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jameelkhan2229
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jameel Khan

मेरा सच बोलना गर जिसको गुजरता है न-गवार। तो फ़िर मेरे मुख़ालिफ़ो मे एक इज़ाफा और सही

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jameel Khan

White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो
तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो

तुम ला जबाब हो तुम्हारा जवाब नही
तुम मुझे  ला जबाब इस क़दर लगती हो

जमील

©jameel Khan # कहर #

# कहर #

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jameel Khan

White वे शक़ आप नबियो के नबी है
कोई माने या न माने उम्मती सभी है

जमील

©jameel Khan # उम्मती#

# उम्मती# #Shayari

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jameel Khan

White हमारी अंखों के सामने हमे वो अंधा कर रहे है
वो चंदो  के नाम  पर अपना  धंधा कर  रहे  है

मज़हब  का  दिखावा  मज़हब  के  नाम  पर
अदाक़ार अदाक़ारी निहायत उम्दा कर रहे है

जमील

©jameel Khan # धंधा#

# धंधा# #Poetry

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jameel Khan

White ऐसी ख़ुशी से तो रोना बेहतर है
तुम्हारे होने से तुम्हारा न होना बेहतर है

जमील

©jameel Khan # बेहतर #

# बेहतर #

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jameel Khan

White क्या गलत क्या सही मै इतना दीन रखता हूं
मै कहने से ज़्यादा करने मै यक़ीन रखता हूं

जमील

©jameel Khan # यक़ीन #

# यक़ीन #

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jameel Khan

White पी  पी कर  ज़हर  वो इतने ज़हरीले हो गए 
 के जिस जिस को ढसा वो सब नीले हो गए 

आसमान छूने लगे है खोटे सिक्कों के दाम 
अंधों की  नजारों में पत्थर चमकीले हो गए 

मज़हब  को भूल  गए वो मज़हब के नशे मे मज़हब  के नशे मे वो  इतने नशीले  हो गए

इस क़दर झूठ बोला गया के सच लगने लगा
के लोग शक मे मुब्तला और शकीले हो गए 

वो शख़्स गली गली गाता है बस एक ही राग
सुनने वाले  सुनकर पागल सनकीले  हो गए


जमील

©jameel Khan # ज़हरीले #

# ज़हरीले #

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jameel Khan

White आसमान छूने लगे है खोटे सिक्कों के दाम 
अंधों की नज़रों में पत्थर चमकीले हो गए 


जमील

©jameel Khan # ज़हरीले#

# ज़हरीले# #Poetry

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jameel Khan

White आंखों के सामने ही हमे वो अन्धा कर रहे है
चंदों के नाम पर वो अपना धन्धा कर रहे है


जमील

©jameel Khan # धन्धा #

# धन्धा #

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jameel Khan

White ग़ुस्से मे मेरी जान तुम क़हर लगती हो
तुम वो धूप हो जो भरी दोपहर लगती हो

जमील

©jameel Khan # क़हर #

# क़हर #

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jameel Khan

White उस शख़्स की ज़ुल्फ़ मेरे सर थोड़ी है
मेरी क़लम को किसी का डर थोड़ी है



जमील

©jameel Khan # सर #

# सर #

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