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naveengodiyal7172
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naveen godiyal

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naveen godiyal

#FathersDay #पिताकीछाँवमें #पिताकाप्यार #पिताजी_को_समर्पित #FatherLove  SohanDev Srk writes DANISHWRITES3339 Farhan Shaikh Lotus banana (Arvind kela)   SohanDev Srk writes DANISHWRITES3339 Farhan Shaikh Lotus banana (Arvind kela)   happydil lisa gupta Vikas Sahni Naushad Ahmad Nazar Govind Dubey  Govind Dubey Jyoti Singh Singh SingerRahulOfficial Khalid Abbas khalid Barnali De  Pooja Boombak #Chauhan Ajay Singh Amit Dubey  Pritam  söñâlï srívåstãvâ  Neetu Saharan Choudhary Prachi Tyagi Sanawrite

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naveen godiyal

#independenceday2022  zarri farha lisa gupta khushi bhatt swetu Prachi Tyagi  Amit Dubey  Chintan Chaitanya #Chauhan Ajay Singh Sanawrites_______  Jyoti Singh Singh  Prachi Tyagi Radhika sweety Neetu Saharan Choudhary सुमन  Das Bandana Das  Pooja Boombak manohar patidar SwaTripathi  Rashmi Das Bandana Das

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naveen godiyal

#tokyo_olympics #neerajchopra #Proud_Moment #proudtobeindian 

#shayaranaandaz
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naveen godiyal

hum hu gunahgaar hain

#HathrasRapeCase

hum hu gunahgaar hain #HathrasRapeCase

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naveen godiyal

निर्भया शर्मशार थे हम तब भी, हम शर्मशार आज भी हैं।
मानवता की हैवानियत पे जाने क्यूं लाचार आज भी हैं।
बेसुध से हम सोएं पड़े हैं, सुध कहां ले पाए हम कभी,
बेटियों पर नृशंसता से होते जघन्य बलात्कार आज भी हैं।
शर्मसार थे तब भी.........
बुलबुल सी चेहकती थी वो, कब उसने यह सोचा होगा।
दर्द भी रोया होगा, जब उन गिद्धों ने उसको नोचा होगा।
उसकी चीखें दब के रह गई उन अमानुषो के हाथो में,
निर्वस्त्र, बेजान बच्ची ने, कैसे अंतहीन दुख भोगा होगा।
कहां बदल पाए घर्णीत समाज के गिरते विचारों को,
बेटियों के खून से लथपथ लिखा समाचार आज भी है।
शर्मशार थे तब भी..........
पूछती है बेटी, कौरव खड़े है, केशव भी तो दिखलाओ,
भीम भी बने कोई और उनकी जांघे जरा उखाड़ लाओ।
परस्त्री के हरण पे, पूरी लंका ढहाने वाले राम कहां है,
पुरखो से मिली न्यायव्यस्था, सोई क्युं है उसे जगाओ।
बाबा इससे तो अच्छा था भूर्ण में ही हत्या कर देते,
तुम्हारे इस अन्नेतिक दुनिया में व्यभिचार आज भी है।
शर्मसार थे तब भी............
देवी जैसे पूजते हो तो बताओ, मेरा वो सम्मान कहां है।
बाबा सबसे पूछो ना, तुम्हारी वो नन्ही सी जान कहां है।
केहदो इनको बेटियों के कभी अभिशाप नहीं लेते,
कैसे जन्म लूं फिर से, सुरक्षित वो मेरा हिंदुस्तान कहां है।
निरुत्तर सा बाप खड़ा असहाय समाज को कोस रहा,
हम गुनहगार तेरे कल भी थे, हम गुनहगार आज भी है।
शर्मसार थे तब भी...........
चरमराती सुरक्षा व्यवस्था, कानून की हालत लचर रही।
सियासत बदली, पर यह दोनों मठाधीश के नए घर रही।
बचाने अस्पताल भी दौड़े, पर वहां भी परछाई इनकी थी,
गुड़िया हाथों में तड़पी थी, वहां खाली मगर बिस्तर रही।
तेरे कुछ अधिकार नहीं है, तू परियों के देश में बस जा,
दरिंदों के लिए कल भी थे और मानवाधिकार आज भी हैं।
शर्मशार थे तब भी............
- नवीन गोदियाल

©naveen godiyal #Stoprape
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naveen godiyal

मुझ अबोध बालक का पहला हिंदी अक्षर मां था।
फिर जैसे बढ़ता गया, हिंदी ही मेरा सारा जहां था।

सहसा मानसपटल पे छा गई हिंदी कि सुंदर फुलवारी,
तद्भव, तत्सम और देशज शब्दों से महके हिंदी प्यारी।
सुबह के किरणों सी और शाम की सुरमई सी हिंदी,
हिंदी इतनी रची बसी है देखो, पीहू भी गाए डारी डारी।

लिपि का अनुवाद है हिंदी, संस्कृत का प्रसाद है हिन्दी,
जो कभी ना खत्म हो सके, वो भक्त प्रहलाद है हिन्दी।
स्वछंद सी बहती है हिंदी, कल कल कर कहती है हिंदी,
धरती के एक बड़े भूभाग का मर्यादित संवाद है हिन्दी।

बोलियों की बेजोड़ श्रंखला, जगह जगह पर हैं फैली,
अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, भोजपुरी, मालवी, बुंदेली,
हरयाणवी,राजस्थानी सी,पंचपरगनिया,छत्तीसगढ़ी सी,
नागपुरी,खोरठा,गढ़वाली,कुमाऊनी,मगही और बघेली।

बोली भाषाओं के विस्तार का भी विस्तार है हिन्दी,
अनगिनत अनुप्रासो से सुसजित अलंकार है हिन्दी।
हिंदी से ही प्रेम परिभाषित, हिंदी दर्द की आवाज,
भारत खंड की शोम्यता का अटल आधार है हिन्दी।

किसी राज्य की राजभाषा, कहीं वो हक से वंचित है।
अपने ही देश में देखो, हालत उसकी क्यूं कुंठित है।
परिवेश - परिधान बदला अब भूल बैठे हैं हिन्दी को।
इस व्यसायी करन में, हिंदी डूब ना जाए मन चिंतित है।

इसलिए कहता हूं, अब हर संज्ञान तुम्हारा हिंदी हो।
पढ़ो सारी भाषाएं, पर मन में ध्यान तुम्हारा हिंदी हो।
हिंदी तुम्हे पुकार रही है, उसकी अब सुध तुम ले लो।
पुस्तकों तक ना रहे सीमित,अनुष्ठान तुम्हारा हिंदी हो। #Hindidiwas
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naveen godiyal

आने वाले कल को हमें, नया सवेरा दिखाना है,
अपनी माटी को फिर से सोने की चिड़ियां बनाना है।

आजादी के मतवाले थे, तभी आजादी पाई थी,
सालो बाद स्वतंत्रता की गूंजी फिर शहनाई थी।
वरना प्रताड़ित थे सब, जख्मों में थे नमक डले,
वेदना से कुंठित, उन अक्रंताओ की रहनुमाई थी।
अब खुद को तैयार करो, मां की ढाल बन जाओ,
खुद काल बनकर तुम्हें, कोतुक काल को डराना है।
आने वाले कल को.........
चिंगारी सन सत्तावन की, मंगल की ललकार थी,
रण चंडी की प्यास बुझाती, रानी की तलवार थी।
हमने सीख लिया था हिंसा से अब प्रतिउत्तर देना,
भगत, राजगुरु, आजाद की तीव्र तीखी यलगार थी।
हंसते हंसते प्राण तज दिए, मां के महान सपूतों ने,
हमको भी अपने भीतर सोए शिव को जगाना है।
आने वाले कल को.........
अब बैरी के हाथो में कभी, पतवार ना आ पाए,
सबल प्रहरी हो, फिर से वो मंझधार ना आ पाए।
जब मां बेड़ी में थी, अकुलाहट थी जन जन में,
फिर से कोई रहबर बनकर, नागवार ना आ पाए।
अपनी चाहत से पहले, देश का लक्ष्य साधना है,
तुम्हे हौसले की पाठशाला में खुद को जलाना है
आने वाले कल को….......
आजादी नहीं मिली है, केवल ख्याली बातों से,
वीर लड़ा है, सोया नहीं वो कितनी काली रातों से,
उसे पता था सोए, तो सोता भाग ना जग पाएगा,
लड़ाई नहीं जीती जाती, केवल शांत मुलाकातों से।
तुमको भी आती फसलों, सोंगंध यह खानी होगी,
हर खतरे से मेहफूज रख, भारत मां को बचाना है
आने वाले कल को…........
हिंसा और अहिंसा का कुछ ऐसा अब समीकरण हो,
चाणक्य की नीतियों का, तुमको अब अनुसरण हो।
नई विधाएं सीखो, और तुम नया विज्ञान लिख डालो,
और फिर भारत मां का इतिहास में स्वर्णिम चित्रण हो।
अरमान यही हो, की यह स्वप्न सलोना सच हो जाए,
तुमको फिर से विश्वगुरु का तिरंगा जहां में फहराना है।
आने वाले कल को..........

- नवीन गोदियाल #IndiaLoveNojoto  #इंडियनआर्मी #इंडिया #IndianArmy #India
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naveen godiyal

आज सितारों सी चमकेगी, फिर से अयोध्या नगरिया,
आन पधारो मोरे प्रभु, रस्ता देखें तोहरी यह गुजरिया।
सालो बाद हमरी प्राथना स्वीकार हुई है,
लाखो कोशिशें माना पहले बेकार हुई है।
हमरी भूल क्षमा करो हे कृपानिधान,
आज नगरी सारी फिर अश्रुधार हुई है।
आन बसो अब प्रतिक्षा ना होवे,
कब तुम ही कहो, तुम्हरे बिन सोहे है केसरिया।
आज सितारों सी चमकेगी..............
भव्य मंदिर, सुंदर प्रांगण हम बना भी देंगे,
महकती रजनीगंधा से हरशु उसे सजा भी देंगे।
पर वो पूर्ण तब होगा, जब तेरी छवि झलकेगी,
हम कोतूक से हाथ जोड़े तेरी वंदना भी करेंगे।
मन अधीर हो चला है, सुनलो गुहार अब,
बुला रही व्याकुल सी तुमको, पुरानी तुम्हरी डगरिया।
आज सितारों सी चमकेगी...................
निष्प्राण था जो, उसने भी प्राण है पाया,
जब भी दिल से, उसने तेरा ध्यान लगाया।
मन हर्षित है, अंतर्मन के दिए प्रज्वलित है,
फिर प्रभु मेरा लौट अपने देखो धाम आया।
अब आए हो तो अब छोड़ ना जाना,
बड़ी मुश्किलों से छटी है यह कारी बदरिया।
आज सितारों सी चमकेगी…..................
फिर से चलो, सब मिलकर दीवाली मनाएं,
इक वनवास से फिर हमरे प्रभु राम लौट आए।
फिर से संखनादो की गूंज से संसार जगा दो,
फिर से रामराज्य के, चलो मधुर स्वपन सजाएं।
एक भी घर में अंधकार ना हो, उजाले भर दो,
देखूं तुझको, ऐसा दे दीजो मोहे देखन का नजरिया।
आज सितारों सी चमकेगी...................... #shriram #जय_श्री_राम #मर्यादा_पुरुषोत्तम #प्रभु #प्रभु_आजाओ_ईक_बार
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naveen godiyal

पिता तेरे चरणों में, क्रमबद्ध नतमस्तक सारे चिराग हो,
तुम ही मेरे चारो धाम, तुम ही मेरे लिए गंगा की आब हो।

मां ने प्रेम,करूणा से चलने के, माना अमूल्य व्यवहार दिए,
तुमने हिम्मत और कठोरता जैसे विश्वसनीय ओजार दिए।
तुझसे त्यागी, तुझसे ज्यादा कोई अनुरागी हो नहीं सकता,
तूने मेरी ख्वाहिश के लिए, अपने लाखो अरमान मार दिए।
अपने ख्वाबों को छोड़, मेरे ख्वाब रोशन किए,
मैं दिया तेरी देहरी का, बाबा तुम मेरे आफताब हो।
पिता तेरे चरणों में..................
जब गिरा पहली दफा, तो तूने ना संभाला, ना उठाया मुझे,
ठोकरें होंगी जीवन में, उस दिन पहला पाठ पढ़ाया मुझे।
ऐसा नहीं था, गिरने से मेरे, दर्द तुझे ना हुआ होगा।
उस दर्द को पीकर, आसमां में उड़ने लायक बनाया मुझे।
कहां दिखे आंसू तेरे, तुम जाने कब छूप छूप के रोए होंगे,
मुझे बताओ, टीस छुपाने में कैसे तुम इतने कामयाब हो।
पिता तेरे चरणों में...................
हमने जब भी अनुचित सी, कुछ फरमाइश करी होंगी,
उसको पाने में तूने कितनी जोर आजमाइश करी होंगी।
मेरे खेल खिलौने की खातिर, अपना जीवन मिटा डाला,
खून जला तपती धूप में, तब मेरी परवरिश करी होगी।
इतना हठी प्राण कैसे बने, आज दो बतला मुझे,
क्यूंकि मेरे सारे छोटे बड़े सवालों का तुम जवाब हो।
पिता तेरे चरणों में...................
आज पकड़ने दो हाथ मुझे, आज गले लग जाने दो,
जिसे छुपाए बैठे हो, उस करूणा को जग जाने दो।
आज चलो कहीं घूम आए, कुछ जाम पकड़ लो तुम,
कुछ देर सही, इस बुढ़ापे को खुद से अलग जाने दो।
आज फिर से महसूस करो बहारे बाग सी दुनिया,
आज फिर दिखा दो तुम,वही इंसान लाजवाब हो।
पिता तेरे चरणों में...................... #FathersDay
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naveen godiyal

वक़्त आ चला है, दुश्मन को उसकी भाषा में जवाब देने का,
उसकी नापाक हरकतों का, गिन गिन के हिसाब देने का।
बहुत ढोल पिट लिए प्रेम के आलाप का,
घड़ी है यह उनके, रुदन और विलाप का।
बहुत भेज चुके हम चिट्ठियां संवाद की,
मौका नहीं देंगे अब, फिर से विश्वासघात का।
खड़ग उठा वार कर, एक नहीं सौ बार कर,
जो लातो के भूत है, क्या फायदा उसे गुलाब देने का।
वक़्त आ चला है.................
दो हुक्म ए हुक्मरानों, हम हर गढ़ फतेह कर आयेंगे,
मां भारती की आन पे, करोड़ों चढ़ सर जायेंगे।
वतन पे मर मिटने की हम, आरज़ू लिए बैठे हैं,
तेरे लिए, कई बार हम मौत से स्वयंवर रचायेंगे।
यूं धोखे से मरना, कतई गंवारा नहीं हमें,
तू देख खौलता खून, देख जोश बेताब खेमे का।
वक़्त आ चला.....................
हिमालय के हठ को अपने अंदर जीवित कर,
इन्द्र के ब्रज सा खुद को अभिजीत कर,
शिव है तुझमें, तांडव दिखाना है तुझे,
चामुंडा प्यासी है, सरजमीं को दानव रहित कर।
बौद्ध का प्रेम, अशोक की अंहिसा बहुत हुई,
कृष्ण का अंश है, वक़्त है धर्म का रूबाब देने का।
वक़्त आ चला है...................
मौत से भय, कभी रहा नहीं, वो तो सिरहाना मेरा,
कर्मपथ में  हूं अडिग,काम, काल को डराना मेरा।
हाथ जो बढ़े इधर, जुदा कर दूंगा आत्मा से शरीर तेरा ,
काम बस चीनी जैसे, कुत्तों को आइना दिखाना मेरा।
तकलीफ दी है मुझे, जो कुछ दोस्त धोखे से मारे हैं
वक़्त है, तेरे अपनो की मौत का तुझे संताप देने का।
वक़्त आ चला है.........….............
इन्कलाब का पाठ हो और हर बच्चे के विचारो में हो,
सरहद पे लड़ रहे वीर अपने, तेरी नज़र गद्दारों पे हो,
चक्रव्यूह सा बांधने चला है, अब तुम पर बैरी,
एक से होगा क्या, लाखो अभिमन्यु कतारो पे हो।
अब भगत सिंह चाहिए, जो बंदूके बो सके,
हर मां कसम खा ले, वतन पे अपना आफताब देने का।
वक़्त आ चला है....................
अफसोस है आत्मनिर्भर ना हो पाए हम इतने सालो में,
अब घिरे हैं, हर तरफ से, दुश्मनों की चालो में,
चल तवुजो दे, अपने कारखानों में, बने सामानों को,
कमियां होंगी तो सुधर जाएंगी, पूछना अपने सवालों में।
कई दौर प्रयास चलता है, तब उत्तम बनता है कोई,
बस जरूरत है अपने हौसलों से उसे आग देने का।
वक़्त आ चला है......................
- नवीन गोदियाल #IndianArmy #army #
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