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ashujaiswal5744
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Ashu Jaiswal

एक यकीन हूँ खुद में की आने वाला कल मेरा है । ❤️ insta: ashujaiswal_poet

https://youtu.be/HNtS9u-_KTw

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Ashu Jaiswal

अधिकतर लड़कियां गैर-ज़िम्मेदार लड़को के प्रेम में पड़ जाती हैं। फिर उनसे ज़िम्मेदार बनने के लिए झगड़ा करती रहती है और जब वो ज़िम्मेदार बन जाते हैं तो उनको छोड़ जाती है ये कह कर की  तुम अब पहले जैसे नहीं रहे ।

©️-- Ashu Jaiswal अधिकतर लड़कियां गैर-ज़िम्मेदार लड़को के प्रेम में पड़ जाती हैं।
फिर उनसे ज़िम्मेदार बनने के लिए झगड़ा करती रहती है
और जब वो ज़िम्मेदार बन जाते हैं तो उनको छोड़ जाती है ये कह कर की अब तुम पहले जैसे नहीं रहे ।

#CalmingNature

अधिकतर लड़कियां गैर-ज़िम्मेदार लड़को के प्रेम में पड़ जाती हैं। फिर उनसे ज़िम्मेदार बनने के लिए झगड़ा करती रहती है और जब वो ज़िम्मेदार बन जाते हैं तो उनको छोड़ जाती है ये कह कर की अब तुम पहले जैसे नहीं रहे । #CalmingNature #अनुभव

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Ashu Jaiswal

सुनो मिलने आओगी मुझसे ?
ये कविता मेरी सबसे पसंदीदा कविताओं में से एक है।
पसंद आए तो शेयर करें ❤️❤️ Internet Jockey

सुनो मिलने आओगी मुझसे ? ये कविता मेरी सबसे पसंदीदा कविताओं में से एक है। पसंद आए तो शेयर करें ❤️❤️ Internet Jockey #nojotovideo

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Ashu Jaiswal

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Ashu Jaiswal

kuch purane Ash'aar ❤️

kuch purane Ash'aar ❤️ #शायरी #nojotovideo

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Ashu Jaiswal

kuch Purane Ash'aar ❤️

kuch Purane Ash'aar ❤️ #nojotovideo

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Ashu Jaiswal

चीख के थी वो बिताई रात हमने ,
जब उठाई कांधे पे बारात हमने ।

जब मरा वो अपना दंगे में तभी से,
नाम से अपने हटाई जात हमने । चीख के थी वो बिताई रात हमने ,
जब उठाई कांधे पे बारात हमने ।

जब मरा वो अपना दंगे में तभी से,
नाम से अपने हटाई जात हमने ।

चीख के थी वो बिताई रात हमने , जब उठाई कांधे पे बारात हमने । जब मरा वो अपना दंगे में तभी से, नाम से अपने हटाई जात हमने । #शायरी

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Ashu Jaiswal

कितनी अजीब बात है ?
मैं चाँद को रोज देखता हूँ,
देखता हूँ सूरज को रोज ढलते हुए,
ये तारे रोज ही तो चमकते हैं ।
पर नही देख पाता रोज जिसे वो हो तुम।
तुम्हें न देख पाना कोई गम सा तो नही है,
पर तुम्हें देखना किसी जन्नत से कम भी नही ।
तुम्हें देखना ऐसा है जैसे  तपती गर्मी में पहली बारिश का होना या फिर किसी परिंदे का पहली दफा उड़ पाना या किसी बच्चे का घुटनों के बल चलने की पहली कोशिश जैसा या किसी कवि की पहली कविता जैसा ।
सब परफेक्ट न होने के बाद भी खूबसूरत ।

पर बारिश का रोज होना भी खलने लगता है , परिंदे के लिए उड़ना एक आम बात हो जाती है ,  बच्चा दौड़ना शुरू कर देता है , कवि दोहे लिखने लगता है , जब सब परफेक्ट हो जाता है तो कुछ खास नही रहता । 

मैं नही चाहता कि तुम आम हो जाओ ।
इसलिए मैं रोज चाँद को देखता हूँ , 
देखता हूँ सूरज को ढलते हुए ,
तारों को चमकते हुए ,
पर तुम्हें रोज नही देखना चाहता । कितनी अजीब बात है ?
मैं चाँद को रोज देखता हूँ,
देखता हूँ सूरज को रोज ढलते हुए,
ये तारे रोज ही तो चमकते हैं ।
पर नही देख पाता रोज जिसे वो हो तुम।
तुम्हें न देख पाना कोई गम सा तो नही है,
पर तुम्हें देखना किसी जन्नत से कम भी नही ।
तुम्हें देखना ऐसा है जैसे  तपती गर्मी में पहली बारिश का होना या फिर किसी परिंदे का पहली दफा उड़ पाना या किसी बच्चे का घुटनों के बल चलने की पहली कोशिश जैसा या किसी कवि की पहली कविता जैसा ।

कितनी अजीब बात है ? मैं चाँद को रोज देखता हूँ, देखता हूँ सूरज को रोज ढलते हुए, ये तारे रोज ही तो चमकते हैं । पर नही देख पाता रोज जिसे वो हो तुम। तुम्हें न देख पाना कोई गम सा तो नही है, पर तुम्हें देखना किसी जन्नत से कम भी नही । तुम्हें देखना ऐसा है जैसे तपती गर्मी में पहली बारिश का होना या फिर किसी परिंदे का पहली दफा उड़ पाना या किसी बच्चे का घुटनों के बल चलने की पहली कोशिश जैसा या किसी कवि की पहली कविता जैसा ।

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Ashu Jaiswal

होकर जुदा जोड़े परिंदों के गए मर देख तो,
इंसान को अब इश्क का कोई सलीक़ा ही नही । होकर जुदा जोड़े परिंदों के गए मर देख तो,
इंसान को अब इश्क का कोई सलीक़ा ही नही ।

होकर जुदा जोड़े परिंदों के गए मर देख तो, इंसान को अब इश्क का कोई सलीक़ा ही नही ।

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Ashu Jaiswal

तिरे है इश्क के मारे बताओ हम किधर जाएं ?
लगा था दूर जा कर तुमसे हम शायद सुधर जाएं ।

भले हो बात रोजाना बिछड़ने की हमारी पर,
बिछड़ने का कभी दिन आये तो दोनों मुकर जाएं ।

बहुत मुश्किल से हैं ये अब जुड़े टूटे हुए धागे,
न दो तुम गाँठ पर यूँ जोर की दोनों बिखर जाएं ।

कुरेदों मत पुराने इन जख्म को अब जियादा तुम,
अभी आगाज हैं ऐसा न हो ये फिर उभर जाएं ।

बुरे लगने लगेंगे हम तुम्हारी ही तरह सब को,
जियादा हर किसी के घर अगर हम भी ठहर जाएं ।

रहेगा कौन अब इस गांव में मुझको बताओ तुम ?
अगर पढ़ने , कमाने के लिये हम सब शहर जाएं ।

मुझे ख्वाहिश नही की सब कहें गजलें मिरी जाना,
लिखूँ मिसरें कभी कुछ ऐसे जो सब में उतर जाएं । तिरे है इश्क के मारे बताओ हम किधर जाएं ?
लगा था दूर जा कर तुमसे हम शायद सुधर जाएं ।

भले हो बात रोजाना बिछड़ने की हमारी पर,
बिछड़ने का कभी दिन आये तो दोनों मुकर जाएं ।

बहुत मुश्किल से हैं ये अब जुड़े टूटे हुए धागे,
न दो तुम गाँठ पर यूँ जोर की दोनों बिखर जाएं ।

तिरे है इश्क के मारे बताओ हम किधर जाएं ? लगा था दूर जा कर तुमसे हम शायद सुधर जाएं । भले हो बात रोजाना बिछड़ने की हमारी पर, बिछड़ने का कभी दिन आये तो दोनों मुकर जाएं । बहुत मुश्किल से हैं ये अब जुड़े टूटे हुए धागे, न दो तुम गाँठ पर यूँ जोर की दोनों बिखर जाएं । #Shayari

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Ashu Jaiswal

हुआ होगा बहुत पहले कभी पर अब नही होता ।
किसी को इश्क भी अब यार बेमतलब नही होता ।

रहे मुत्तसिल सब वैसे हमेशा ही मिरे यारो,
जरूरत जब हुई जिसकी मुझे वो तब नही होता ।

सुलाकर भूख कैसे रात भर वो जागता होगा ?
सड़क पर लेटने वाले का कोई रब नही होता।

लड़ो तो तुम मगर मारो न यूँ इक दूसरे को ही,
बड़ा इंसानियत से तो कोई मजहब नही होता । मतला और कुछ शेर 💞

हुआ होगा बहुत पहले कभी पर अब नही होता ।
किसी को इश्क भी अब यार बेमतलब नही होता ।

रहे मुत्तसिल सब वैसे हमेशा ही मिरे यारो,
जरूरत जब हुई जिसकी मुझे वो तब नही होता ।

मतला और कुछ शेर 💞 हुआ होगा बहुत पहले कभी पर अब नही होता । किसी को इश्क भी अब यार बेमतलब नही होता । रहे मुत्तसिल सब वैसे हमेशा ही मिरे यारो, जरूरत जब हुई जिसकी मुझे वो तब नही होता ।

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