने दोनों अधरों को भींच कर आगे की तरफ बढ़ा दिए। जैसे ही मैं अपने होठ उसके अधरों की तरफ लाने लगा वह रुक गई और मुग्धावस्‍था में बोली ‘’तुम्‍हें क्‍या लगता है यह  बस पहली और आखिरी बार होगा...??



Full story in caption .....

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DrLalit Singh Rajpurohit

Problems come across to you
to raise you high
not to force you down
wake up to achieve dreams
waiting there a new dawn #quote #motivation #newdawn
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DrLalit Singh Rajpurohit

Women has great sense, 
She sniffs men's dialogue and unearth 
what He wants.
#DrLalitSinghR Women has great sense, 
she sniffs men's dialogue and unearth 
what he wants.

Women has great sense, she sniffs men's dialogue and unearth what he wants. #Drlalitsinghr

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DrLalit Singh Rajpurohit

Blackout blackout
#poem

blackout #poem

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DrLalit Singh Rajpurohit

Blackout blackout
#poem

blackout #poem

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DrLalit Singh Rajpurohit

Blackout blackout
#poem

blackout #poem

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DrLalit Singh Rajpurohit

समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ मैं कभी गहरे पैठ उतर के तो देख अथाह सपने फैले मिलेंगे तलहटी में दफन सफेद मोतियों के बीच समुद्र हूँ मैं कभी उथले पानी में उतर के तो देख न जाने कितनी अनकही बातें मिलेगी मचलती लहरों के सहारे सहारे

समुद्र हूँ मैं समुद्र हूँ मैं कभी गहरे पैठ उतर के तो देख अथाह सपने फैले मिलेंगे तलहटी में दफन सफेद मोतियों के बीच समुद्र हूँ मैं कभी उथले पानी में उतर के तो देख न जाने कितनी अनकही बातें मिलेगी मचलती लहरों के सहारे सहारे

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DrLalit Singh Rajpurohit

कोई राग सुनाओ ऐसी कि जिंदगी की ताल बदल जाए कोई सुर लगाओ ऐसा कि सुस्‍तायी हुई चाल बदल जाए कोई आलाप लगाओ ऐसा कि सूरत ए हाल बदल जाए कोई दीपक राग छेड़ो ऐसी कि अँधेरा छट जाए

कोई राग सुनाओ ऐसी कि जिंदगी की ताल बदल जाए कोई सुर लगाओ ऐसा कि सुस्‍तायी हुई चाल बदल जाए कोई आलाप लगाओ ऐसा कि सूरत ए हाल बदल जाए कोई दीपक राग छेड़ो ऐसी कि अँधेरा छट जाए

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DrLalit Singh Rajpurohit

यहाँ वहाँ छितराये हुए    मेरे किस्‍मत के धागों उठो फिर से बुनना होगा एक नया कपड़ा तुमको कुछ कम पड़ जाए तो समेट लेना मेरी हथेलियों की पेचिदा रेखाओं को उठो... अब तो उठो मेरे उलझे हुए धागों उठो

यहाँ वहाँ छितराये हुए    मेरे किस्‍मत के धागों उठो फिर से बुनना होगा एक नया कपड़ा तुमको कुछ कम पड़ जाए तो समेट लेना मेरी हथेलियों की पेचिदा रेखाओं को उठो... अब तो उठो मेरे उलझे हुए धागों उठो

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