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shyamved2909
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Shyam Ved

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Shyam Ved

White चार दिनों कि ज़िन्दगी से सिकाएते हजार है सुबह का पता नहीं श्याम हंस के गुंजार लें
धन निरंकार जी

©Shyam Ved #love_shayari
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Shyam Ved

अर्जुन जिसने कर्म कों नहीं समझा उसने धर्म को नहीं जाना जिसने धर्म नहीं जाना वह तुम्हारे तरह पथ भ्रष्ट हो जाता है क्या करना नहीं करना सही फैसला लेने में असफल हो जाता है
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

कर्म नहीं तो धर्म नहीं धर्म नहीं तो इंसान नहीं इंसान नहीं तो इंसानियत नहीं  इंसानियत नहीं तो  हैवान और हैवान के लिए अर्जुन दंड ही एक उचित मार्ग है
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

White श्याम किस बिंधी से मैं आपको जान सयझ और पा सकता हूं अर्जुन समर्पित भाव को हमेशा जीवित रखना जिस तरह बर्फ पहाड़ भी समंदर के संग से अपना अस्तित्व खो देता है इसी प्रकार ब्रह्म ज्ञानी का संग से स्वत ही अपना अस्तित्व खो दोगे
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

जब छलिया मेरे साथ हैं तो माया का क्या प्रभाव है अब तो कर्मों का भय भी समाप्त हो गया क्योंकि करन करावन हार तु है
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

तर्क सिल चाहवान हों सकता है ज्ञानी नहीं जिसके अपने सवाल खड़े है दुसरे को उचित जबाब कैसे दे जिसके अपने मार्ग वाधित है दुसरे को रस्ता क्या देगा 
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

ज्ञानी तर्क सिल नहीं होता चाहवान हों सकता है जिसके अपने सवाल खड़े हैं दुसरे को उचित क्या देगा जिसका अपना मार्ग बाधित है दुसरे को रस्ता क्या देगा 
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

हरि इच्छा में जीने वाले कभी किसी कार्य के लिए खुद को दोषी नहीं मानते क्योंकि हर कार्य प्रभु कों समर्पित होता कर्ता भाव से जों मुक्त है अर्जुन वहीं मोक्ष का अधिकारी है 
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

तु कुछ कर सकता है और तेरे करने से ही होगा यही ओ भ्रम है जो तुझे तेरी ही पहचान से दूर शरीर के आभाव में शरीरों को धारण करता रहता है
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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Shyam Ved

जो मुझे जान कर मेरी पुजा अर्चना करता है अर्जुन तत क्षण मेरे रुप लीला और परमधाम कि प्राप्ति होती है होता स्वरुप सिंध महात्मा के सानिध्य से 
धन निरंकार जी

©Shyam Ved
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