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Mahadev Son

Lending & Consultant

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Mahadev Son

White  तहां उम्र भागा जिस मंजिल की ओर
कर्म भूमि को समझ कर...

छल मल भाग दौड़ भाया पसीना
दिन रात पाने इस मंज़िल के खातिर !

समझ में आया जब असली मंजिल
वहाँ जहाँ चलती न छल मल न माया

 अब न हिम्मत बची नाही उम्र बाकि
जिसको कमली कमली कहते सब

समझ में आया जब देखा तब 
कहाँ पहुंच गया वो कहाँ रह गया मैं!

©Mahadev Son #safar
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Mahadev Son

सीडीयाँ यहीं नहीं
वहाँ भी मिलनी

यहाँ सब चलता
छल माया का मेल !

वहाँ चलना न कोई खेल
होना बस कर्मों  तोल !

जिसको दुनियाँ कहती
कमली कमली दिन रात !

मालूम न कितना ऊपर
वो कितना करीब बैठा !

©Mahadev Son #stairs
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Mahadev Son

White जब किसी के बारे ज़्यादा सोचने लगो...

तो समझो मंजिल के करीब!

©Mahadev Son #safar
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Mahadev Son

आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल 
प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती

समुद्र से बादल बन मेंह बनकर  फिर 
बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में 

चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा 
आत्मा पवित्र और शुद्ध होती

मैला तो तन और मन होता
जल को क्या मालूम बिस्लेरी का 
काम बुझाना प्यास जल का 

आत्मा का वास तन का मन क्या जाने
उसको तो बस रहता इंतजार उस दिन

मिलन होना प्रभु से कब इसी आस में जीना

©Mahadev Son आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल 
प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती

समुद्र से बादल बन मेंह बनकर  फिर 
बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में 

चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा 
आत्मा पवित्र और शुद्ध होती

आत्मा जल समान सा शुद्ध निर्मल प्रवेश निकास का स्वयं राह ढूंढ लेती समुद्र से बादल बन मेंह बनकर फिर बरसती बहती मिल जाना अंत समुद्र में चक्र आत्मा का भी कुछ ऐसा आत्मा पवित्र और शुद्ध होती #Bhakti

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Mahadev Son

जब कोई दूसरा तकलीफ में...
 कर्मों की सज़ा!

जब खुद तकलीफ में....
प्रभु इच्छा!

|वह रे इंसान ||

©Mahadev Son जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा!

जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा!

|वह रे इंसान ||

जब कोई दूसरा तकलीफ में होता है तो कर्मों की सज़ा! जब खुद तकलीफ में तो प्रभु इच्छा! |वह रे इंसान || #Bhakti

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Mahadev Son

ॐ नमो महाकाली रूपम,
शक्ति तु ज्योति स्वरूपम
शुम्भ निशुम्भ को मारा,
रक्तबीज को संहारा

दुष्टों को संहारने वाली,
भक्तों के दुःख हरने वाली,
सन्त गुणी जन सब पूजते,
पूजा की तिथि विधि ना जानू,

मंत्र तंत्र को मैं ना जानू,
मैया बस पढ़ुं चालीसा 
जीवन में माँ करना उजाला,
बीच भंवर में फंसी है नैया,

आकर लाज बचाना,
सद्-बुद्धि का दान ही देना,
ॐ नमो माँ काली शक्ति स्वरूपम
मैया प्यारी, दया करो महाकाली

©Mahadev Son ॐ नमो महाकाली रूपम,
शक्ति तु ज्योति स्वरूपम
शुम्भ निशुम्भ को मारा,
रक्तबीज को संहारा

दुष्टों को संहारने वाली,
भक्तों के दुःख हरने वाली,
सन्त गुणी जन सब पूजते,

ॐ नमो महाकाली रूपम, शक्ति तु ज्योति स्वरूपम शुम्भ निशुम्भ को मारा, रक्तबीज को संहारा दुष्टों को संहारने वाली, भक्तों के दुःख हरने वाली, सन्त गुणी जन सब पूजते, #Bhakti

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Mahadev Son

White  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

इन तीनों के लिये सभी निरंतर प्रयास करते...

मोक्ष के लिये सोचते भी नहीं क्योंकि
मुश्किल या मालूम ही नहीं....


       मोक्ष - मुक्ति, आत्म-साक्षात्कार।    
           जीवन की अंतिम परिणति है। 

मोक्ष आत्मा को भौतिक संसार के
संघर्षों और पीड़ा से मुक्त करता है!

आत्मा को जीवन, मृत्यु और
पुनर्जन्म के अंतहीन चक्र से
मुक्त करता है!

©Mahadev Son  जीवन की परिभाषा
चार लक्ष्यों को प्राप्त करना
धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष

धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन
काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है
अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा,
जीवन के साधन

जीवन की परिभाषा चार लक्ष्यों को प्राप्त करना धर्म, काम, अर्थ और मोक्ष धर्म - सदाचार, उचित, नैतिक जीवन काम - चारों लक्ष्यों को पूर्ण करना है अर्थ - भौतिक समृद्धि, आय सुरक्षा, जीवन के साधन #Bhakti

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Mahadev Son

मनोरंजन के लिए न सौदा कर संस्कारों का
भटक दर बदर न मिटा धरोहर पूर्वजों की  

जन्म हुआ जहाँ तेरे कर्मों के हिसाब से 
सोच जब यहाँ बनी कुंडली क्या वहाँ न होगी

बस थाम कुल का हाथ हो जायेगा बेड़ापार
माँ बाप से पहचान प्रमाण रगो बहता खून उनका 

कुल वंश का नाम रोशन करेगा पाला तुझको 
मुक्ति दिलएगा वंश उनका कर्म करेगा ऐसा

खुद तो भटक रहा न भटका अपनी पीढ़ी को
खोला जायेगा जब बहीखाता तेरा फिर से....

©Mahadev Son मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का
भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर 

जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा
दूसरे देश जाता जब आया कहाँ से पूछा जाता 

जब यहाँ कुंडली बनी तेरी फिर वहाँ न बनी होगी
वहम तेरा सोच ज़रा नकल तो कहीं से हुईं होगी

मनोरंजन के लिए न सौदा कर इन संस्कारों का भटकर दर बदर मिटा रहा क्यूँ पूर्वजों की धरोहर जायेगा जब ऊपर तब क्या ज्वाब व हाल होगा दूसरे देश जाता जब आया कहाँ से पूछा जाता जब यहाँ कुंडली बनी तेरी फिर वहाँ न बनी होगी वहम तेरा सोच ज़रा नकल तो कहीं से हुईं होगी #Bhakti

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Mahadev Son

झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ
यह नहीं की हाजिरी लग गई या
मुराद हो जायेगी पूरी तेरी 

जिस दर पे झुक जाये सिर तेरा 
खुद ब खुद आशीर्वाद भी वहाँ
अपने आप मिल जाता

©Mahadev Son झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ यह नहीं की 
हाजिरी लग गई या मुराद पूरी हो जायेगी

दर कहते उसको जिस दर पे झुक जाये सिर खुद ब खुद तेरा आशीर्वाद भी वहाँ अपने आप मिल जाता

झुका दो सिर जहाँ तहाँ इसका अर्थ यह नहीं की हाजिरी लग गई या मुराद पूरी हो जायेगी दर कहते उसको जिस दर पे झुक जाये सिर खुद ब खुद तेरा आशीर्वाद भी वहाँ अपने आप मिल जाता #Bhakti

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Mahadev Son

गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में 

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया 

सौगंध तुझको तेरे लाल की और न
देरकर बस आजा अब न दे सज़ा
न रुला अब और तरसा....

©Mahadev Son गर बिछड़ जाये लाल उसका
क्षण भर के लिये माँ कमली कमली
ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में 

पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी
तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच
बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया

गर बिछड़ जाये लाल उसका क्षण भर के लिये माँ कमली कमली ढूंढ़दी फिरदी यहाँ तहाँ इस जग में पर लगता मैंनु मनालो त्वांनु जिन्ना वी तैनु फर्क नी पैंदा लगता मैंनु पथरों के विच बै बै के दिल भी तेरा पत्थरा दा हो गया #Bhakti

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