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amitgupta9308
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Amit Gupta

I can only connect deeply or not at all.

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Amit Gupta

सोचता हूँ कि उस की याद आख़िर
अब भी उसे रात भर जगाती होगी

©Amit Gupta #candle
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Amit Gupta

*"सुन लेने से"*
कितने सारे सवाल सुलझ जाते हैं,

"सुना देने से"
हम फिर से वहीं उलझ जाते हैं!
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Amit Gupta

अगर कोई व्यक्ति पढ़ना पसंद नहीं करता है तो वह जिंदगी के अंतिम दिनों में बिलकुल अकेला दिखाई देता है।

If a person does not like to read, then he appears completely alone in the last days of his life.
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Amit Gupta

हे हवसप्रिय मानव 
सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी 
हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी 
हे हवसप्रिय मानव, तू मत सोच की तूने किसी और को नंगा किया 
तूने अपनी ही मां - बहन - बेटियों को सरेआम शर्मिंदा किया 
और उस देश को जहां बेटियों को लक्ष्मी - दुर्गा - सरस्वती कहा किया 
मां - बाप के उस सपने को भी जिसने बेटियों को अपना बेटा कहा किया 
सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी 
हमारी आंखें हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी 
रेप उन लोगों का भी हुआ, जिसके आस पास ऐसी हैवानियत बसती है 
रेप उस सरकार की योजनाओं का जो भ्रूण हत्याएं रोकती है
रेप उन लोगो की सहनशीलता का जो नित्य तंग कपड़ों पर तंज कसना, सुनते हैं 
रेप उन लोगो का जो समाचार की सुर्खियों में देख, चुप बैठे रहते हैं 
सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी 
हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी  
सुनो अगर यह हाल रहा बेटियों का हमारे बनाए परिवेश में
भगवान भी कतराएंगे बेटियों को भेजने से इस निर्लज देश में
कैसे गूंजेगी मुस्काती किलकारियां हमारे घर की आंगन में
कौन बांधेगा फिर राखियां हमारी सुनी कलाई में 
सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी 
हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी
पीड़िता की चिलाहट पहुंचाना चाहता हूं मैं बहरे इस प्रशासन को 
अफसोस मिलते ओ शब्द नहीं जो झकझोर सकें कानून के रखवालों को
शर्म आए रेपिस्टों के उन वकीलों को जो गर्व करते अपनी काबिलियत पर, 
ओ दिन भी दूर नहीं जब वे भी रोएंगे अपनी बेटियों की लुटती हुई अस्मत पर 
सुनो, अगर ऐसा ही रहा, माताएं - बहने - बेटियां हमें माफ नहीं कर पाएंगी 
हमारी आंखें भी हमारी अपनी ही बच्चियों से नजरें न मिला पाएंगी Stop_Rape
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Amit Gupta

*तस्वीर जम्मू कश्मीर की*

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत,
मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की,
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर,
पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, 
पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, 
मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत,
मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है  सैनिकों कि शहादत । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

अमित गुप्ता पुलवामा अटैक

पुलवामा अटैक

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Amit Gupta

*तस्वीर जम्मू कश्मीर की*

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां की हसीं वादियों में बसी है मुहब्बत,
मगर ये भी तो ज्ञात हो यहीं नित्य पनपते हैं लोगों में बेहिसाब नफरत ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की,
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, कश्मीर की धरती पर पसरा है जन्नत का मंजर,
पर यह भी तो सर्वविदित हो कि यहीं चलती है नित्य खूनी खंजर । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं, है यहां झीलों के सीने में लिपटे बहारें, 
पर क्या यह सच नहीं यहीं से उठती है ताबूत लिपटे तिरंगे से सैनिकों की हमारें । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ?

हां मैं निसंदेह मानता हूं यही झिलमिलाती है झीलों की कनक सी जेवर, 
मगर ये भी तो ज्ञात हो कि यहीं होते हैं अक्सर लोगो के हिंसक तेवर ।
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

हां मैं निसंदेह मानता हूं यहां कुदरत भी करती है इसकी इबादत,
मगर ये भी तो दृष्टांत हो यहीं अकसर होती है  सैनिकों कि शहादत । 
आखिर कब तलक लिखी जाएंगी सौन्दर्य कविताएं जम्मू कश्मीर की, 
आखिर कब तलक दिखाएंगे हम एक ही पहलू इसके तस्वीर की ? 

अमित गुप्ता पुलवामा अटैक

पुलवामा अटैक

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Amit Gupta

मानवता किताबों में या बातों में 

हमने पढ़ा, प्रबुद्धों से संदेश पाया,
इंसान ओ जो इंसान के काम आया ।
यहां दीन, दुखी, बेवश को अनदेखा किया,
जब तक कि उसका अंत समय न आया ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में ।
जिसने दुश्मनों से प्रेम करने का संदेश दिया,
मानवों ने उसे कब का स्वर्गवासी बनाया ।
जो मानवता की बात करे, दूर किया या दूरी बनाया,
ऐसे इंसान को कब - कहां - किसने  अपनाया ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में ।
न कोई किसी दुखी का दुख बांटता, 
जिसको देखो ओ बस नश्तर चुभाता ।
हां झूठा दिखावा कर मूर्ख है बनाता,
जरूरत पड़ने पर है असली रूप दिखाता ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में ।
मैंने देखा लोग बारम्बार तमाशाबीन हुए,
झुलसता रहा मानवता, मूकदर्शक प्रवीण हुए ।
फिर झूठे दिलासे और मानवता का बाज़ार हुए,
फरेब का नकाब पहन, समर्थन पुरजोर किए ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में ।
न देखा कभी इंसान को इंसान से मिलते,
जब भी देखा, देखा स्वार्थियों को इंसान बनते ।
यूं कहे तो जरूरत से ही लोग हैं एक दूसरे से मिलते,
वरना ये कभी दूसरों से गलती से भी न मिलते ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में ।
कहते हैं मानव प्रकृति की सर्वोत्तम कृति है,
पर गर कहूं बिन मानवता सबसे बड़ी विकृति है ।
मानव जन्मे है पर अदृश्य मानवता की प्रकृति है,
करुणा नहीं, हमदर्दी नहीं, क्या यही मानवता की अभिवृत्ति है ।
मानवता क्या हो तू सिर्फ किताबों या बातों में,
मैंने न कभी देखा तुझे रूबरू जरूरी हालातों में । Poetry : मानवता किताबों में या बातों में

Poetry : मानवता किताबों में या बातों में

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Amit Gupta

आतंकवाद तू बता

धर्म के नाम पर धर्म स्थलों को आघात किया 
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया ? 
कभी तूने हिन्दू को इस्लाम पर खतरा बताया,  
कभी इस्लाम का टोपी पहने कतलेआम खूब किया, 
न बख्शा हिन्दुओं को और न मुस्लिमों पर दया दिखाया,
आड़ लेकर धर्म की, धर्मावलंबियों का रक्तपात किया
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया ?
हिन्दू - मुस्लिम दंगो से अभी जी भरा न तेरा 
ईसाईयों को अंधाधुंध जी भर के अनाथ किया,
तू बता तो कभी, किसने तेरा नुकसान किया ?
कराह रही इंसानियत, धर्म ने भी अब चीत्कार किया, 
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया ?
क्या सता सुख की आकांक्षाओं ने तुझे मजबूर किया,
या कभी किसी ने तेरे दिल को शूल किया,
किस अभिलाषा को पाने को तूने ये नरसंहार किया,
क्या किसी सोनिया ने है, तुखे मनमोहन बनाया,
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया ?
तेरी हर शर्मनाक कारनामे ने है स्पष्ट किया, 
न कोई मजहब तेरा, न कोई धर्म तूने अनुसरण किया,
हां संभवतः है किसी धूर्त ने तुझे टेक दिया, 
समझ ले तू तेरे कुकर्मों ने तेरा अब अंत किया,
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया
तू सुन तेरी ऐसी कुकृत्यों ने लोगो को मर्माहत किया 
शीर्ष बैठे अमन के ठेकेदारों को भी मजबूर किया, 
चलो मिल करते है सफाया, सबने एकस्वर हो उद्घोष किया, 
अब तो तू है इस जहां से चलने ही वाला,
आतंकवाद तू बता जरा, आखिर ऐसा क्यों किया ?

अमित गुप्ता #Shri_Lanka 
#Terror@Religion
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Amit Gupta

A friend is someone who understands your past, believes in your future, and accepts you just the way you are.

एक दोस्त वह है जो आपके अतीत को समझता है, आपके भविष्य पर विश्वास करता है, और आपको उसी तरह स्वीकार करता है जिस तरह से आप हैं। A friend is someone who understands your past, believes in your future, and accepts you just the way you are.

एक दोस्त वह है जो आपके अतीत को समझता है, आपके भविष्य पर विश्वास करता है, और आपको उसी तरह स्वीकार करता है जिस तरह से आप हैं।

A friend is someone who understands your past, believes in your future, and accepts you just the way you are. एक दोस्त वह है जो आपके अतीत को समझता है, आपके भविष्य पर विश्वास करता है, और आपको उसी तरह स्वीकार करता है जिस तरह से आप हैं।

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Amit Gupta

परीक्षाएं कुछ कह जाती है 

कभी कोई बड़ी उम्मीद तो कभी नाउम्मीद दे जाती है,
तो कभी किसी की उम्मीद ही दफन कर जाती है ।
कभी रौशनी तो कभी हमराह बन राह दिखाती है,
तो कभी किसी मोड़ पर ही धुंधली अनुभूति दे जाती है ।
अक्सर ये परीक्षाएं बहुत कुछ कह जाती है,
अपने चाहने वालों को, तन्हा कर जाती है ।
कश्मकश भरी ज़िन्दगी को, परिपूर्ण बना जाती है,
कभी किसी बेबस की ज़िन्दगी ही चुरा ले जाती है ।
कभी हर ख्वाब को मुक्कमल दिखा जाती है,
कभी सारी उभरते ख्वाब ही चुरा ले जाती है ।
अक्सर ये परीक्षाएं बहुत कुछ कह जाती है,
अपने चाहने वालों को, तन्हा कर जाती है ।
कभी पीपल की छांव बन सुकून दे जाती है,
कभी जेठ की धूप से भी ज्यादा तपा जाती है ।
कभी किसी की हौसलों को परवान चढ़ा देती है,
कभी किसी को धरा पर अचेत गिरा देती है ।
अक्सर ये परीक्षाएं बहुत कुछ कह जाती है,
अपने चाहने वालों को, तन्हा कर जाती है ।
कभी खुद ही तमाम सवालों के हल दे जाती है,
कभी अनसुलझी सवालों के ढेर सी लगा देती है ।
किसी को आइना दिखा, खुद से ही मिला देती है,
ती कभी किसी को गुमराह भी कर देती है ।
अक्सर ये परीक्षाएं बहुत कुछ कह जाती है,
अपने चाहने वालों को, तन्हा कर जाती है । #Exam Shruti Jaiswal Sourish Acharjya

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