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veenakhandelwal3295
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veena khandelwal

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veena khandelwal

White 

भादो शुक्ला अष्टमी, अद्भुत पावन वार,
प्रकटी लाली राधिका, शुभता का संचार।
आनंदित वृषभान जी,धन्य किर्ति की कोख-
बरसाने में धूम है,बरसी खुशी अपार।।

देव दुंदुभी बज गई, हुई पुष्प बरसात,
सभी बधाई गा रहे,बीत गये दिन रात।
 बरसाने के द्वार सजे,घर घर बंदनवार -
खूब बधाई बंट रही,वृष बांटे सौगात।।

वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #GoodMorning
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veena khandelwal

राधा जी बाधा हरो, श्याम मिलन की आस।
श्याम मिलन होगा तभी,जब प्यारी तुम पास।।
जब प्यारी तुम पास,दूर तब कहाॅं मुरारी।
करते हृदय निवास, तुम्हारे श्री गिरधारी।
बहे राधा जु धार, कटे जीवन की बाधा।
कृष्ण राधिका एक,कृष्ण आधा बिन राधा।।

राधा जी बाधा हरो,इतनी सी फरियाद।
श्याम मिलन लागी लगन,करते हम भी याद।
करते हम भी याद,हुआ मन बहुत अधीरा
हमको भी है प्रीत, नहीं हम राधा मीरा‌।
हम तो चाहें पूर्ण, ब्रम्ह जो हो ना आधा।
श्याम मिले संपूर्ण , कृपा करना श्री राधा।

वीणा खंडेलवाल
 तुमसर महाराष्ट्

©veena khandelwal
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veena khandelwal

White मेरे वश में कुछ नहीं 

मेरे वश में कुछ नहीं, सब है प्रभु के हाथ,
मैं तो एक निमित्त हूं, कर्ता है रघुनाथ ।
मनुज इसलिए कर्म कर,फल देता करतार-
सच्चाई सद्मार्ग में, प्रभु रहता है साथ।।





                                 वीणा खंडेलवाल 
                         
                                  तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #Shiva
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veena khandelwal

जय श्री कृष्णा 
Happy Birthday Dear Jiji
💐💐💝🎉🎉🎉🎉🎉🎉🎉💝💝💝🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳🥳❣️💖💖🎊🎊🎊🎊🎊🌹🌹🌹🌹🌹🌹
सुबह सुबह  घर में झरते हरश्रृंगार की महक,
उसी पेड़ से छनकर आती,भोर किरणों की झलक।
अह्हा लहराती पवन, मनभावन बुंदें बारिश की-
भौरों की गुंजन, मंदिर की घंटी, चिड़ियों की चंचल चहक।।

साथ में आपके पीहर की गलियों में रह गई आपकी मुस्कां, गुनगुनाते गीत।
हम सब के अंतस में रही रही आपकी यादें आपकी प्रीत।
आपके ढेर सारे प्यार भरे आशीष की प्रतिध्वनि -
ननद भाभी का अमर प्रेम,और  हमारे प्यार की नीति -रीति ।

सब के सब अपने आंगन की शान अपने आंगन की बिटिया का जन्म दिन मना रहे हैं-
                         और और और 
ये हवा गा रही है,आसमां गा रहा है,साथ मेरे ये सारा जहां गा रहा है।
हैप्पी बर्थडे टू यू,
हैप्पी बर्थडे टू यू 
हैप्पी बर्थडे डियर जीजी
हैप्पी बर्थडे टू यू ।।

बहुत ही प्यारी सी हमेशा मुस्काती 
घर की बिटिया हमारी लाडली ननदिया को
हम सबकी प्यारी  थोड़ी नखरे वाली जीजी को
जिनका आज जन्मदिन है ....
जन्मदिन की हार्दिक बधाई शुभकामनाएं , आप स्वस्थ रहें,सदा प्रसन्न रहें ,यही ठाकुरजी से प्रार्थना है 🙏🏻

वीणा खंडेलवाल 
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #teatime
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veena khandelwal

White 

गुरु हैं सागर ज्ञान के,गहरे पानी पैठ।
ज्ञान सीप ढूंढे कहां,दूर किनारे बैठ।।
दूर किनारे बैठ, सीप का ढूंढे मोती।
लगी ज्ञान की प्यास,पास विधि गुरु के होती।
परंपरा यह खास, गुरू शुभ आश्रम आगर।
प्यास बुझा गुरु पास, वहां गागर में सागर।












वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #teachers_day
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veena khandelwal

White 
                                                               कृष्णजन्मदोहावली

वसु-देवकि सुत की कथा,सुनो सुनाएं आज।
 ईश्वर मनु अवतार में , चमत्कार थे काज।।

भादों सुदी अष्टम तिथि, बेला आधी रात। 
मथुरा जन्मे मोहना ,  गोकुल लीला गात।।

जन्में कारागार में ,  स्वयं त्रिलोकी नाथ।
मातु पिता हर्षित हुए,देख पुत्र को साथ।।

घबराये वसुदेव अब , सोच कंस का  त्रास।
सुत की रक्षा हेतु अब,प्रभु पर था विश्वास।।

तात,मात की बेड़ियां ,  काटे श्री गोपाल।
चमत्कार अद्भुत हुए,राह दिखी तत्काल।।

रखे टोकनी लाल को ,    चले नंद के गांव।
अति उद्वेलित अर्गजा,शीश शेष की छांव ‌।।

तभी बधाई बज गई ,     धूम मची नंदद्वार।
लाल यशोमति का हुआ,खुशियां हुई अपार।।

लीलाधर लीला किये,दधि माखन के चोर।
कृष्ण राधिका ग्वाल सखि ,रास बांसुरी शोर।।



                                                        
                                                         वीणा खंडेलवाल
                                                          तुमसर (महाराष्ट्र)

©veena khandelwal #Krishna
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veena khandelwal

*जग चाहे जितना भी बदले,
 तुम ना बदलना*। 
*खुद भी खुश रहना 
सबको भी खुश रखना*।
*तुम्हारी प्रकृति तुम्हारी
 मुस्कान कहती है*-
*बस तुम्हारी मुस्कुराने की 
आदत बरकरार रखना*।
          तुम्हारी सास 
*वही जो शक्कर की भी हो
 तो भी टक्कर तो मारेगी*।
Happy birthday beta😘😘









....

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©veena khandelwal
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veena khandelwal

* #अब_कभी_ऐसा_ना_हो

जो अभी अंतस जला वो आग का शोला गिराये।
इसलिए श्रृंगार गाथा ,हम अधूरी छोड़ आए 
अब हमें लिखना पड़ेगा,सत्य कड़वा इस कलम से।
अब नहीं आंगन  चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

वहशी, दरिंदा क्यों बना ,क्या परवरिश में की कमी?,
नकेल कस क्यों नहीं रखे?, क्यों मोह में थे हम भ्रमी।
पुत्र या पुत्री सभी सम, सबमें मर्यादा तो हो-
लाडला कुलदीप कह के ,माथे बिठाये थे हमीं।।

कुल कलंकित न करे, मनुजता उसको सिखाएं ।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

आंख गीली भारती की ,आज खुद से देश रूठा,
चुड़ियों के संग बेटी, शस्त्र तू हाथों उठा।
कुछ लुटेरों ने जो लूटा, कानुनों में क्यों कमी है-
कुछ विभत्सी कामियों ने,देश की बेटी को लूटा।।

संस्कारों संग बेटी , तू है शक्ति ये बताएं।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

हाथ मेहंदी पग महावर, रौद्रता भी रख छिपाए।
रह सजग धर रुप चंडी,कोई तुझको छू ना पाए।
विजय परिभाषा लिखो तुम, वहशियों के खून से अब-
रानी दुर्गा, लक्ष्मी बन,कोई दुश्मन बच ना पाए।।

तुम भी हो इनकी ही वंशज, बेटियों को ये बताएं।।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं ‌

मां! की है इक जो दुलारी ,आज पैरों में खड़ी है,
पिता के अभिमान की ही, दुर्दशा इतनी बड़ी है।
मां भारती की गर्विता , खुद चाहतों की मालकिन -
तंत्र की सुस्ती ने निगला , व्यवस्था ढीली पड़ी है ।।

और बेटी अब न लूटे,अब बड़ा बदलाव लाएं।
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं।

परवरिश में ख़ून का क़तरा अँगारा सा बनाए,
दांव कुत्सित से बचाने ,कृष्ण भी अब तो न आए।
आंख पट्टी शासकों की,दर्द बेटी की बनी है-
कलम हुंकारो भरी से देश को हम मिल जगाए। ।

कर्म समझे धर्म समझे,न्याय में बदलाव लाएं
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं।

आंख आंसू पोंछ अब, हर कुनीति का हो उजागर,
आज भी लिपटे हुए हैं,राष्ट्र आजादी में विषधर।
राजनीति इस पर जो हो निंदापरक यह बात है-
जो विषैला फन उठे तो ,कुचल दो उसको वहीं पर।।

गिन गिन सजा उसको मिले , फिर तड़पती मौत पाएं।
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं 

वीणा खंडेलवाल 
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal #World_Photography_Day
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veena khandelwal

* #अब_कभी_ऐसा_ना_हो

जो अभी अंतस जला वो आग का शोला गिराये।
इसलिए श्रृंगार गाथा ,हम अधूरी छोड़ आए 
अब हमें लिखना पड़ेगा,सत्य कड़वा इस कलम से।
अब नहीं आंगन  चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

वहशी, दरिंदा क्यों बना ,क्या परवरिश में की कमी?,
नकेल कस क्यों नहीं रखे?, क्यों मोह में थे हम भ्रमी।
पुत्र या पुत्री सभी सम, सबमें मर्यादा तो हो-
लाडला कुलदीप कह के ,माथे बिठाये थे हमीं।।

कुल कलंकित न करे, मनुजता उसको सिखाएं ।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

आंख गीली भारती की ,आज खुद से देश रूठा,
चुड़ियों के संग बेटी, शस्त्र तू हाथों उठा।
कुछ लुटेरों ने जो लूटा, कानुनों में क्यों कमी है-
कुछ विभत्सी कामियों ने,देश की बेटी को लूटा।।

संस्कारों संग बेटी , तू है शक्ति ये बताएं।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं।

हाथ मेहंदी पग महावर, रौद्रता भी रख छिपाए।
रह सजग धर रुप चंडी,कोई तुझको छू ना पाए।
विजय परिभाषा लिखो तुम, वहशियों के खून से अब-
रानी दुर्गा, लक्ष्मी बन,कोई दुश्मन बच ना पाए।।

तुम भी हो इनकी ही वंशज, बेटियों को ये बताएं।।
अब नहीं आंगन चिरैया, शेरनी बेटी बनाएं ‌

मां! की है इक जो दुलारी ,आज पैरों में खड़ी है,
पिता के अभिमान की ही, दुर्दशा इतनी बड़ी है।
मां भारती की गर्विता , खुद चाहतों की मालकिन -
तंत्र की सुस्ती ने निगला , व्यवस्था ढीली पड़ी है ।।

और बेटी अब न लूटे,अब बड़ा बदलाव लाएं।
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं।

परवरिश में ख़ून का क़तरा अँगारा सा बनाए,
दांव कुत्सित से बचाने ,कृष्ण भी अब तो न आए।
आंख पट्टी शासकों की,दर्द बेटी की बनी है-
कलम हुंकारो भरी से देश को हम मिल जगाए। ।

कर्म समझे धर्म समझे,न्याय में बदलाव लाएं
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं।

आंख आंसू पोंछ अब, हर कुनीति का हो उजागर,
आज भी लिपटे हुए हैं,राष्ट्र आजादी में विषधर।
राजनीति इस पर जो हो निंदापरक यह बात है-
जो विषैला फन उठे तो ,कुचल दो उसको वहीं पर।।

गिन गिन सजा उसको मिले , फिर तड़पती मौत पाएं।
अब नहीं आंगन चिरैया शेरनी बेटी बनाएं 

वीणा खंडेलवाल 
 तुमसर महाराष्ट्र

©veena khandelwal
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veena khandelwal

White आज के अखबार #नवभारत में मेरी रचना को स्थान मिला 
हार्दिक धन्यवाद संपादिका महोदया 
मुक्तक 

#जीना_है_तो_सीख_ले,##शिवतत्वों_का_ज्ञान

जीना है तो सीख ले शिव शंभू की नीति। 
जगत हेतु विष को पचा,करते जग से प्रीति।
जगद्गुरू विश्वेश्वरा , आशुतोष के ज्ञान-
सीख विजेता विश्व बन,कहे सनातन रीति।।

शिव तन जो भस्मी रमी, देती है संदेश,
हर पल मृत्यु याद रख,अंत राख तन शेष।
सिखा रहे दिगांबरी,छोड़ वस्त्र हर मोह-
शूल फूल में सम रहें ,शिव से सीख विशेष।।

रूप तपस्वी शंभु ने, दिये अलौकिक भान।
भौतिकता को त्यागिये, कर अंतस का ध्यान
प्राणी सभी समान है,मनु रख करुणा प्यार -
शिव सिद्धांत से जानिये,शिव तत्वों का ज्ञान।।

जीना है तो सीख लें,जीवन का इक सार।
पति पत्नी सत् प्रेम ही,जीवन का आधार।
शिव गौरा सा हो सदा,प्रेम और‌ विश्वास-
सात जनम तक तब मिले,अमर इन्हीं सा प्यार।।










वीणा खंडेलवाल 
तुमसर महाराष्ट्र

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