ये कविता मैं अपने जीवन के कुछ उन पलों से, जब मैं खुद को बहुत ऊपर रखता था... किसी की नहीं सुनता था और खुद मे, मै इतना इंटेरोवर्ट था की मै खुद को राजा ही समझता था एक तरह से, जीवन मे लोगो का सहयोग और उनके आदर से हम एक सुन्दर लक्ष्य पा सकते हैं।
जय श्री कृष्णा