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unionbankromauma4970
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Manish ghazipuri

simple and normal boy and writer

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Manish ghazipuri

White पाप  पुन्य  का  लेखा  जोखा तुम ही रखना,
तन मन धन का लेखा जोखा तुम ही रखना।
अपना  तो  बस  काम राह पर चलते रहना,
राहों  से  पहचान  बना  कर तुम ही रखना।

कहीं ठहरना, फिर चल देना आदत अपनी,
और हवावों के जैसी कुछ फितरत अपनी।
क्या खोया क्या पाया इतनी समझ कहां है,
हानि लाभ का लेखा जोखा तुम ही रखना।

दुख सुख का अनुमान लगा कर राह बदल लूं,
तुफानों   के   डर   से   अपनी  चाह बदल लूं।
खेल  रहा  झंझावातो  से निशि दिन प्रतिपल,
परिणामो   का   लेखा जोखा  तुम  ही रखना।

©Manish ghazipuri #sad_quotes
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Manish ghazipuri

White ज़िन्दगी   भर   चला,  ज़िन्दगी के लिए,
फिर   भी  सारा    सफर,  अधुरा   रहा।
ना  ही   तृष्णा  मिटी, ना  मिटी लालसा,
एक   पथ   से,  मै  दुजे  पे  चलता रहा।

हर गली,   हर शहर,  हर  इक  मोड़ पर,
साथ   में  कुछ  चले,कुछ गये छोड़ कर।
सोचता  ही  रहा,  जिन्दगी   क्या   बला,
खुद से खुद का हर इक प्रश्न करता रहा।

लौट  कर फिर किसी ने,ना कुछ भी कहा,
प्रश्न   था   जो   मेरा, प्रश्न   ही  रह  गया।
इक किरन कोई,धुँधली सी दिख ना सकी,
थी   उजाले  की   आशा, भटकता   रहा।

ज़िन्दगी  भर   चला   ज़िन्दगी   के  लिए,
फिर   भी    सारा   सफर,  अधुरा    रहा।

                                              मनीष गाजीपुरी

©Manish ghazipuri #GoodMorning एहसास
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Manish ghazipuri

White कर रही अफसोस जाहिर,कातिल हवाऐं,
माफीनामा    लिख    रही, काफिर हवाऐं।
डालियां   फिर   क्या, तने से जुड़ सकेंगी,
फिर   रुदन  क्यों, कर  रही शातिर हवाऐं।

फिर   किसी   अनुबंध   की,  बातें चलेंगी,
फिर   नये    संबंध    की,    बातें   चलेंगी।
दस्तावेज़ो   पर   कलम,  दस्तख़त  करेगी,
अब   कभी   मदहोश   ना,  होगी   हवाऐं?

                                 ..…..…....….. मनीष तिवारी

©Manish ghazipuri #GoodMorning जाहिलो की टोली।

#GoodMorning जाहिलो की टोली। #शायरी

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Manish ghazipuri

White कर रही अफसोस जाहिर,कातिल हवाऐं,
माफीनामा    लिख    रही, काफिर हवाऐं।
डालियां   फिर   क्या, तने से जुड़ सकेंगी,
फिर   रुदन  क्यों, कर  रही शातिर हवाऐं।

फिर   किसी   अनुबंध   की,  बातें चलेंगी,
फिर   नये    संबंध    की,    बातें   चलेंगी।
दस्तावेज़ो   पर   कलम,  दस्तख़त  करेगी,
अब   कभी   मदहोश   ना,  होगी   हवाऐं?

                                 ..…..…....….. मनीष तिवारी

©Manish ghazipuri #GoodMorning  जाहिलो की टोली

#GoodMorning जाहिलो की टोली #विचार

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Manish ghazipuri

White बिन  शब्दों के दर्द कह रहे,
बिन आँसू हर मर्म कह रहे। 
घर  की  दीवारों  की  बाते,
जाने  कितनी  बार सह रहे।
बिन शब्दों के दर्द कह रहे।
नींव  की  ईटो से जा पूछो,
कैसे    बोझ    उठाते    हैं।
गुमनामी   के  घोर अन्धेरो,
में   भी   फर्ज   निभाते  हैं।
आँगन की  दीवार ने  पूछा,
कैसे  इतना  भार  सह  रहे।
बिन शब्दों  के  दर्द कह रहे।
वैभव  सारा  देख रहा  जग,
परकोटे    की    दीपो     से,
नभचुम्मी   मीनारे   दीखती,
चाँद  सितारों   के    घर  पे।
निर्विकार औ अटल खड़ा हूँ।
उम्मीदो   में   प्राण  भर  रहे।
बिन   शब्दों  के  दर्द कह रहे।
ना  पहचाने  ये  जग  मुझको,
भले    ना    कोई    मान    दे।
इतिहासो    में    दर्ज   नही हूँ,
ना     आशा      सम्मान     दे,
"नीव  का   पत्थर"  हूँ मैं यारो,
हर  युग का  हम श्राप सह रहे।
बिन  शब्दों  के  दर्द  कह रहे।
बिन  आँसू  हर  मर्म कह रहे।

©Manish ghazipuri #alone_sad_shayri
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Manish ghazipuri

White बोल उठा अन्तर्मन घायल,
टूटा     दर्पण  बोल   उठा।
हूक उठी सीने में जब जब,
तन  मन  सारा  डोल उठा।

आँख  से  आँसू  ऐसे बरसे,
जैसे  सावन  बरस रहा हो।
प्रेम  की  पाती में लगता है,
जैसे   कोई   तरस  रहा हो।
शब्द  शब्द पर भारी पड़ता,
एक  शब्द  कुछ बोल उठा।
छिपी  हुई पीड़ा से व्याकुल,
वह मुखरित सब बोल उठा।

बहुत जतन पर छिपा न पाया,
घर  आँगन   सब  बोल  उठा।
तारो  ने  सब  कुछ  देखा पर,
चाँद   गगन  का  बोल   उठा।
बोल   उठा  अन्तर्मन  घायल,
टूटा    दर्पण    बोल     उठा।
हूक  उठी  सीने  में जब जब,
तन  मन   सारा   डोल  उठा।

                                 मनीष गाजीपुर

©Manish ghazipuri #moon_day
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Manish ghazipuri

White   जरा हिजाब को रुख से हटा उजाले में,
तू जाम भर के मेरी जां पीला उजाले में,
मुझे अंधेरे में पी कर नशा नहीं होता ,
तू अपनी आंखों से मुझे पीला उजाले में ,।।
                
                        मस्तमौला गाजीपुरी मनीष

©Manish ghazipuri
  #moon_day
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Manish ghazipuri

White इक आध पन्नों में सिमट जाती कहानी सारी, नामुराद सांसों ने, जीना हराम कर रखा है। कोई चौखट पे आया ही नहीं सज़दा करने, बेवजह मन्दिरों को बदनाम कर रखा है,

©Manish ghazipuri #weather_today
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Manish ghazipuri

White अनछुआ एहसास पल पल,
हो रहे आघात पल पल।
स्वप्न में उलझे हुऐ मन,
हल नहीं तुम पा सकोगे।
अब कहाँ तुम जा सकोगे।

रोज इक सूरज उगा कर,
कब तलक मैं धूप डालू।
ढल रहे इस रुप को अब,
निष्प्रयोजन क्यूँ निहारू।
सूखती इस झील में तुम,
अब कँवल ना पा सकोगे।
पर ना वापस जा सकोगे।

एक सावन के भरोसे,
कितने पतझड़ आ चुके हैं।
चहचहाते घोसलों से,
सारे बच्चे जा चुके हैं।
फिर घटाऐ घिर भी जाऐ,
मेरा सावन ला सकोगे।
फिर मुझे क्या पा सकोगे।
फिर मुझे क्या पा.........।

©Manish ghazipuri #love_shayari  शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कविता इन हिंदी Sushant Singh Rajput

#love_shayari शायरी मोटिवेशनल मोटिवेशनल कविता इन हिंदी Sushant Singh Rajput

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Manish ghazipuri

White जीवन पग  पग नाप रहे हैं,
सपने  पग  पग नाप रहे हैं।
सांचे  में  चेहरे  हैं    जितने,
पग  पग  चेहरे छाप रहे हैं।
जीवन पग पग नाप रहे हैं।

अंतस  पीड़ा  उपहारों की,
होठों   पर   मुस्कान  लिए।
दग्ध हृदय,तपते अंन्तस्थल,
जीवन  भर  का शाप लिए।
कांप  रहे  पांवों  को  स्थिर,
कर  राहों  को  नाप  रहे  हैं।
सपने  पग  पग  नाप रहे हैं।

अस्ह्य  वेदनावो   से  छलनी,
शून्य  में  आंखें  टिकी   हुई।
लगता   है  बीणा  के   तारो,
में      स्पंदन    रुकी      हुई,
फिरा फिरा कर स्वयं हथेली,
धड़कन अपनी  भांप  रहे हैं।
जीवन  पग पग  नाप  रहे हैं।
सपने   पग  पग  नाप  रहे हैं।

©Manish ghazipuri जीवन

जीवन #विचार

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