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gautamgovind0698
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Gautam Govind

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Gautam Govind

 सच पूछो तो सारे जग में,
अति अनूप माँ का नाम है।
माँ तो ममता की खान है,
इनकी कृपा पे टिका जहान हैं।
कहीं इनके स्वरों में मीठास,
तो कहीं वीणा में तान है।
माँ सा दुनियाँ में दूजा न नाम है।
सच पूछो तो....

सच पूछो तो सारे जग में, अति अनूप माँ का नाम है। माँ तो ममता की खान है, इनकी कृपा पे टिका जहान हैं। कहीं इनके स्वरों में मीठास, तो कहीं वीणा में तान है। माँ सा दुनियाँ में दूजा न नाम है। सच पूछो तो.... #Poetry

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Gautam Govind

 हे धूमावती माता मेरी सुनलो पूकार।
दर्शन करने आया हूँ तेरे द्वार।
आया तेरे द्वार,माँ आया तेरे द्वार।
हे धूमावती माता मेरी....

मैं तेरा बेटा तू मेरी माता,
है अटूट माँ हमरा ये नाता।
माँ मेरी विनती सुने तो मानू,

हे धूमावती माता मेरी सुनलो पूकार। दर्शन करने आया हूँ तेरे द्वार। आया तेरे द्वार,माँ आया तेरे द्वार। हे धूमावती माता मेरी.... मैं तेरा बेटा तू मेरी माता, है अटूट माँ हमरा ये नाता। माँ मेरी विनती सुने तो मानू, #Poetry

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Gautam Govind

 ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं,वो बीते पल।
वो मस्तीयाँ,वो बचपन।
सफर था सुहाना,थी मदहोशियाँ।
ना कोई मंजिल,ना कोई गम।
ढूँढ़ता रहा हूँ मैं....
सासों से बन्धी,थी वो यारियां।
लड़ते-झगड़ते,यूं पड़ होती ना दूरियां।
थे साथ हम,बन हम सफर।

ढ़ूंढ़ता रहा हूँ मैं,वो बीते पल। वो मस्तीयाँ,वो बचपन। सफर था सुहाना,थी मदहोशियाँ। ना कोई मंजिल,ना कोई गम। ढूँढ़ता रहा हूँ मैं.... सासों से बन्धी,थी वो यारियां। लड़ते-झगड़ते,यूं पड़ होती ना दूरियां। थे साथ हम,बन हम सफर। #Poetry

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Gautam Govind

 औरों कि खातिर यूं 
     तन्हां अपनो में,
     रोता रहा हूँ मैं।
औरों को जोड़ते-जोड़ते
बस,खुद टूटता गया हूं मैं।
चाहे होली हो या दशहरा,
   या फिर दिवाली हो,
       तो क्या।

औरों कि खातिर यूं तन्हां अपनो में, रोता रहा हूँ मैं। औरों को जोड़ते-जोड़ते बस,खुद टूटता गया हूं मैं। चाहे होली हो या दशहरा, या फिर दिवाली हो, तो क्या। #Poetry

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Gautam Govind

 इक आशियाना मेरा
था छोटा सा इक,आशियाना मेरा
वो जल गया हाँ जल गया।
तिनका-तिनका,पत्ता -पत्ता चुन बसाया था,जिसे
वो जल गया हाँ जल गया।
था छोटा सा इक.....
यादों को सजोंकर,पलकों को भिगोकर
दिन और रैन में मै,गमों और चैन में मै

इक आशियाना मेरा था छोटा सा इक,आशियाना मेरा वो जल गया हाँ जल गया। तिनका-तिनका,पत्ता -पत्ता चुन बसाया था,जिसे वो जल गया हाँ जल गया। था छोटा सा इक..... यादों को सजोंकर,पलकों को भिगोकर दिन और रैन में मै,गमों और चैन में मै #Poetry

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Gautam Govind

 बयां करूं क्या दिले हाल अपना,
बस चोट खाये हुए हैं।
अपनो कि भरी मेहफिल मे,
गले तन्हाई लगाये हुए हैं।
बयां करूं क्या दिल.....
फिकर मत करो यारों,
ये तो खुदा कि मंजर है।
जुबां पे सरगम हाथो में खंजर है।

बयां करूं क्या दिले हाल अपना, बस चोट खाये हुए हैं। अपनो कि भरी मेहफिल मे, गले तन्हाई लगाये हुए हैं। बयां करूं क्या दिल..... फिकर मत करो यारों, ये तो खुदा कि मंजर है। जुबां पे सरगम हाथो में खंजर है। #Poetry

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Gautam Govind

अकेले बैठे-बैठे 
मन में 
अकेलापन छा जाता है।
तब 
कुछ खास 
आभास होता है।
जिस्म पड़ जैसे 
हवा का झोका छेड़ रहा हो।

अकेले बैठे-बैठे मन में अकेलापन छा जाता है। तब कुछ खास आभास होता है। जिस्म पड़ जैसे हवा का झोका छेड़ रहा हो। #Poetry

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Gautam Govind

 बनना है कुछ तो, बनाए रख आत्मबल। 
डर मत किसी से, तू बस एक काम कर, 
बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। 
कौन हरा सकता है तुझे, भला, 
गर खायी है, कसम मर मिटने का। 
वक्त भी देता, साथ उसका, 
जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का। 
करना है कुछ, तो बस एक काम कर।

बनना है कुछ तो, बनाए रख आत्मबल। डर मत किसी से, तू बस एक काम कर, बनाए रख आत्मबल, बनाए रख आत्मबल। कौन हरा सकता है तुझे, भला, गर खायी है, कसम मर मिटने का। वक्त भी देता, साथ उसका, जो ठान लिया कुछ कर दिखाने का। करना है कुछ, तो बस एक काम कर। #Poetry

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Gautam Govind

 देखा है करीब से तुझे... 
ए जिन्दगी बदलते हुए 
जो साथ चले कभी...
उन लम्हों को देखा है फिसलते हुए 
डरता हूँ फिसल ना जाऊँ कहीं 
अन्धेरी राहों में यूं बढ़ते हुए
देखी है बहुत हमने 
वक्त की मार चलते हुए 

देखा है करीब से तुझे... ए जिन्दगी बदलते हुए  जो साथ चले कभी... उन लम्हों को देखा है फिसलते हुए  डरता हूँ फिसल ना जाऊँ कहीं अन्धेरी राहों में यूं बढ़ते हुए देखी है बहुत हमने वक्त की मार चलते हुए  #Poetry


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