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vsdixit4430
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vs dixit

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vs dixit

सामने से गुजरती हुई लहरों
को देखकर लगता है 
कि कभी बड़ी पहचान थी इनसे
बेरूखियां इनकी सावधान सी
करती हैं किसी बड़ी सुनामी से
यह कोई महज इत्तेफाक नहीं
हर बार की हकीकत है।

©vs dixit
  #बेरुखी
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vs dixit

#शब्द
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vs dixit

शहीद
............

घर से निकलकर 
छोड़कर 
पत्नी बच्चों का प्यार
परिवार का दुलार
खेत और खलिहान।

जाने को तैयार
बहुत दूर सीमाओं पर
देश की रक्षा करने हमारे जवान
जो नहीं सोचते दिन और रात
रखते हैं वतन को महफूज।

वतन ही उनका मजहब 
वतन ही उनका ईमान
न्यौछावर करते हैं अपनी जान
करते दुश्मन से दो दो हाथ
जब खतरे में हो हिन्द।

सीने पर गोली खाकर
देते हैं देश को सुकुन की नींद
कहलाते हैं वो शहीद
ऋणी है सारा देश
करता उनको सलाम 
मानता अपना अभिमान।
©vsdixit

©vs dixit
  #शहीद
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vs dixit

चक्रब्यूह
.............

दिनों दिन बुनते  हुए सपने
बढ़ती हुई अभिलाषायें
और उड़ान की चाहत
के बीच उतरती चढ़ती
मानव की मन: स्थिति
कभी कभी ऐसी फंस जाती है
जैसे हो मकड़ी 
के जाले बीच  
अंधकार से भरे
चक्रब्यूह में
बेचैन, भटकता 
उस चक्रब्यूह को 
तोड़ने की जितना
कोशिश करता है
फंसता ही चला जाता है
हजार कोशिशें करता है
पर निकलने में 
नाकाम रहता है
बस फंसता ही चला जाता है
अन्त में 
थक हार कर 
अपने को छोड़ देता है
सारी इच्छाओं को
छूटते देखता हुआ 
ठगा सा 
छटपटाता हुआ
समर्पण कर देता है
सदा के लिए सो जाता है
अंधेरे चक्रव्यूह में  
समा जाता है|
@वीएस दीक्षित

©vs dixit
  #चक्रव्यूह
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vs dixit

नालायक बेटा
....................

दो हजारी नोट 
वह लाड़ला बेटा है
जिसे बाप ने
अपनी महत्वाकांक्षा
हेतु बढ़ाया...

जिस बेटे ने
लाईन में लगवाया
मत्था टिकवाया
लोगों को दर दर की
ठोकरें खिलवाया
जिसको खानदानी
सम्मान बढ़ाने
वाला माना गया
जिसने खूब 
खर्चा करवाया
उम्मीदों पर 
खरा नहीं उतरा
बिगड़ गया 
बाप ने नालायक
घोषित कर दिया
ठिकाने लगा दिया...

यह लाड़ला बेटा तो
खानदान को 
बहुत महंगा पड़ गया
फिर भी बाप परधानी का
चुनाव था जीत गया|
V.s. Dixit

©vs dixit
  #नालायकबेटा
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vs dixit

नाकामियों को
छुपाने वास्ते 
प्रोपेगैन्डा चाहिये।

परसेप्शन मैनेजमेन्ट
के जरिये
विरोधी हमेशा वास्ते
सिद्ध शून्य होने
चाहिये।

श्रेष्टता साबित होगी
सामने शून्य के 
इसको बनाने
का कोई न कोई
बहाना चाहिये।

चस्पा दो जन के
मनोभावों में
शून्य को ऐसा
श्रेष्टता को ना कोई
मुकाबला चाहिये।

जनता तो
जनता ही है
बड़ी समझदार है
उसको तो अपने
सम्वैधानिक 
अधिकार चाहिये।

जनता शून्य को विजेता
और विजेता को शून्य
कर दे
उसको तो  उखाड़ 
फेंकने का
बस एक मौका चाहिये।

©vs dixit
  #जनता
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vs dixit

कल जो तुमने बोला था
वो शब्द ठहर गये थे
लोगों के जहन में
किसी खास तिलिस्म 
की चाह में।
पर समय आ रहा
कह रहा
बहुत हुआ
जमीं पर कुछ नहीं
सूखा विरान रेगिस्तान है
आवाजें सुनाई पड़ती हैं
सिर्फ अवसाद और चित्कार की
वो शब्द ही अब
खाने को दौड़ते हैं
जो तुमने कहे थे कभी
वो शब्द अब हताश
और निराश से दिखते हैं
बताओ 
कब तक रहें 
बातों की आस में
कब तक फँसे
शब्दों के जाल मे
कल जो तुमने बोला था...

©vs dixit
  #कलजोतुमनेबोलाथा
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vs dixit

माँ सिर्फ एक शब्द नहीं 
किसी मातृत्व दिवस की 
मोहताज भी नहीं 
बच्चे के मन का मान
रखने वाली होती है माँ
जीवन के थपेड़ों
से पड़ने वाले फफोलों पर
ठंडक देने वाली
मरहम है माँ
पेड़ों की छांव सी है माँ
सृष्टि सरिखी है माँ
सब दुःख को 
हरने वाली 
वात्सल्यता रूपी
ठंडी हवा का झोंका है माँ
जब पास में ना हो
महसूस होती है रिक्तता
उस रिक्तता को भरने वाली है माँ
कुछ भी उपमा दे लो 
कितना भी कह लो
सब कम ही है
सबसे प्यारी और न्यारी
होती है माँ|
@वीएस दीक्षित

Happy mother's day!!!

©vs dixit
  #माँ
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vs dixit

रास्ते में पड़े 
पत्थर को ऊपर वाला
समझ बैठते हो। 

बड़ा अजीब सा 
है चलन 
पाप करते हैं 
फिर सर्वब्यापी
को याद करते हो।

सर्वब्यापी भी
कहता होगा
क्यूं मुझे नाहक 
ही घसीटते हो
अपने पाप में
भागी बनाते हो।

मैंने इन्सान
बनाया था हैवान नहीं
फिर भी पता नहीं
क्यूं हैवान बन जाते हो।

इन्सान होकर
मेरे नाम पर
हलाल
इन्सान को ही करते हो|

©vs dixit
  #सर्वब्यापी
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vs dixit

निकला है चाँद आसमां में
खुशियों की महक फैली है
निकला पता करने जहान में
कि माजरा क्या है?
जहां देखा यही सुना जहान में
आज ईद है!!!आज ईद है!!!
खुशामदीद ईद!
मुबारकबाद!मुबारकबाद!
@वीएस दीक्षित

सभी को ईद मुबारक!!!

©vs dixit
  #ईदमुबारक
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