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piyushsingh9087
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Piyush singh

poetry player, हाँ मैं वही हु जो सबके हक की रोशनी के लिए खुद दीपक बनकर जलता रहा।

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Piyush singh

अपना दीपक  खुद बनकर  संघर्ष के रास्तो के मुसाफिर  बनिये आगे सफलता बाहें  फैलाये  खड़ी होगी,
और ये जो जिनके साथ जीने मरने की कसमें खाये फिरते हो न वो तुम्हारे न रहने पर किसी और कि बाहो में पड़ी होगी।

©Piyush singh #Top
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Piyush singh

भाग्य पर मत टालो 
भाग्य तुम्ही लिखते हो।

©Piyush singh

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Piyush singh

जरूरत थी जिस वक्त उस वक्त भी तो नही दिए गए थे मुझको सहारे,
मैने उन मुश्किलो के कुछ साल थे यू खुद की इबादत में गुजारे।



(किरदार कहानी का मैं)

©Piyush singh #flowers
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Piyush singh

सपनो से भी बड़ा कोई किरदार होता है क्या,
अगर होता ह तो मेरे किरदार का अंत कहा..?

©Piyush singh #alone
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Piyush singh

हम अपनी आइडेंटिटी पर माता और पिता के नाम के आगे उनका नाम लिखते है और हम अपने माता पिता के लिए कुछ न कुछ करते है क्योकि उन्होंने हमें जन्म दिया और जिस धरती माँ का हम अन्न खा कर फलते फूलते है   आइडेंटिटी पर हम ये भी लिखते ह की हम भारतीय है तो फिर हम अपने भारत माता के लिए क्यों कुछ नही करते ....?,कहते ह जो माँ हमे जन्म देती है वो लक्ष्मी,दुर्गा से भी बड़ी होती है,उसी तरह ये जो धरती ह ये भी हमारी परवरिश करती है और इसे हम महज एक भूमि का टूकड़ा क्यू समझ लेते है....?,जबकि ये भी तो हमारी जगत जननी है।

©Piyush singh #darkness
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Piyush singh

जो सोचते ह के उनकी घिनौनी हरकते हम अभी तक नही पकड़ पाए है,
बता दे उन्हें के हमने सब देखा ह हमने भी बनावटी मुखौटे लगाए है।

©Piyush singh #mukhota
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Piyush singh

मैने बर्बादी को खुद चुना,
ऐ बर्बादी मैं गुनहगार हु तेरा....

©Piyush singh #MySun
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Piyush singh

ये मोहब्बत भी अपनी मोहब्बत को मोहब्बत से बया करता
ऐ जालिम वक्त अगर उस वक्त तू थोड़ी सी दया करता
और ये जो दिल आज खामोशी में अकेले खामोश है
कसम से ये हर रोज तेरे साथ धड़कने की दुवा करता

©Piyush singh

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Piyush singh

अजीब रंजिश है यहां फरेबियों की मिलके फरेब करते है सब ,
 धोखा खाने वाले खामोश और धोखा देने वाले बदहोश है अब।

©Piyush singh #CalmingNature
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Piyush singh

ऐ खुदा फरेब तो फिर भी सही है,
पर कसम से झूठ कतई बर्दाश्त नही है।

©Piyush singh #Isolated
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