इधर अरमान ज़िंदा हैं उधर यलग़ार बाक़ी है हज़ारों साल इस दिल में उदासी ही उदासी है,
नहीं हैं चाहतें मुझको यहां मशहूर होने की, मुझे पहचानते हो तुम फक़त इतना ही काफ़ी है......
कवि: पवन पाग़ल
Live show of The Art Cafe Palwal 31st December 2023
with Hindi Subtitles
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